सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम अधिवक्ताओं राजीव धवन, राम जेठमलानी,गोपाल सुब्रमण्यम, के टी एस तुलसी,इंदिरा जय सिंह और एच एस फुल्का द्वारा दिल्ली के LG की कार्रवाई को ग़लत ठहराने से बैकफ़ुट पर आये मीडिया ने जवाब में कुछ जंग लगे औज़ार पेश कर लड़ाई में बने रहने की कोशिश की है ।
टीवी मीडिया ने हमेशा की तरह अफ़सरों की नियुक्ति के मामले में केजरीवाल को ग़लत घोषित कर कैम्पेन शुरू कर रक्खा था । जवाब में “आप” की ओर से तथ्यों, अब तक की गई नियुक्तियों पर पालन की गई प्रक्रियाओं और नियमों की संबंधित धाराओं को सोशल मीडिया में डाला जाता रहा। टीवी मीडिया इसे इग्नोर करके अपना ड्रम बजाता रहा।
पर राजीव धवन की लिखित ओपिनियन के Indian Express में विस्तार से छपने के बाद टीवी मीडिया को दूसरा पक्ष भी रखने पर मजबूर होना पड़ा ।
अब अपना मुँह बचाने के लिये टीवी मीडिया ख़ुद अपने गढ़े संविधान विशेषज्ञ ( जिनकी विशेषज्ञता कभी किसी कोर्ट के सामने Scrutinised नहीं हुई) सुभाष कश्यप और एस के शर्मा को उलटे बल्ले की बैटिंग करने के लिये सामने लाया है । आपको याद होगा कि जीवन में एक बार भी कश्यप साहब की विशेषज्ञता बीजेपी के किसी कारनामे के ख़िलाफ़ जाने का ज्ञात इतिहास नहीं है !
कुछ रिटायर्ड बाबू जैसे उमेश सहगल भी संध्या बहसों में बैठा लिये जाते हैं । रिटायर होने के बाद सहगल कई कंपनियों के बोर्ड पर रहे और दिल्ली सरकार और केन्द्र में उन कंपनियों की दलाली के लिये प्रसिद्ध हैं । वे किसी धारा/नियम/instance का हवाला नहीं देते बस फ़ैसला सुना देते हैं कि दिल्ली में सारी पावर एल जी के पास है ! ये टीवी चैनलों के प्रिय नमूने हैं ! इन सबको एक सुस्पष्ट क़ानूनी राय के मुक़ाबले झूठ का क़िला बनाने के लिये खड़ा किया गया है।
शीतल पी सिंह के एफबी वॉल से
abhishek
May 20, 2015 at 2:54 pm
channels main education nahi hain . there are not information the about the constitution of india , atlesat should want press act and the prevelage of the journalist . and also pti and pci . but there is not information .
nk
May 20, 2015 at 4:06 pm
H’s Fulka to khud AAP. Ka member hai, par aapne usko bahut tavazzo di hai, this shows ur bias. Thoda apni gireban me jhaanke.