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मजीठिया वेतनमान : चंडीगढ़ का श्रम विभाग नहीं रखता मीडिया कर्मियों का कोई लेखा-जोखा

मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों के क्रियान्वयन की जांच-पड़ताल के लिए नोडल अफसरों/इंस्पेक्टरों की नियुक्ति/तैनाती/मनोनयन/नामजदगी की खातिर निर्धारित अवधि पूरी होने में करीब डेढ़ हफ्ता रह गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इस काम के लिए 28 अप्रैल 2015 से चार हफ्ते का समय दिया था। यह आदेश राज्य सरकारों को जारी किया गया था जो अपने मुख्य सचिवों के मार्फत काम-कार्यवाही करती हैं। कुछ या कई राज्य सरकारें इस आदेश पर अमल की दिशा में सक्रिय हो गई हैं। मसलन, हरियाणा के मुख्य सचिव ने श्रम विभाग के आला अधिकारियों के साथ बैठक, विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।

मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों के क्रियान्वयन की जांच-पड़ताल के लिए नोडल अफसरों/इंस्पेक्टरों की नियुक्ति/तैनाती/मनोनयन/नामजदगी की खातिर निर्धारित अवधि पूरी होने में करीब डेढ़ हफ्ता रह गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इस काम के लिए 28 अप्रैल 2015 से चार हफ्ते का समय दिया था। यह आदेश राज्य सरकारों को जारी किया गया था जो अपने मुख्य सचिवों के मार्फत काम-कार्यवाही करती हैं। कुछ या कई राज्य सरकारें इस आदेश पर अमल की दिशा में सक्रिय हो गई हैं। मसलन, हरियाणा के मुख्य सचिव ने श्रम विभाग के आला अधिकारियों के साथ बैठक, विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।

दिल्ली श्रम विभाग द्वारा इंडियन एक्सप्रेस को प्रेषित नोटिस की तीन फोटो प्रतिलिपियां – 

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केंद्र शासित राज्य चंडीगढ़ की प्रशासनिक सरकार क्या कर रही है? यह जानने की जिज्ञासा-उत्सुकता-बेचैनी चंडीगढ़ के प्रिंट मीडिया के कर्मियों में होना स्वाभाविक है। इसी के तहत जब हमने जानने की कोशिश की, छानबीन की तो, जो पता चला वह हैरान करने, चौंकाने, होश उड़ाने वाला रहा। पता चला कि चंडीगढ़ श्रम विभाग के असिस्टेंट लेबर कमिश्नर के वहां केवल एक अखबार -द ट्रिब्यून- का ही रजिस्ट्रेशन है। फैक्टरी एक्ट के तहत महज यही अखबार रजिस्टर्ड है। दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, इंडियन एक्सप्रेस, अमर उजाला, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, पंजाब केसरी आदि दूसरे अखबारों का इस एक्ट के अंतर्गत यहां पंजीकरण मौजूद नहीं है। 

यह पूछने पर कि ये सारे अखबार तो चंडीगढ़ से ही निकलते हैं। इनका तकरीबन सारा संपादकीय, प्रशासनिक, विज्ञापन,एकाउंट्स, सर्कुलेशन आदि का काम-काज चंडीगढ़ से ही होता है। तो फिर इन अखबारों का रजिस्ट्रेशन यहां क्यों नहीं हुआ है, या क्यों नहीं कराया गया है, या क्यों उपलब्ध नहीं है? जवाब मिला कि इन अखबारों की प्रिंटिंग चूंकि यहां नहीं, कहीं और होती है, इसलिए इनका रजिस्ट्रेशन यहां नहीं है। यह पूछने पर कि -चलिए ठीक है, माना कि इन अखबारों का फैक्टरी एक्ट के तहत पंजीकरण नहीं है लेकिन कर्मचारियों का लेखा-जोखा, हिसाब-किताब, उनकी कार्य स्थिति, उनको मिलने वाली सेलरी व अन्य सुविधाओं की बाबत जानकारी तो इस विभाग के पास होनी चाहिए? जवाब मिला- नहीं, हमारे पास तो केवल द ट्रिब्यून के नौ सौ कर्मचारियों का लेखा-जोखा है। हां, कभी इंडियन एक्सप्रेस का बही-खाता हम रखते थे, लेकिन उसका प्रेस एवं ऑफिस जब से पंचकूला शिफ्ट हो गया है, हम उसकी स्थिति से नावाकिफ हैं। 

