एक जमाने का चर्चित अखबार चौथी दुनिया कुछ वर्षों पहले जब दुबारा चालू हुआ तो ढेर सारे लोग प्रसन्न हुए. संतोष भारतीय को इस अखबार की कमान सौंपी गई जो कभी शुरुआती दौर के चौथी दुनिया के भी संपादक थे. पर लोगों ने जो आशंका जताई थी, वही हुआ. सेकेंड राउंड में शुरू हुआ चौथी दुनिया भी चल बसा. संतोष भारतीय ने एक रोज सभी संपादकीय कर्मियों की मीटिंग बुलाकर ऐलान कर दिया कि अखबार के पास देने के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए सभी लोग नौकरी खोज सकते हैं. यहां काम करने वाले इंप्लाई कहते हैं- ”35 लाख का फार्चूनर कार खरीदने वाला संपादक बोल रहा है कि जो भूखे काम कर सकता है, वही रहे मेरे साथ”.
उल्लेखनीय है कि पिछले एक महीने से चौथी दुनिया अखबार का प्रकाशन नहीं हो रहा है. संपादक ने अपने कर्मचारियों से बोल दिया है की जो भूखे पेट रह सकता है वही मेरे साथ काम करे क्योंकि फरवरी तक पैसा नहीं दे सकता. तुर्रा ये कि अक्टूबर से अब तक की सैलरी नहीं मिली है. ये अलग बात है कि देश के सबसे (“विश्वसनीय”!) पत्रकार संतोष भारतीय ने छह महीने पहले ही 35 लाख की फार्चूनर खरीदी है, न जाने कहां से अर्जित धन पर!
ये अलग बात है कि संतोष भारतीय दिल्ली के प्रदूषण से राहत पाने के लिए एक महीना पहाड़ पर बिता कर आए हैं, इसी नवम्बर में. बताया जाता है कि यह काम भी वह ऑफिस के खर्चे पर किए हैं. वे महीने में 4 बार मुंबई जाते हैं फ्लाइट से, वह भी ऑफिस के खर्चे पर. संपादक जी ने मालिक के पैसे पर जम कर ऐश किए और अभी भी कर रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों को सैलरी देने के नाम पर समाजवाद और पत्रकारिता का पाठ सिखाते हुए ज्ञान देते हैं कि जो भूखे रह सकता है, वही मेरे साथ काम करे.
संतोष भारतीय की मित्र और सहकर्मी फ़ौजिया अरशी ने एक ‘महान’ फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ बना कर कंपनी को करोड़ो का मुनाफा (यहाँ चाहे तो हंस सकते है) दे कर कंपनी को (क)बाड़-बाड़ कर दिया. बताया जाता है कि अब अखबार बंद कराने के बाद चौथी दुनिया संस्था की कमान भी वे पूरी तरह अपने हाथ मे ले चुकी हैं. यानि वही अब वही चौथी दुनिया की असली संपादक हैं.
फिलहाल, देश के स्वघोषीत “विश्वसनीय” और “निर्भीक” पत्रकार संतोष भारतीय का साथ एक एक कर के पुराने कर्मचारी छोड़ रहे हैं. दो इस्तीफे हो चुके हैं. बाकी के कर्मचारी भी जल्द ही इस्तीफा देने वाले हैं. संपादक महोदय और उनकी साथिन इंटर्न के जरिए वेबसाइट चलाने की योजना बना रहे हैं ताकि किसी को पैसा भी न देना पड़े!
ज्ञात हो कि चौथी दुनिया के मालिक कमल मोरारका हैं जो जाने माने उद्योगपति के अलावा चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल में केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण केंद्रीय मंत्रालय संभाल चुके हैं. पिछले दिनों कमल मोरारका को लेकर कुछ बातें पूरे मीडिया जगत में बहुत तेज वायरल हुई थीं जिसमें बताया गया था कि उनका कोई स्टिंग हो चुका है. लोग चौथी दुनिया अखबार की दुबारा बंदी को इस स्टिंग से भी जोड़कर देख रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि कमल मोरारका का ये स्टिंग उनके कुछ बेहद खास करीबी लोगों ने ही कराया है.
उल्लेखनीय है कि कमल मोरारका का अंग्रेजी में मुंबई में एक अखबार है. दिल्ली से उनका अखबार चौथी दुनिया प्रकाशित होता था. चौथी दुनिया का पहला कार्यकाल काफी महान रहा जिसके दौरान ढेर सारे सरोकारी पत्रकार आगे निकले और मुख्य धारा की प्रिंट-टीवी मीडिया में संपादक बने. फिलहाल खुद चौथी दुनिया द्वारा दुबारा इस्तीफा दे दिए जाने की खबर से इससे जुड़े रहे लोगों और इसके चाहने वालों में थोड़ा-सा आह भर गया है!
संपादक महोदय की और भी कई कहानियां हैं…. लीगल-इलीगल…धीरे-धीरे सब परते खुलेंगी।
चौथी दुनिया में कार्यरत एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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