Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

अकस्मिक घटना नहीं थी चौरी-चौरा विद्रोह: प्रो. चमनलाल

CC 1

प्रसिद्ध क्रांतिकारी दुर्गा भाभी के जन्म दिन 07 अक्टूबर, 2014 को सुभाष चन्द्र कुशवाहा की चर्चित पुस्तक- चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन पर लखनऊ मॉन्टेसरी इन्टर कॉलेज के सरदार भगत सिंह सभागार में चर्चा, परिचर्चा आयोजित की गई । सबसे पहले शहीद भगत सिंह और दुर्गा भाभी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। उसके बाद कॉलेज की छात्राओं ने प्रसिद्ध क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल का गीत ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’, गा कर माहौल में गर्मजोशी पैदा कर दी। लखनऊ विश्वविद्यालय की डॉ. रश्मि कुमारी ने दुर्गा भाभी के योगदान पर वृत्त चित्र प्रस्तुत किया। ‘चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन’ पुस्तक के लेखक सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने इतिहासकारों से उनके कार्य पर प्रकाश डालने का अनुरोध किया और इस कार्य को करने की प्रेरणा तथा दस्तावेजों को हासिल करने की मशक्त को संक्षेप में उल्लेख किया।

CC 1

CC 1

प्रसिद्ध क्रांतिकारी दुर्गा भाभी के जन्म दिन 07 अक्टूबर, 2014 को सुभाष चन्द्र कुशवाहा की चर्चित पुस्तक- चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन पर लखनऊ मॉन्टेसरी इन्टर कॉलेज के सरदार भगत सिंह सभागार में चर्चा, परिचर्चा आयोजित की गई । सबसे पहले शहीद भगत सिंह और दुर्गा भाभी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। उसके बाद कॉलेज की छात्राओं ने प्रसिद्ध क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल का गीत ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’, गा कर माहौल में गर्मजोशी पैदा कर दी। लखनऊ विश्वविद्यालय की डॉ. रश्मि कुमारी ने दुर्गा भाभी के योगदान पर वृत्त चित्र प्रस्तुत किया। ‘चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन’ पुस्तक के लेखक सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने इतिहासकारों से उनके कार्य पर प्रकाश डालने का अनुरोध किया और इस कार्य को करने की प्रेरणा तथा दस्तावेजों को हासिल करने की मशक्त को संक्षेप में उल्लेख किया।

मुख्य वक्ता प्रो. चमनलाल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सुभाष चन्द्र कुशवाहा की इस किताब को चौरी चैरा विद्रोह की एकदम नई कहानी के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आन्दोलन में भगत सिंह और चौरी चौरा के विद्रोहियों को लम्बे समय तक विकृत कर प्रस्तुत किया गया। बाद में इतिहासकारों और प्रबुद्ध जनों के बीच जितना भगत सिंह प्रसिद्ध हुए, उतना ही चौरी चौरा विद्रोह। चौरी चौरा विद्रोह पर जब शाहिद अमीन की किताब आई, तब इस विद्रोह के विद्रोहियों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा। उससे पूर्व राजबली पाण्डेय जैसे इतिहासकार इसे गुण्डों का कृत्य कह कर, बदनाम किए हुए थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उन्होंने कहा कि राजबली पाण्डेय और दीनानाथ बत्रा जैसे इतिहास के दुश्मन हमेशा इतिहास के साथ गद्दारी करते रहे हैं। चमनलाल ने कहा कि चौरी चौरा थाने की हिंसक घटना के बाद सत्याग्रहियों द्वारा 23 पुलिस कर्मियों को जिंदा जला देने और उस हिंसा के बहाने महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस ले लेने से क्रांतिकारियों का मोहभंग हुआ। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसने एक वैकल्पिक क्रांतिकारी आंदोलन को जन्म दिया। इसलिए इतिहास के एक छात्र होने के नाते, इस क्रांतिकारी आंदोलन को और अधिक गौर से जानना आवश्यक हो गया था।

वर्ष 2009 में शाहिद अमीन की किताब ने भी मुझे प्रभावित किया था लेकिन सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने शायद उनसे भी ज्यादा परिश्रम किया है और यहां तक की आंदोलन के बाद, चौरी चौरा के लोगों के संघर्ष को और अधिक सजगता से प्रकाश में लाया है। चमनलाल ने कहा कि लेखक ने प्रशासन द्वारा चौरी चौरा स्मारक पर लगाये गए काले ग्रेनाइट पत्थर पर लिखे चौरी चौरा विद्रोह के विवरण को चुनौती दी है। इस शिलालेख में रहस्यमय तरीके से आंदोलन के केन्द्र बिन्दु डुमरी खुर्द गांव का नाम गायब कर दिया गया है, जहां से संघर्ष की सभी गतिविधियां संचालित हुईं। जहां के दलितों, मुसलमानों और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों ने एक बड़े पैमाने पर विद्रोह को संचालित किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक ने गांधी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत की चर्चा की है। लेखक ने गांधी पर जनता के चुंबकीय प्रभाव को रेखांकित किया है। यहां तक कि एक 104 वर्षीय महिला का जिक्र किया है जो कई धार्मिक स्थानों का दौरा करने के बाद, गांधी को भगवान के अवतार के रूप में देखने आयी थी। 1920 में लोकमान्य तिलक के निधन के बाद महात्मा गांधी कांग्रेस पार्टी के निर्विवाद नेता बन गये थे और उसके बाद कुछ विशेष प्रकार के सत्याग्रह कांग्रेस द्वारा प्रारम्भ किए गए लेकिन जब भी हिंसा की छोटी-सी घटना प्रकाश में आई, गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। 

