रायपुर । 21 वीं सदी के पहले व लगभग एकमात्र महाकाव्यकार, आधुनिक हिंदी के शीर्षस्थ कवि श्री रमाकांत शर्मा (उद्भ्रांत) द्वारा रचित व अँगरेज़ी, ओडिया सहित कई भाषाओं में अनुवाद के साथ बहुचर्चित काव्यकृति‘राधामाधव’ पर प्रथम गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगौर अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।
चयन-समिति के सदस्य सुप्रसिद्ध आलोचक त्रय प्रो. नित्यानंद तिवारी, डॉ. कर्ण सिंह, डॉ. खगेन्द्र ठाकुर तथा संयोजक जयप्रकाश मानस की अनुशंसा पर 200 से अधिक प्रविष्टियों में विशिष्ट और विलग कृति के लिए श्री उद्भ्रांत को 51,000 रूपयों की प्रतीक राशि, मानपत्र एवं प्रतीक चिन्ह सहित यह पुरस्कार आगामी 2 जून के दिन 15 वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, रूस (मास्को) के अवसर पर समारोह पूर्वक दिया जायेगा।
हिंदी की लगभग सभी विधाओं में सिद्धहस्त, शताधिक चर्चित कृतियों के रचयिता, सुप्रसिद्ध रचनाकार दूरदर्शन में उपमहानिदेशक (भारतीय प्रसारण सेवा) रहे हैं। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ है : अभिनव पांडव, अनाद्यसूक्त, त्रेता एवं प्रज्ञावेणु (महाकाव्य); राधामाधव (उड़िया में भी अनूदित), स्वयंप्रभा एवं वक्रतुण्ड (प्रबंध काव्य); ब्लैकहोल (काव्य नाटक); देवदारू-सी लम्बी गहरी सागर-सी, अस्ति, शब्दकमल खिला है, हँसो बतर्ज़ रघुवीर सहाय एवं इस्तरी (समकालीन कविता); समय के अश्व पर (गीत-नवगीत), मैंने यह सोचा न था (ग़ज़लें)-रा.प्र. शर्मा ‘महर्षि’ द्वारा किया गया उर्दू लिप्यांतरण उ.प्र. सरकार से पुरस्कृत, डुगडुगी और मेरी प्रिय कथाएं (कहानी-संग्रह); कहानी का सातवाँदशक (संस्मरणात्मक समीक्षा) तथा सदी का महाराग (चयन डॉ. रेवतीरमण); आलोचक के भेस में एवं मुठभेड़ (आलोचना), सृजन की भूमि (भूमिकाएँ), आलोचना का वाचिक (वाचिक आलोचना), स्मृतियों के मील-पत्थर (संस्मरण) आदि।
कानपुर में प्रलेस के सचिव रहे श्री उद्भ्रांत की अनेक भारतीय भाषाओं में रचनाएँ अनूदित हो चुकी हैं। वर्तमान में वे सेवानिवृति के पश्चात स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।