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सुख-दुख

ब्राह्मण के विरोध में!

सत्येंद्र पीएस-

“वे विदेशी हैं। वे हमें अछूत कहते हैं और हमारे तमाम हक़ हमसे छीनते जा रहे हैं, मैं गाँव वालों से अपील करूंगा कि वे ब्राह्मणों को गाँव में न घुसने दें। अगर वे नहीं सुधरते हैं तो ब्राह्मणों को गंगा से वोल्गा भेज दिया जाना चाहिए।”

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यही कहा था नन्द कुमार बघेल ने।

इतना सा कहने पर देश भर के एक जाति विशेष लोगों को परपरा रहा है। इतना परपराया कि उनके खिलाफ ब्राह्मण महासभा ने एफआईआर करा दी।
इस देश में 20 प्रतिशत के आसपास मुसलमान रहते हैं। चितपावनों का गिरोह वर्षों से उन्हें विदेशी बता रहा है।

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संघी उन्हें खदेड़ देने की बात करते हैं और जब मुस्लिम पूछते हैं कि भाई हम तो इसी धरती पर पले बढ़े हैं इसी मिट्टी में हमारे माँ बाप पुरखे दफन हैं हम कहाँ जाएंगे? संघी बेशर्मी से कहते हैं कि हिन्द महासागर में डूब मरो।

भारत में मुसलमानों के आने के पहले ज्यादातर बौद्धों का शासन था। भारत का विस्तार अफगानिस्तान तक था और चीन जापान थाईलैंड कोरिया सहित विभिन्न देशों ने बुद्ध दर्शन को अपना लिया। आखिरी भारतीय बौद्ध शासक हर्षवर्धन ने भी अफगानिस्तान तक राज किया। कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई। 800 से 1200 ईसवी के बीच शंकराचार्य आये, धाम स्थापित किए गए। हर एक बौद्ध मठ को तोड़ा गया और उसकी जगह पर मंदिर बना दिये गए।

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इसी दौरान पश्चिमी भारत से मोहम्मद गोरी और गजनवी घुसे। इधर शंकराचार्य लोग भारतीयों को नीच घोषित करने में ऊर्जा लगाए हुए थे। देश की 80% आबादी को नीच घोषित कर दिया गया। उनका राज पाट जमीन जायदाद नौकरियां, पूजा स्थल छीन लिए गए। यह अनवरत जारी है।

सुल्तानों और मुगलों के 800 से 1000 साल के शासन में ब्राह्मण धर्म को कहीं कोई खतरा नहीं हुआ और ये मिल जुलकर शासन चलाते रहे।

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मुस्लिमों ने कभी जाति के आधार पर किसी भारतीय का उत्पीड़न किया हो, बलात्कार किया हो, उनके घर फूंके हों, किसी को ट्रक में बांधकर घिसराया हो, गौ हत्या के नाम पर किसी दलित को पेड़ में बांधकर पीटा हो, इसके साक्ष्य नहीं मिलते। इसके बावजूद उन्हें विदेशी आक्रांता कहा जाता है। और यही बात जब ब्राह्मण धर्म मानने वालों को कह दिया जाए तो देश में तूफान उठ खड़ा होता है।

ऐसा कब तक चलेगा! आप सुधर जाइये भाई साहब। भारत को अपना देश स्वीकार कर लीजिए और इस देश और यहां के वासियों को लूटना और इसकी सम्पत्तियाँ विदेशी कम्पनियों के हाथ बेचना बन्द करिए, वरना आपको देर सबेर वोल्गा जाना पड़ेगा। रूस वाले स्वीकार करेंगे या नहीं, आपकी समस्या है। संभव है कि तब आपको भी लोग हिन्द महासागर वाला विकल्प देने लगें।

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4 Comments

4 Comments

  1. Rahul Shukla

    September 11, 2021 at 12:53 pm

    बकचोदी की किताब पढ़े हो का? लगते तो भो श्री के चु टीए हो

  2. Sanjiv

    September 11, 2021 at 5:45 pm

    यार या तो तुम चूतिया हो या फिर चूतिया ही हो, कम से कम पूर्वाग्रहों और दुराग्रहों से बुरी तरह ग्रस्त तुम्हारी लेखनी तो यही साबित करती है।

  3. राममोहन

    September 12, 2021 at 6:37 pm

    ब्राह्मणों के उपर आपकी टिप्पणी विद्वेष से भरी हुई है। ब्राह्मणों भी उतने ही भारतीय हैं जितने और हैं। ब्राह्मणों का उतना ही अधिकार है जितना औरों का है। ब्राह्मणों का विरोध उतना ही असंवैधानिक और अनैतिक है जितना दूसरी जातियों का।
    ब्राह्मण न ही विदेशी हैं। न ही अपराधी हैं। न ही देशविरोधी।
    हाँ जब आप किसी जाति समूह के खिलाफ ऐसी टिप्पणी करते हैं तो कहीं न कहीं आप रूग्न मानसिकता से ग्रस्त प्रतीत होते हैं। आप किसी पद पर हैं किसी खास जाति से हैं किसी खास वर्ग से हैं तो आप अनुचित को उचित कह दें तो वह विधिमान्य नहीं हो जाएगा।
    कोई ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं तो ये विधिविरुद्ध है यह एक प्रकार का उकसावा है।
    अगर कोई व्यक्ति अपराधी है तो दंड उसे मिलेगा या परिवार वाले को या जाति वाले को।

  4. ramesh singh

    September 14, 2021 at 7:18 pm

    नाम बदलकर लेख लिखने वाले का तो कुछ नहीं जाएगा। पर छापने वाले पर कार्रवाई हो सकती है…यशवंत जी से अनुरोध करूंगा कि ऐसे लेखों को प्रकाशित न करें जो समाज में नफरत फैलाएं। बेबुनियाद बात करें।

    ‘मुस्लिमों ने कभी जाति के आधार पर किसी भारतीय का उत्पीड़न किया हो, बलात्कार किया हो, उनके घर फूंके हों, किसी को ट्रक में बांधकर घिसराया हो, गौ हत्या के नाम पर किसी दलित को पेड़ में बांधकर पीटा हो, इसके साक्ष्य नहीं मिलते। इसके बावजूद उन्हें विदेशी आक्रांता कहा जाता है।’

    मुस्लिम भैया औरंगजेब ने क्या किया था? म्यामार में क्यों मुसलमानों को भगाया गया। श्रीलंका में बौद्ध और मुस्लमानों के बीच क्यों हिंसा हो रही है? पाकिस्तान से अहमदिया मुस्लमानों को क्यों भगाया गया? तालिबान और आईएसआईएस क्या है?
    भारत में 90 प्रतिशत मुसलमान जान जाने की डर से इस्लाम धर्म कबूल कर लिए। और अब कहते हैं कि हम पैगम्बर साहब के वंशज हैं?
    आपकी मर्जी चाहे जो उपासना पद्धति अपनाओं पर किसी को नीचा दिखाने का प्रयास मत करो। खुद उपद्रव फैलाओगे और दूसरे को उपद्रवी कहोगे तो अव्यवस्था फैलेगी ही।

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