Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

शीघ्र आ रहा लोकप्रिय हिंदी पत्रिका ‘पहल’ का सेंचुरी अंक

हिंदी जगत की अनिवार्य पत्रिका के रूप में मान्‍य ‘पहल’ का 100वां अंक शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है। जबलपुर जैसे मध्‍यम शहर से पहल जैसी अंतरराष्‍ट्रीय पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1973 में शुरू हुआ और इसने विश्‍व स्‍तर को प्राप्‍त किया। ‘पहल’ के जरिए इसके संपादक ज्ञानरंजन ने लगातार जड़ता तोड़ने के काम किया। इसलिए पिछले 42 वर्षों से ‘पहल’ गंभीर लेखन व विचारों से जुड़ी पत्रिकाओं के बीच शीर्ष स्‍थान पर है और नए संपादकों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाती जा रही है। 

<p>हिंदी जगत की अनिवार्य पत्रिका के रूप में मान्‍य 'पहल' का 100वां अंक शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है। जबलपुर जैसे मध्‍यम शहर से पहल जैसी अंतरराष्‍ट्रीय पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1973 में शुरू हुआ और इसने विश्‍व स्‍तर को प्राप्‍त किया। ‘पहल’ के जरिए इसके संपादक ज्ञानरंजन ने लगातार जड़ता तोड़ने के काम किया। इसलिए पिछले 42 वर्षों से ‘पहल’ गंभीर लेखन व विचारों से जुड़ी पत्रिकाओं के बीच शीर्ष स्‍थान पर है और नए संपादकों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाती जा रही है। </p>

हिंदी जगत की अनिवार्य पत्रिका के रूप में मान्‍य ‘पहल’ का 100वां अंक शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है। जबलपुर जैसे मध्‍यम शहर से पहल जैसी अंतरराष्‍ट्रीय पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1973 में शुरू हुआ और इसने विश्‍व स्‍तर को प्राप्‍त किया। ‘पहल’ के जरिए इसके संपादक ज्ञानरंजन ने लगातार जड़ता तोड़ने के काम किया। इसलिए पिछले 42 वर्षों से ‘पहल’ गंभीर लेखन व विचारों से जुड़ी पत्रिकाओं के बीच शीर्ष स्‍थान पर है और नए संपादकों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाती जा रही है। 

‘पहल’ का घोषित उद्देश्‍य है-भारतीय उपमहाद्वीप के वैज्ञानिक विकास के लिए प्रगतिशील रचनाओं को स्‍थान देना। पहल के 42 वर्ष के प्रकाशनकाल में दो बार इसका प्रकाशन बाधित हुआ है। पहला दौर आपातकाल का दौर था जिसमें हर तरह की स्वतंत्र सोच और अभिव्यक्ति पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था।  किन्तु उस दौर में भी ‘पहल’ का प्रकाशन सिर्फ अनियमित हुआ था, बंद नहीं हुआ था। दूसरा दौर हाल फिलहाल का है जब लगभग पांच वर्ष पूर्व अचानक आई इसके बंद होने की खबर से समूचे साहित्य जगत में एक तरह का सन्नाटा पसर गया। पाठकों में मायूसी छा गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हिंदी साहित्‍य के आठवें दशक के जितने भी महत्‍वपूर्ण लेखक हैं, वे पहल के गलियारे से ही आए हैं। इनमें राजेश जोशी, मंगलेश डबराल, वीरेन्‍द्र डंगवाल, लीलाधरजगूड़ी, ज्ञानेन्‍द्रपति, आलोक धन्‍वा जैसे साहित्‍यकार महत्‍वपूर्ण हैं। रचनाओं के अलावा आलोचना के क्षेत्र में भी अनेक नए नाम पहले पहल ‘पहल’ से ही उभरे। ज्ञानरंजन ने अपने मनपसंद और विचारधारा पसंद लेखें व कृतियों पर अनेक युवा आलोचकों को गंभीरता, विशद अध्‍ययन और जिम्‍मेदारी से लिखने के लिए प्रेरित किया। चार दशक से अधिक के सफर में पहल में हिंदी, भारतीय भाषाओं और विश्‍व साहित्‍य के लगभग 50 हजार से अधिक पृष्‍ठ प्रकाशित हुए हैं। 

जर्मन,रूसी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, और स्‍पेनिश भाषाओं का श्रेष्‍ठतम साहित्‍य पहल में ही उपलब्‍ध है। पहल के फासिज्म विरोधी अंक, मार्क्सवादी सौंदर्यशास्त्र : वाल्टर बेंजामिन, समकालीन कवितांक, पाकिस्तान में उर्दू कलम, कहानी अंक, चीन का समकालीन साहित्य, बांग्लादेश के व अफ़्रीकी साहित्य पर केन्द्रित अंक इतिहास अंक, पंजाबी, मराठी, उर्दू, कश्‍मीरी साहित्‍य के प्रतिनिधि विशेषांक साहित्‍य प्रेमियों को आज तक याद हैं और लोग इन्‍हें आज भी खोजते हैं। शीर्ष आलोचक रामविलास शर्मा से ले कर आज की बिल्‍कुल युवा पीढ़ी का कोई भी ऐसा महत्‍वपूर्ण लेखक या कवि नहीं है, जो पहल में नहीं छपा। इसका प्रसार देश-देशांतर तक है। पूरे देश में पहल से एक बड़ा परिवार बन गया है। जर्मनी के  तियुबिनजेन विश्वविद्यालय ने पहल को डिजीटाइज किया है। पहल डिजीटाइज होने वाली हिंदी की पहली साहित्यिक पत्रिका है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पंकज स्वामी से संपर्क : 9425188742

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. नन्दलाल सिंह

    November 13, 2019 at 8:04 am

    पहल के सेंचुरी अंक के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !
    पहल के पहल ने साहित्य संस्कृति के क्षेत्र में चिंतन, लेखन की गहराई दी है…. पहल हौशला व् जिजीविषा का मूर्त रूप है !
    सम्पूर्ण टीम को साधुवाद !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement