”दोपहर तक बिक गया बाज़ार में एक एक झूट, शाम तक बैठे रहे हम अपनी सच्चाई लिए” जैसी पंक्तियां रचने वाले जाने-माने शायर विजेंद्र सिंह परवाज़ का पिछले दिनों अमृत महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. दिन शनिवार, तारीख़ 23 जून और मौक़ा था विजेंद्र सिंह परवाज़ साहब के अमृत महोत्सव का, जो कृष्णा इंजीनियरिंग कॉलेज, मोहन नगर के सभागार में बड़ी धूम-धाम से संपन्न हुआ। शहर के तक़रीबन सभी गणमान्य लोग गीत-ग़ज़लों से सजी हुई इस शाम के साक्षी बने।
‘परवाज़’ साहेब के ‘अमृत-महोत्सव आयोजन’ कड़ी का यह तीसरा संयोजन था। पहला संयोजन सन्त मोरारी बापू ने 27 मई को अपनी राम-कथा के दौरान फ़रीदाबाद में तथा दूसरा संयोजन राज कौशिक जी के द्वारा 17 जून को गुरुग्राम में आयोजित किया गया था। तीनों संयोजनों में शाम को ग़ज़ल के पुरोधा शायर ‘परवाज़’ साहेब की शान में विशाल मुशायरों का आयोजन किया गया जिसमें अनेकों नामचीन कवि-शायरों ने शिरकत की।
हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू तीनों भाषाओं में अनेकानेक पुस्तकें लिखने वाले परवाज़ साहब की रचनात्मकता की वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने भूरि भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री के पद पर सुशोभित श्री अतुल गर्ग जी न सिर्फ़ आये बल्कि कार्यक्रम के अंत तक अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई।
इनके अलावा श्री बलदेव राज शर्मा जी, श्री पृथ्वी सिंह कसाना जी ,पूर्व मिसेज़ वर्ल्ड श्रीमती उदिता त्यागी जी, श्री आर. एस. ढाका जी, श्री अरुण कुमार श्रीवास्तव जी, श्री प्रवीण शुक्ल जी, श्री राकेश कुमार मिश्रा जी, श्री प्रवीण कुमार जी,डॉ वीना मित्तल जी,श्री ओम प्रकाश प्रजापति जी ,डॉ तारा गुप्ता जी , श्रीमती तूलिका सेठ जी, श्री सुरेंद्र शर्मा जी, श्री एवं श्रीमती मृत्युंजय साधक जी, श्री मनोज शर्मा जी के साथ साथ शहर भर के अनेक रचनाकार और विशिष्टजनों ने अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम को अतिविशिष्ट बना दिया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण ट्रू मीडिया के माध्यम से 65 देशों में किया गया। णमोकार चैनल के माध्यम से भी इस आयोजन का 73 देशों में लाइव टेलीकास्ट किया गया।
परवाज़ साहब का इस अवसर पर पुष्प-पत्र, शॉल, पुष्पहार और मान-पत्र द्वारा सम्मान किया गया। परवाज़ साहब ने अपनी ग़ज़लों और अशआर से वहाँ उपस्थित सभी लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कहीं का न छोड़ा मुहब्बत ने तेरी
जो नफ़रत पे आता तो क्या हाल होता
– विजेंद्र सिंह परवाज़
कार्यक्रम और मुशायरे की अध्यक्षता मशहूर शायर और वाईस चेयरमैन, दिल्ली उर्दू अकादमी डॉ शहपर रसूल साहब ने की। मुशायरे की निज़ामत शायर और संस्थापक चेयरमैन उत्तराखंड उर्दू अकादमी डॉ अफ़ज़ल मंगलौरी साहब ने की। इनके अलावा श्री गोविंद गुलशन साहब, श्री दीक्षित दनकौरी साहब, श्री राज कौशिक साहब, श्री बी.के.शर्मा ‘शैदी’ साहब, श्री अशोक पंकज साहब, डॉ रुचि चतुर्वेदी जी, डॉ फुरकान सरधनवी साहब ने ग़ज़लों को पढ़ा। श्रोताओं ने रात 12 बजे तक चलने वाले इस कार्यक्रम को बहुत मन से सुना और भरपूर दाद दी।
कार्यक्रम के अंत में सभी के लिए ज़ायकेदार भोजन की भी व्यवस्था थी, जिसका सभी ने भरपूर आनंद उठाया। इस प्रकार से आदरणीय परवाज़ साहब के एजाज़ में सजी इस यादगार महफ़िल का अंत हुआ, जिसे लोग परवाज़ साहब की ग़ज़लों की ही तरह बरसों बरस याद रखेंगे।अंत मे परवाज़ साहब का एक और शेर –
जब अमीरी में मुझे ग़ुरबत के दिन याद आ गए
कार में बैठा हुआ पैदल सफ़र करता रहा
-विजेंद्र सिंह परवाज़
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