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यह बताने-ध्यान खींचने पर कि दैनिक भास्कर का चंडीगढ़ सेक्टर 25 में विशाल प्लाट-बिल्डिंग है, उसके बेसमेंट में प्रिंटिंग की अत्याधुनिक मशीनरी स्थापित है, उसके संपादकीय, विज्ञापन, एकाउंट्स, प्रोडक्शन, आईटी, प्रशासन, ह्यूमन रिसोर्स (एचआर), विज्ञापन अनुवाद आदि के अनेक विभाग एवं आफिसेज हैं। उसकी लाइब्रेरी है। उसके सीपीएच यानी चंडीगढ़, पंजाब एवं हरियाणा के हर विभाग के मुखियों का इसी बिल्डिंग में ऑफिस है। चंडीगढ़-पंजाब के स्टेट संपादक, जिनका नाम प्रिंट लाइन में छपता है, यहीं विराजते हैं। इन तीनों राज्यों के समस्त भास्कर कर्मचारियों की सेलरी यहीं बनती है। उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरतों की जानकारी, पूछताछ, उन्हें पूरा करने के तौर-तरीकों का रिकॉर्ड यहीं रखा जाता है। तो फिर लेबर डिपार्टमेंट के पास उनके बारे में जानकारी क्यों नहीं है? यही नहीं, द वर्किंग जर्नलिस्ट्स एंड अदर न्यूजपेपर इंप्लाईज (कंडीशन ऑफ सर्विस एंड मिस्लेनियस प्रॉविजन्स) एक्ट, 1955 और द वर्किंग जर्नलिस्ट्स (फिक्सेशन ऑफ रेट्स ऑफ वेजेज) एक्ट 1958 के प्रावधानों को सटीक-ठीक ढंग से अखबारों में लागू कराने की जिम्मेदारी भी श्रम विभाग की है। इस दायित्य को क्या वह पूरा कर रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? ऐसा क्यों है कि वह इस अनिवार्य कार्य को पूरा करने में विफल है, शिथिल है, लाचार है, असमर्थ है? 

इन सवालों की अनदेखी-उपेक्षा करके हमें केवल यह बताया गया कि दैनिक भास्कर का जब तक (शायद 2005 तक) रजिस्ट्रेशन था, हमारे पास क्वार्टरली रिपोर्ट आती रहती थी। उसके कर्मचारियों के वेज आदि की जानकारी रहती थी। जब से पंजाब के सरहिंद में उसका प्रिंटिंग प्रेस लग गया है, उसका रजिस्ट्रेशन खत्म हो गया है। 

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मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों के क्रियान्वयन की तहकीकात करने के लिए नोडल अफसरों/इंस्पेक्टरों की नियुक्ति की बाबत पूछे जाने पर इस महकमे के हर ओहदेदार ने अनभिज्ञता का इजहार किया। सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो एक संबंधित जिम्मेदार ओहदेदार को मुझे पढक़र सुनाना पड़ा। तब उनकी प्रतिक्रिया थोड़ी सकारात्मक हुई। फिर भी उन्होंने यही कहा-ऊपर से जो निर्देश मिलेगा, उसके अनुसार इसे अमल में लाया जाएगा। उन्होंने यह जरूर बताया कि ट्रिब्यून ने मजीठिया वेज बोर्ड लागू कर दिया है। 

चंडीगढ़ दैनिक भास्कर से जुड़ी एक अहम जानकारी, जो इस संदर्भ में ज्यादा प्रासंगिक है कि इस कथित सबसे बड़े मीडिया ग्रुप ने भले ही अपना प्रिंटिंग प्रेस सरहिंद में लगाया हुआ है, पर चंडीगढ़ का प्लाट जो प्रिंटिंग प्रेस लगाने के लिए ही लिया था, इसे बचाए रखने के लिए उसने प्रोडक्शन के 15-16 कर्मचारियों को यहां तैनात कर रखा है। यही नहीं, जैसा कि जानकार बताते हैं कि भास्कर मैनेजमेंट ने श्रम विभाग के अफसरों-इंस्पेक्टरों को पटाकर फर्जी-झूठा-नकली दस्तावेज बना-तैयार करवा रखा है कि दैनिक भास्कर चंडीगढ़ में ही छपता है। इससे जुड़ी कोई फीस-धनराशि चंडीगढ़ ट्रेजरी में नियमित तौर पर जमा कराई जाती है। मैनेजमेंट के कुछ खास गुर्गों को छोड़ कर किसी को नहीं मालूम कि कर्मचारियों के बारे में पूरी जानकारी आखिर श्रम विभाग के किस-कहां के ऑफिस में दी जाती-पेश की जाती-रखी जाती है। 

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दिल्ली श्रम विभाग ने पेश की नजीर

बहरहाल, चर्चा हो रही है मजीठिया क्रियान्वयन की तफतीश करने, उसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देने, तो इस बारे में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने बाजी मारते हुए अन्य सारी राज्य सरकारों के लिए एक नजीर पेश कर दी है। इस सरकार ने दिल्ली के सभी प्रिंट मीडिया संस्थानों को नोटिस ही नहीं, उसका रिमाइंडर भी भेज दिया है। मैनेजमेंट से स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि इस नोटिस का जवाब निर्धारित समय में दें, अन्यथा कानून अपना काम करेगा।  इसी तरह का एक नोटिस इंडियन एक्सप्रेस को भी भेजा गया है जिसकी प्रतिलिपि इस आलेख के साथ संलग्न है। इसका अवलोकन करना और इसमें दी गई सूचनाओं-जानकारियों के मुताबिक मजीठिया के लिए अपनी डिमांड रखना-उसे हासिल करना लाजिमी है। 

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साथियो! नोडल अफसरों/इंस्पेक्टरों को अपने वेज व संबंधित मीडिया संस्थान से प्राप्त सुविधाओं-असुविधाओं को विस्तार से बताएं। और कोशिश करें कि इस नोटिस में उल्लिखित जानकारी के अलावा कोई जानकारी-सूचना छूट रही है तो उसे भी इसमें संबद्ध कर लें, जोड़ लें। 

भूपेंद्र प्रतिबद्ध, चंडीगढ़ से संपर्क : 9417556066

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0 Comments

  1. Sanjib

    May 16, 2015 at 9:31 pm

    SUpreme Court (Rev. Ranjan Gogoi) aur Bhadas ka Sadhuwad…
    Sathiyon, Film Sholey ka dialogue yad dila raha hoon… “Ab ayega Maza…..bahut beimani kiya re…” (Last sentence apni taraf se joda hoon..
    Sathiyon, Ekjut rahein aur Himmat na harein… Chatukaron ko office se bahar “Pakad-2 ker Peetein”.
    Tabhi aise Tuchchey Logon ko seekh milagi….
    Jai Hind…

  2. Baskar CS

    May 22, 2015 at 7:11 am

    when a labour commissioner had sent a reply mail to a newspaper is it not the same for all the press throughout india and its to followed suit by all LC of states?

  3. bhupinder singh

    May 28, 2015 at 5:43 am

    Majithaia wage board kab theek se milega ab tu nokri sirf three saal reh gai hai.

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