पुस्तक: टेलीविजन प्रोडक्शन
लेखक: डॉ. देवव्रत सिंह
प्रकाशक: माखनलाल चतुर्वेदी रार्ष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल-462011
मूल्य: 175/-, पृष्ठ: 167
टेलीविजन को भले ही ‘बुद्धूबक्शा’ कहा जाता है, लेकिन सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का पिछला 22 बरस इसके नाम रहा है। इस द्श्य-श्रव्य माध्यम ने अपने चमक और दमक के दम पर न केवल समाज में बदलते मूल्यों व संदर्भो को प्रतिष्ठापित किया है, बल्कि मानव जीवन को अर्थपूर्ण बनाने में अग्रणी भूमिका का निर्वह्न भी किया है। यहीं कारण है कि हिन्दी व अन्य प्रांतीय भाषाओं में टेलीविजन से जुड़ी विविध जानकारी देने वाली पुस्तकों का अभाव होने के बावजूद वर्तमान समय में देश के विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में टेलीविजन पाठ्यक्रमों का लगातार विकास हो रहा है। इस संदर्भ में कुछ पुस्तकें उपलब्ध भी हैं तो उनमें टेलीविजन के ऐतिहासिक परिपेक्ष्यों तक सीमित ज्ञान ही हैं। किसी ने टेलीविजन के व्यावहारिक पक्षों को छुने का प्रयास तक नहीं किया है। ऐसे में झारखण्ड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची के एसोसिएट प्रोफेसर डा. देवव्रत सिंह की नई पुस्तक ‘टेलीविजन प्रोडक्शन‘ अंधेरी सुरंग में जलती मशाल की तरह है।
टेलीविजन की चमक कहें या समय की जरूरत… इससे सम्बन्धित पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसकी व्यावहारिकता को डा. देवव्रत सिंह ने अपने 18 सालों के कैरियर में काफी नजदिक से देखने व परखने के बाद पुस्तक के रूप में लिखने का सार्थक प्रयास किया है, जो स्वागत योग्य है। इस पुस्तक की पाठ्य सामग्री कुल चौदह अध्यायों में विभाजित है। पहला अध्याय-कार्यक्रम निर्माण है, जिसके अंतर्गत नया आइडिया, नये आइडिये का निर्माण, टेलीविजन कार्यक्रम प्रस्तावना का निर्माण, टेलीविजन निर्माण प्रक्रिया और टेलीविजन निर्माण के मूल तत्व इत्यादि के बारे में बताया गया है।
अध्याय-दो का मुख्य शीर्षक प्रोडक्शन टीम है, जिसमें टेलीविजन निर्माण टीम के सदस्य और उनकी जिम्मेदारी का वर्णन किया गया है। अध्याय-तीन फोटोग्राफी से सम्बन्धित है, जिसमें फोटोग्राफी तकनीकी के उद्भव, कैमरे की बनावट, फोटोग्राफी लैंस के प्रकार, फोटोग्राफी एवं प्रकाश का महत्व, डिजीटल फोटोग्राफी इत्यादि की विस्तृत जानकारी दी गई है।
अध्याय-चार में वीडियो कैमरा का परिचय कराया गया है तथा वीडियो कैमरे की तकनीकी, वीडियो कैमरे के अंग, कैमरा कंट्रोल यूनिट, कैमरा माउंटिंग, कैमरा माउंटिंग के प्रकार, वीडियो कैमरा के प्रकार आदि के बारे में बताा गया है। अध्याय-पांच वीडियो कैमरा संचालन से सम्बन्धित है। इस अध्याय में प्रमुख शॉट, शॉट कंपोजिशन के सिद्धांत, विभिन्न शॉट की उपयोगिता, कैमरा मूवमेंट की व्याख्या की गई है। अध्याय-छह में ऑडियो शीर्षक के अंतर्गत ध्वनि की प्रकृति, ध्वनि के प्रकार, टेलीविजन निर्माण में ध्वनि का महत्व, माइक्रोफोन की संरचना एवं प्रकार, माइक्रोफोन का प्रयोग इत्यादि का वर्णन किया गया है।
अध्याय-सात में लाइटिंग, अध्याय-आठ में टेलीविजन समाचार लेखन, अध्याय-नौ में वृत्तचित्र आलेख लेखन, अध्याय-दस में टेलीविजन समाचार निर्माण, अध्याय-ग्यारह में टेलीविजन रिपोटिंग, अध्याय-बारह में वीडियो संपादन, अध्याय-तेरह में ग्राफिक्स, मेकअप और सैट डिजाइन और अध्याय-चौदह में टेलीविजन प्रस्तुतिकरण के विविध पहलूओं पर विस्तृत पूर्वक चर्चा की गई है।
इस पुस्तक में विद्यार्थियों की सुविधा व सहुलियत के हिसाब से स्थान-स्थान पर चित्रों का प्रयोग कर जटिल जानकारी को सामान्य तरीके से समझाने और बताने का प्रयास किया गया है। सभी अध्यायों के अंत में महत्वपूर्ण प्रश्न और अभ्यास कार्य हैं। इससे पुस्तक की महत्ता स्वतः सिद्ध हो जाती है। कहने का तात्पर्य है कि पुस्तक में केवल सैद्धांतिक पक्षों का वर्णन कर पाठ्य सामग्री को बोझिल नहीं बनाया गया, बल्कि व्यवहारिक पक्षों का उल्लेख कर अनुपयोगी बनाने का प्रयास भी किया गया है। इस कार्य को डा. देवव्रत सिंह ने बड़ी सहजता और सरलता पूर्वक कर लिया है, क्योंकि उन्होंने टेलीविजन इंटरनेशनल (टी.वी.आई.), जी न्यूज तथा एशिया न्यूज इंटरनेशनल (ए.एन.आई.) में विभिन्न पदों पर व्यवहारिक प्रशिक्षण के साथ ‘टेलीविजन चैनलों की विषय वस्तु’ पर डाक्टरेट उपाधि हासिल की है।
पुस्तक के प्रारंभ में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला का आमुख प्रकाशित है, जिसमें पुस्तक को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विद्यार्थियों और अध्येताओं (विशेषकर टेलीविजन प्रोडक्शन) के लिए उपयोगी बताया गया है, लेकिन पुस्तक में लेखक की कलम से प्रस्तावना या प्राक्कथन का अभाव है, जिसकी कमी गंभीर पाठकों को सदैव खलती रहेगी।
पुस्तक की भाषा सरल व सुस्पष्ट है। टेलीविजन चैनलों के स्टूडियो में प्रयोग होने वाले बहुचर्चित तथा तकनीकी शब्दों को ज्यों का त्यों हिन्दी भाषा में लिख दिया गया है। पुस्तक पढ़ने समय किसी कार्यशाला में उपस्थित होने जैसा आभास होता है। इसके लिए डा. देवव्रत सिंह को बहुत-बहुत बधाई…।
समीक्षक अवधेश कुमार यादव उच्चतर शिक्षा विभाग, हिमाचल प्रदेश में पत्रकारिता एवं जनसंचार के सहायक प्रोफेसर हैं.
पंकज झा
November 2, 2014 at 5:42 am
बधाई…शुभ कामना.
Biswadeep Roychowdhu
April 18, 2015 at 6:54 am
देश दरअसल प्रगती की और जेया राहा है या रसातल की और, यह बहस का विषय हो सकता है, आर वास्तविक हाल क्या है, हाल ही मैं इस पर एक पुस्तक का विमोचन हुआ, शीर्षक था ” विल इंडिया चेंज” ,
किताब के लेखक बिसवदीप रॉय ने चार साल के अथक परिश्रम के बाद इस किताब को लिखा है. इस किताब में उन्होने हर एक मुद्दो पर बात की है और उसका दुनिया के दूरसे मुल्को से समान्तर तुलना भी की है.
किताब का विमोचन ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर के हाथो हुआ है. प्रगती मैदान में आयोज़ित विश्वा पुस्तक मेले के अवसर पर इस किताब को लाया गया है. यह किताब भारत की मौज़ूदा आर्थिक और सामाजिक हालत को बताता है
Gautam
October 2, 2018 at 10:22 am
sir mujhe a book purchase karni hai kaise Karen?
Shraddha
August 21, 2019 at 12:14 am
I want to buy this book but there is no option
Shubham Singh
November 20, 2019 at 7:52 am
Mujhe dev vrat singh g ka contact no kaise milega.inki ye book leni hai sath me kuch book hai mcrp university ki yaha up lucknow me nhi mil rhi hai plz help me.mai mabj ka student hu.