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उत्तर प्रदेश

अखिलेश यादव लिफाफा प्रेमी पत्रकारों, भ्रष्ट अफसरों और चाटुकार नेताओं की गिरफ्त में थे!

Manoj Kumar Mishra : उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों से पूर्व चाटुकारों से घिरे अखिलेश यादव जनता की नब्ज और जमीनी हकीकत समझ ही नहीं पाये। एक के बाद एक रणनीतिक चूक करते हुए वो बार बार ये हवाई दावे करते रहे कि “जनता अपना मन बना चुकी है” और अपने ही भ्रमजाल से बाहर नहीं निकल सके।

<p>Manoj Kumar Mishra : उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों से पूर्व चाटुकारों से घिरे अखिलेश यादव जनता की नब्ज और जमीनी हकीकत समझ ही नहीं पाये। एक के बाद एक रणनीतिक चूक करते हुए वो बार बार ये हवाई दावे करते रहे कि "जनता अपना मन बना चुकी है" और अपने ही भ्रमजाल से बाहर नहीं निकल सके।</p>

Manoj Kumar Mishra : उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों से पूर्व चाटुकारों से घिरे अखिलेश यादव जनता की नब्ज और जमीनी हकीकत समझ ही नहीं पाये। एक के बाद एक रणनीतिक चूक करते हुए वो बार बार ये हवाई दावे करते रहे कि “जनता अपना मन बना चुकी है” और अपने ही भ्रमजाल से बाहर नहीं निकल सके।

पूरे पांच साल अखिलेश स्वप्नलोक की दुनिया में थे। जनता से पूरी तरह कटे अखिलेश “लिफाफा प्रेमी” पत्रकारों, भ्रष्ट अधिकारियों और चाटुकार नेताओं के गिरफ्त में थे। इन सब ने मिल कर उनके दिमाग में ऐसी छवि गढ़ी कि उन्हें उन्हें खुद के विकास पुरुष और विजनरी नेता होने का भ्रम होने लगा। चचा रामगोपाल ने पीएम मटेरियल बता बता के बता बता के इतना हवा भर दिया कि तो खांटी राजनीतिज्ञ पिता मुलायम सिंह के सीने पर सवार हो गए और उन्ही के धोबी पाट से चचा शिवपाल को चित कर दिया।

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फिर क्या था अब तो उन्हें खुद के अन्दर चाणक्य भी नज़र आने लगा और जिस राहुल को पूरे भारत का बच्चा बच्चा उपहास का पात्र समझता था उसका साथ उन्हें रास आने लगा। वो सत्ता में रहते हुए सतत अध्ययन, कठोर मेहनत और जनता के सीधे संपर्क में रहते हुए उसके फीड बैक के महत्व को कभी समझ ही नही सके, बस लखनऊ में बैठे बैठे शिलान्यास और उद्घाटन के पत्थरों का अनावरण कर हवाई किले बनाते रहे।

आज जनता ने जब अपना मन बता उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसका दिया तो भी वो यथार्थ को स्वीकार न कर अपरिपक्व, बचकाने बयान बाजी पर उतर आये हैं।

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उम्र अभी अखिलेश के साथ है, उन्हें हर विषय पर गहन अध्ययन करना चाहिये, चिंतन करना चाहिए ,जनता की अपेक्षा और नब्ज को समझने के बाद ही उन्हें अपनी भावी रणनीति और सड़क पर आंदोलनों की रूपरेखा तय करनी चाहिए। अपने बयानों में भी उन्हें बेहद समझदारी और सतर्कता बरतनी होगी वरना जल्द ही केजरीवाल और राहुल की तरह उपहास का पात्र बनने में उन्हें भी समय नहीं लगेगा।

लखनऊ के युवा उद्यमी मनोज कुमार मिश्रा की एफबी वॉल से.

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0 Comments

  1. Harish Basedia

    April 30, 2015 at 7:06 pm

    अरे। मूर्ख लोगों फोटोशॉप की कलाकारी तो देख लेते।
    जबलपुर में यह सही छपा है और कुछ दिनों से प्रतिद्वंद्वी अखबार के लोग इसे वाट्सअप पर शेयर कर रहे हैं। जबलपुर के लोगों से तो कम से कम शेयर कर लेते।

  2. Sanjay Singh

    May 1, 2015 at 2:56 pm

    क्‍यों झूठ लिखते हो अखबार में सही छपा था

  3. Abhishek Kumar,

    May 4, 2015 at 8:05 am

    are murkhadiraj, akhbar ko badnaam mat karo .agar galati hui hai to bhi .agar tum is akhbar ke editor hote aur ye galati hoti to kya yahi likhte?

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