आंख जइसा आंख नहीं है, काजर-काजर करता है… ए बबुआ करिखा लगाइला… फिर ना आई जवानी….
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गाल जइसा गाल नहीं है, इस्नो पाउडर करता है… ए बबुवा बेसन लगाइला, फिर ना आई जवानी…
चंदन तिवारी ने आजमगढ़ में गारी गाया, पचरा सुनाया, सोहर से नि:शब्द किया… कई घंटे तक भोजपुरी लोक गीतों की मधुर मिठास से श्रोताओं को मंतमुग्ध रखा…
अपन भी मौजूद थे तो चंदन तिवारी और भाई Nirala Bidesia की टीम के गायन-वादन का पूरा आनंद लिया, साथ ही साथ अपने मोबाइल कैमरे से दूर से ही लाइव प्रोग्राम को रिकार्ड करता रहा… उन्हीं कुछ चुनिंदा गीतों को काट-पीट कर एक पच्चीस मिनट का वीडियो बनाया हूं, भड़ास के लिए. इसमें शुरुआत में चंदन तिवारी का छोटा-सा परिचय है और फिर एक के बाद एक लगातार तीन भोजपुरी गीत, अलग-अलग मूड मिजाज के.
आजमगढ़ में समग्र मीडिया मंथन कार्यक्रम की सांस्कृतिक संध्या के दौरान दर्शकों में से कुछ के अनुरोध पर चंदन तिवारी और उनकी टीम ने गोड़उ वाद्य यंत्र हुड़ुक के जरिए भी एक गीत गाकर दिखाया…
कुल मिलाकर चंदन तिवारी और उनकी टीम आजमगढ़ से बोरा भर-भर के आशीर्वाद प्यार दुलार और वाह वाह बटोर कर ले गई…
चंदन के साथ खास बात ये है कि वो भोजपुरी के ओरीजनल लोक गीत ही गाती हैं… घटिया, अश्लील, फूहड़ गाने से प्रसिद्धि पाने की बजाय उन्होंने साफ सुथरे देसज लोक से जुड़े गीतों को तवज्जो दिया.. यही कारण है कि वे शार्ट कट की बजाय अपने दम पर लंबी यात्रा करके मकबूल होती जा रही हैं… वे सेल्फ मेड हैं. उनके घर में न कोई आईएएस है और न ही उन्हें स्पांसर करने वाले पूंजीपति… ऐसे में उनने जो कामयाबी हासिल की है, जो नाम कमाया है, विशुद्ध अपने गायन और अपने गले के दम पर…
चंदन को बहुत बहुत शुभकामनाएं… इस आयोजन के बहाने भाई निराला बिदेसिया जी से भी बात-मुलाकात हुई… कुल मिलाकर अपन को तो बहुत मजा आया….आप भी कुछ छन के लिए आनंदित होइए…. चंदन तिवारी को सुनते हुए सारे हाय हाय किच किच से मुक्त हो जाइए… याद रखिए… संगीत दिलों को, आत्मा को संतृप्त करता है, पुष्ट करता है, पाजिटिव एनर्जी से भरता है… इसलिए गाते-गुनगुनाते रहिए…
ए बबुआ म्यूजिक लगाइला… फिर ना आई जवानी…. 😀
वीडियो लिंक पाएं… https://youtu.be/6CSP_IUjcYA
भड़ास एडिटर यशवंत की एफबी वॉल से.