जनवरी 1922 से, सम्पूर्ण देश और संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) में भी अशान्ति की तमाम घटनाएं हुईं। चमनलाल ने कहा कि लेखक ने इस तर्क को खारिज किया है कि चौरी चौरा विद्रोह की घटना अकस्मात घटित हुई। यह पृष्ठभूमि थी और उस प्रक्रिया की परिणति भी। थानेदार गुप्तेश्वर सिंह और सत्याग्रहियों में हुई बहस के बाद माहौल गर्म हुआ और पुलिस ने हमला कर दिया। जिससे कम से कम दो सत्याग्रहियों की मौत हो गई। कुछ का मानना था कि 26 सत्याग्रहियों की मौत हुई। इस प्रकार उकसाने के कारण सत्याग्रहियों ने थाने पर हमला बोल दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

संक्षेप में कहा जा सकता है कि लेखक ने एक सराहनीय काम किया है। यह किताब हिंदी में लिखी गई है और अंतरराष्ट्रीय पब्लिशिंग हाउस, पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित हुई है फिर भी अंग्रेजी घमंड के कारण भारतीय शिक्षाविदों के बीच ज्यादा क्रेडिट नहीं प्राप्त कर सकेगी, ऐसी मुझे आशंका है। फिर भी उम्मीद है कि इस किताब के कारण चौरी चौरा की अनदेखी नहीं होगी, जो कांग्रेसी किस्म में नेताओं द्वारा जानबूझकर चौरी चौरा की वास्तविकता के बारे में बताने से रोका गया है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि हमारा समाज ज्ञान विरोधी है। सरकारें ज्ञान विरोधी समाज बना रही हैं और आगे इतिहास को और भी उपेक्षित करने की कोशिश होगी, ऐसी आशंका है। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि मात्र 23 वर्ष की अवस्था में भगत सिंह एक चिंतक के रूप में हमारे सामने आते हैं। लखनऊ मॉन्टेसरी इन्टर कॉलेज में ही प्रसिद्ध क्रांतिकारी शिव वर्मा ने पहली बार पढ़ाना शुरू किया कि भगत सिंह क्या थे? उससे पूर्व बड़े-बड़े इतिहासकार भी क्रांतिकारी इतिहास में फर्क नहीं कर पाते।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रो. प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने चौरी चौरा विद्रोह पुस्तक के लेखक सुभाष चन्द्र को बधाई देते हुए कहा कि शोधार्थियों को मैं बार-बार कह रहा हूं कि सुभाष चन्द्र कुशवाहा की इस किताब को जरूर पढ़े और देखें कि शोध कैसे किया जाता है? उन्होंने किताब के दूसरे और तीसरे खण्ड को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि किसी घटना के अंदर प्रवेश कर इतिहास कैसे लिखा जाता है, यह बात सुभाष चन्द्र कुशवाहा की इस किताब से जानने को मिलेगा। किताब के पहले भाग में गांधी के बारे में उठाये गये प्रश्नों का उत्तर देते हुए प्रमोद जी ने कहा कि फिल्मों में तो खलनायक होता है परन्तु परिवार में खलनायक नहीं होता।

हम क्रांतिकारियों को ऊंचा दर्शाने के लिए गांधी को नीचा क्यों दिखाना चाहते हैं? हमें इतिहास के पात्रों से घृणा करने के बजाय प्यार करना चाहिए। उन्होंने चौरी चौरा कांड के बाद गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लेने की निंदा को यह कह कर बचाव करने की कोशिश की कि कांग्रेस और गांधी एक नहीं थे। दोनों अलग-अलग थे। यही कारण है 1947 में सभी ने गांधी को किनारे कर दिया। उन्होंने पहले अध्याय की एकाध त्रुटियों का उल्लेख करते हुए अपेक्षा की कि अगले संस्करण में इसे दुरुस्त कर लिया जाना चाहिए।
 
दलित लेखक और पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद ने चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन के वर्गीय दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए कहा कि सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने यह किताब लिख कर एक जरूरी काम किया है। इतिहास में भुला दिए गए दलितों और मुसलमानों के योगदान को रेखांकित कर यह सिद्ध किया है कि आजादी की लड़ाई में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कार्यक्रम के अंत में लखनऊ मॉन्टेसरी इन्टर कॉलेज के अध्यक्ष उमेश चन्द्र ने सभी उपस्थित अतिथियों को हार्दिक धन्यवाद प्रस्तुत किया। इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहासकार, इतिहास के शोधार्थी भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इनके अलावा शहर के प्रबुद्ध नागरिकों सहित एपवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ताहिरा हसन, इतिहासकार वीरेन्द्र प्रसाद, अजय कुमार मिश्र, साहित्यकार नलिन रंजन, शकील सिद्दीकी, वरिष्ठ पत्रकार अमरीश, जनसंदेश टाइम्स के संपादक और कवि सुभाष राय, कवि भगवान सिंह कटियार, सामाजिक कार्यकर्ता, लाल बहादुर सिंह, आलोक, तहरीके निस्वां की अध्यक्ष रफत और बाल मुकुन्द धूरिया सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अध्यापक एहतशाम अली ने किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.
2 Comments

2 Comments

  1. गोपाल जी राय

    October 9, 2014 at 5:49 am

    अंग्रेजी मे लिखने वाले ज़्यादातर इतिहासकारो ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के इतिहास को गलत लिखा है या फिर उसे ज्यादा महत्व नहीं दिया है बड़ी बड़ी घटनाओ को एक लाइन मे लिख कर समाप्त कर दिया है।यहा की घटनाओ का सही मूल्यांकन नहीं किया है.

  2. विनी

    January 1, 2019 at 6:12 pm

    चौरी चौरा कांड बहुत बड़ा था जिसकी वजह से देश में उपद्रव मच गया था
    और असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया गया

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement