यूपी के एटा जिला जेल से जमानत पर बाहर आकर एक महिला ने एटा जेल अधीक्षक अनूप कुमार पर जेल में अवैध वसूली, छेड़छाड करने और शारीरिक सम्बन्ध बनाने का प्रयास करने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। उसने अपनी शिकायत मुख्यमंत्री, महिला आयोग, डीजी जेल, मानवाधिकार आयोग, डीएम, एसएसपी से की है। डीआई जी जेल आगरा और महिला आयोग की टीम ने एटा जेल पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
एटा जेल में एक मामले में निरुद्ध रही और अब जमानत पर बाहर आयी एक महिला बंदी ने जेल के खेल की जो हैरतअंगेज दास्ता बताई उससे हर कोई हैरान है। इस महिला का आरोप है कि वो १३ अप्रैल २०१६ को एक मामले में न्यायालय में हाजिर होकर एटा जिला कारागार गयीं जहां उससे जेल की महिला बंदी रक्षक पुष्पारानी ने ६०० रुपये की अवैध वसूली की मांग की। उसने कहा कि यह वसूली जेल अधीक्षक अनूप सिंह द्वारा सभी से कराइ जाती है। इस महिला के पास जेल में रुपये न होने के कारण ये ६०० रुपये नहीं दे सकी। इस महिला का आरोप है कि जेल अधीक्षक द्वारा उसे खुद अपने कार्यालय में तलब करके पैसा मंगाने के लिए दबाव दिया गया। हद तो तब हो गयी जब इस महिला बंदी रक्षक द्वारा अवैध वसूली के ६०० रुपये न देने पर जेल की महिला बंदी रक्षक पुष्पा रानी ने इसका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न शुरू कर दिया और कहा कि आप एक बार जेल अधीक्षक अनूप सिंह से शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर लो तो यह रुपया आपको नहीं देना पड़ेगा।
इस महिला बंदी का आरोप है कि इसके बाद जेल अधीक्षक अनूप सिंह ने इसे अपने ऑफिस में बुलाकर अपनी इच्छापूर्ति हेतु दबाव डाला और इच्छापूर्ति की बात न मानने पर प्रार्थिनी की जेल की अन्य बंदियों से पिटाई करवाने की धमकी दी। इस बात की शिकायत जब पीड़िता ने जेलर पीके सिंह से की तो उन्होंने भी जेल अधीक्षक के दबाव में आकर चुप्पी साध ली। इस महिला का आरोप है कि २ मई को जेल अधीक्षक अनूप सिंह ने जेल की महिला बंदी रक्षक पुष्पारानी से जेल कार्यालय में बुलवाकर बदनीयती से दबोच लिया। पीड़िता द्वारा चीखने व विरोध करने पर महिला बंदी रक्षक और जेल अधीक्षक द्वारा पीड़िता की बेरहमी से मारपीट की गयी जिससे पीड़िता के कपडे फट गए और वह अर्धनग्न हो गयी।
पीड़िता ने इस घटना को जेल के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को बताया परन्तु जेल अधीक्षक के दबाव के कारण पीड़िता की फ़रियाद किसी ने भी नहीं सुनी। पीड़िता का आरोप है कि एटा जेल में प्रत्येक महिला बंदी के साथ इस प्रकार का आर्थिक और शारीरिक शोषण किया जाता है। पीड़िता जब ९ मई को जेल से रिहा होकर बाहर आयी तब उसने महिला आयोग, मुख्यमंत्री, मानवाधिकार आयोग, एटा के जिला अधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, डीजी जेल से शिकायत की जिस पर डीआई जी जेल और महिला आयोग की टीम ने जेल में आकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
पीड़ित महिला ने बताया कि अब जेल अधीक्षक अनूप सिंह के गुंडे उसे अनूप सिंह से समझौता करने का दबाव बन रहे हैं और धमकी दे रहे हैं कि यदि तुमने फैसला नहीं किया तो तुम्हें जान से मरवा देंगे और मुक़दमे लगवा देंगे। पीड़ित महिला को इन गुंडों ने दो दिन पूर्व घेरा भी था परन्तु टॉयलेट के बहाने किसी तरह से वो अपनी जान बचा कर भाग आयी। उसने मुख्य्मंत्री से अपनी सुरक्षा किये जाने और जेल अधीक्षक अनूप सिंह को सस्पेंड कर उसके खिलाफ जांच करवाकर कार्यवाही करने की अपील की है।
इस पीड़ित महिला के अतिरिक्त तीन अन्य महिला बंदी रही महिलाओ प्रेमवती, उषा रानी और शहनाज ने भी जेल में महिला बंदियों से जेल अधीक्षक अनूप सिंह द्वारा जबरन ६०० रुपये अवैध वसूल किए जाने की शिकायत एटा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, महानिदेशक कारागार उत्तर प्रदेश और महिला आयोग से की है जिसकी जांच की जा रही है। इस पूरे मामले में जब एटा के जिला अधिकारी अजय यादव और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय शंकर राय से बात करने की कोशिश की गयी तो इन लोगों ने मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करते हुए कैमरे पर कुछ भी बोलने से साफ़ इनकार कर दिया। इस मामले में जब एटा जेल के अधीक्षक अनूप सिंह से बात की गयी तो उन्होंने सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
इस प्रकरण से संबंधित वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=csoYUYTai7Q
एटा से धनंजय की रिपोर्ट.
ramesh raj
June 8, 2016 at 8:32 am
भारत में जेल की दशा काफी दयनीय है। जेलर आज भी अंग्रेजी मानसिकता के हैं बंदियों को गुणवक्तायुक्त भोजन नहीं मिलता। सोने, बाथरूम जाने में ऐसा लगता है कि यह नर्क का द्वार है हद तो तब हो जाती है जब जेलर अन्य बंदियों के माध्यम से बंदियों की वसूली के लिए बेरहम पिटाई करवाता है। नारियल की कूची से हाथ से लेट्रिन रूम साफ कराया जाता है। नियमानुसार जज को हर माह जेल का दौरा करना चाहिए और बंदियों से समस्या पूछनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया जाता। दिखाने के लिए सिर्फ सीसीटीवी कैमरा लगा दिया जाता है। जेल जाने के बाद गरीब की मानवता तिल तिल कर मरती है;
lala rajput
June 8, 2016 at 8:35 am
जेल जाने के बाद कैदी के जीने का अधिकार खत्म नहीं होता। यह तो देश का भ्रष्टाचार है जो किसी को खुले में जीने नहीं देता वह तो जेल है।