कलकत्ता और नोएडा शहर के नामी उद्यमी एवं प्रिया गोल्ड और सूर्य चैनल के CMD बीपी अग्रवाल का आज सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया।
वे नोएडा से कलकत्ता गए थे। फ़्लाइट से उतरने के बाद उनका BP स्तर काफ़ी नीचे चला गया। अस्पताल जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। बीपी अग्रवाल के निधन से उद्योग जगत में शोक की लहर है।
बीपी अग्रवाल की उम्र बहत्तर साल बताई जाती है। उन्होंने नाममात्र की पूँजी से व्यवसाय शुरू किया और जाते जाते तीन हज़ार करोड़ का एंपायर खड़ा कर गए।
बीपी अग्रवाल ने सूर्या समाचार नामक न्यूज़ चैनल भी लाँच किया जो कई वजहों से काफ़ी विवादित रहा। ढेर सारे प्रयोगों के बाद आख़िरकार न्यूज़ चैनल का कामकाज समेटना पड़ा। सूर्या नाम से फ़िल्मी भोजपुरी संगीत के कई चैनल अब भी चलते हैं।
बीपी अग्रवाल कई फ़ील्ड में ऐक्टिव थे। बिस्किट, बल्ब, मीडिया, रियल एस्टेट के अलावा भी उनके ढेर सारे उपक्रम थे। सुबह साढ़े आठ बजे से रात साढ़े आठ बजे तक ऑफ़िस में लगातार कामकाज करने वाले बीपी अग्रवाल की मेहनत और कर्मठता उल्लेखनीय है।
स्वर्गीय बी पी अग्रवाल 1986-87 में नोएडा आये, कोलकाता से। सेक्टर 4 में बिस्किट की एक छोटी सी फैक्ट्री डाली। आज नोएडा, ग्रेटर नोएडा, हरिद्वार, जम्मू, कोलकाता आदि जगहों पर इनकी एकड़ों में फैली कई फैक्ट्रियां हैं। बताते हैं, बहुत मामूली सी पूंजी के साथ शुरू किए अपने बिस्किट, चॉकलेट्स, जूस आदि के व्यवसाय समूह को इन्होंने करीब ढाई हज़ार करोड़ के नेटवर्थ तक पहुंचाया।
ज़िद्दी इतने कि पहली फैक्ट्री में बिजली कनेक्शन के लिए माँगी गई रिश्वत नहीं देने पर अड़ गए तो लम्बे समय तक जेनेरेटर से ही फैक्ट्री चलाई। शायद इसी ज़िद ने उन्हें उनके धन्धे के दो बड़े महारथी समूहों, पारले और ब्रिटेनिया के साथ ला खड़ा किया।
उन्होंने ब्रॉडकास्ट टीवी चैनल में भी हाथ आजमाया। बड़े जोरशोर से सूर्या समाचार समूह शुरू हुआ। उनके करीबी सूत्रों का मानना है कि जिस ज़िद ने उन्हें अपने व्यवसाय का महारथी बनाया, उसी ने उन्हें यहाँ असफलता का कड़वा घूँट भी पिलाया। न्यूज़ के धन्धे की बहुत अलग क़िस्म की ज़रूरतों को वो अपने व्यावसायिक अनुभवों से जाँचते-मापते रहे। नतीजा हुआ कि मीडिया के कुछ धुरंधर लोग भी उनसे जुड़े पर कुछ ख़ास कर नहीं पाए।
बहरहाल, नोएडा के उद्योग जगत में अग्रवाल जी की मौत पर ख़ासी बेचैनी है। नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष, श्री सुरेन्द्र सिंह नाहटा ने कहा- “बी पी अग्रवालजी असल में हमारे लिए रीढ़ की हड्डी की तरह थे। हमारे संगठन को और शहर की तमाम जनोपयोगी गतिविधियों को उन्होंने हमेशा अपना सक्रिय सहयोग भी दिया और मुक्तहस्त दान भी देते रहे।”