Girish Pankaj दुर्भाग्य की बात है. अमर उजाला जैसे बड़े अखबार में अगर इस तरह के छोटे मन वाले ब्यूरोचीफ रहेंगे तो पत्रकारिता कहां जाएगी? महत्वपूर्ण पत्रिका शार्परिपोर्टर पत्रिका के दो दिवसीय आयोजन (“मीडिया मंथन”) में देशभर के बुद्धिजीवी आते हैं तो यह निजी कार्यक्रम कतई नहीं हो सकता। दो दिनों तक मीडिया के विविध आयामों पर बात होती है।
चंदन तिवारी जैसी लोक गायिका का कार्यक्रम होता है। देश के दस विशिष्ट व्यक्ति आजमगढ़ की धरती से जुड़ी विभिन्न प्रतिभाओं के नाम से समादृत होते हैं। यह सम्पादक अरविंद सिंह का व्यक्तिगत कार्यक्रम नहीं हो सकता। यह किसी पत्रकार के घर की शादी नहीं थी। एक सार्वजनिक कार्यक्रम था, जिसमें शहर के और आसपास के ही सैकड़ों लोग उपस्थित थे। मुझे उम्मीद है कि इस पत्र के बाद अमर उजाला के संपादक की आंख खुलेगी और और वह अपने ब्यूरो चीफ को, उसकी मूर्खता पर दंडित भी करेंगे।
PraShant SiNgh अमर उजाला के ब्यूरो चीफ इस तरह की बचकानी हरकत कर सकते हैं। इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं की जा सकती थी। आजमगढ़ वासियों के लिये यह आयोजन गौरवान्वित करने जैसा था। शुक्रिया Arvind Kumar Singh सर जी। आजमगढ़ को आतंकगढ़ नाम देने वाले के ऊपर मीडिया मंथन का आयोजन एक तमाचा था।
Sanjay Srivastav आपके कार्यक्रम की सफलता की चर्चा जन जन में है धैर्य रखना चाहिए
Arvind Kumar Singh ठीक बात है भईया। लेकिन जब बात आप की मर्यादा और साख बन आए तो उसकी रक्षा तो करनी ही होगी। कोई आप का चरित्र हनन करें और आप महात्मा बनें रहें, यह कम से कम गांधी और लोहिया जैसे महान व्यक्ति कर सकते हैं। मैं सामान्य मानव हूँ और मेरे से भी मावनोचित व्यवहार की ही अपेक्षा की जा सकती है। मेरे भी सहन की सीमा है। एक फेक आडियो के आधार अंबुज राय और उनके चीफ का व्यवहार आपराधिक है। ऐसे में शांत होकर सबकुछ छोड़ देना कायरता की निशानी होगी। ये लोग एक बड़े अखबार मुलाजिम हैं, हमारे आप के भाग्य विधाता नहीं।
Sanjay Srivastav आप बिल्कुल सही हैं। उसके बाद भी मैं समय का इंतजार कर प्रतिक्रिया के लिए कहूंगा।
Ravi Upadhyay इस अखबार में मैं ब्यूरो चीफ रहा… सहयोगियों के कारगुजारियों से मैं वाकिफ हूं… बता दूं, साथ में काम करने वालों का कोई ईमान नहीं था… मान लें कि वे पेशेवर थे…. आज भी मेरे मानदेय के साथ हजारों रुपए प्रबंधन की ओर से नहीं दिए गए… मैं कई बार पत्राचार किया बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई…..आज अखबार घरानों से मैं खुद को बाहर कर लिया..खुश हूं
Subhash Chandra Singh पता नहीं मेरी बात आपको अच्छी लगे या ना लगे, मैं कहना चाहता हूं। आप ने कार्यक्रम अच्छा कराया। अच्छी तरह से समाप्त हो गया। किसने लिखा किसने नहीं लिखा, कार्य क्रम की जितनी चर्चा होनी थी हो चुकी। मेरे यह विचार निजी है कि अब इस तरह की चर्चाओं को हम बंद कर देना चाहिये। समाज में मीडिया की ऐसी भी छवि लगातार गिर रही है। अब इस तरह की चर्चा से और भी खराब होगी। आप का कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा, मैं इसके लिए आपको बधाई देता हूं। आपसे उम्र में बड़ा होने के नाते मैं अनुरोध करूंगा कि बातों को समाप्त कर दिया जाए।
Arvind Kumar Singh जब आप हमारे साथ हैं कार्यक्रम ठीक होना ही था। लेकिन जब आडियो जारी कर हमारा और हमारे कार्यक्रम का चरित्रहनन किया जाए तो जवाब तो देना ही पडेगा सर।
सौजन्य फेसबुक.
मूल खबर ये है….