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राफेल पर सुनवाई से भाग रही केंद्र सरकार, चीफ जस्टिस ने लगाई फटकार

उच्चतम न्यायालय में बड़े पावरफुल लोगों द्वारा बेंच फिक्सिंग के आरोपों की तपिश लगातार महसूस की जा रही है और आज उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि न्यायालय के साथ हाइड एंड सीक का खेल नहीं खेला जा सकता है। उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को राफेल पुनर्विचार याचिका, राहुल गाँधी के खिलाफ अवमानना याचिका तथा प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा चुनाव आयोग की आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ने पर चुनाव आयोग की चुप्पी जैसे तीन हाईप्रोफाइल मामले की सुनवाई होनी है। लेकिन उम्मीद के अनुरूप मोदी सरकार राफेल मामले में सुनवाई से भागती नजर आ रही है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय में वह स्वीकार कर चुकी है कि द हिन्दू में प्रकाशित राफेल दस्तावेज़ असली हैं पर चोरी करके छापे गये हैं। केंद्र सरकार ने राफेल पर सुनवाई टालने और अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देने की मांग की है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केंद्र सरकार को फटकार लगते हुये कहा कि न्यायालय के साथ लुका-छिपी का खेल नहीं खेला जा सकता है। यह मामला पहले से ही ओपन कोर्ट में है। इसके लिए आप मेंशनिंग क्यों चाहते हैं? आपका सिर्फ यही कहना काफी था कि आप पुनर्विचार याचिका में एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने चाहते हैं। आप यह लुका-छिपी का खेल क्यों खेल रहे हैं? हम आपको अतिरिक्त हलफनामा दायर करने की अनुमति देते हैं, लेकिन कल होने वाली सुनवाई टाली नहीं जाएगी।

मेंशनिंग में नाम ना बोलने पर मुख्य न्यायाधीश नाराज हो गए और उन्होंने केंद्र सरकार के वकील को फटकार लगाई। इसके साथ ही पीएम मोदी और अमित शाह के कथित तौर पर आचार संहिता उल्लंघन मामले में अभिषेक मनु सिंघवी को भी फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि सब कोर्ट के साथ हाइड एंड सीक का खेल क्यों खेल रहे हैं? मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि केंद्र के वकील कह रहे हें कि वो जवाबी हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं, लेकिन ये नहीं बता रहे कि वो राफेल में हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं। इसलिए उनको और वक्त चाहिए तो वो सुनवाई टालना चाहते हैं। उनको कहना चाहिए कि कल (मंगलवार) दो बजे होने वाली राफेल मामले की सुनवाई में वो जवाबी हलफनामा दाखिल करना चाहते है। इसी तरह सिंघवी भी पीएम मोदी और अमित शाह का नाम नहीं ले रहे।आपको ये सब बंद करना चाहिए। न्यायालय के साथ हाईड एंड सीक खेल नहीं चलेगा।

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इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने राफेल से जुड़े दस्तावेजों पर केंद्र सरकार के ‘विशेषाधिकार’ वाले दावे को खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने उन दस्तावेजों के आधार पर सुनवाई करने का फैसला दिया, जिन्हें सरकार की तरफ से विशेषाधिकार बताया जा रहा था। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए तारीख तय की थी।

राहुल गांधी का हलफनामा

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बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की तरफ से दायर अवमानना याचिका के सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में नया हलफनामा दाखिल किया है। नए हलफनामे में भी कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने ‘चौकीदार चोर है’ बयान पर खेद ही जताया है, माफी नहीं मांगी है। नए हलफनामे में राहुल गांधी ने कहा है कि राजनीतिक लड़ाई में कोर्ट को घसीटने का उनका कोई इरादा नहीं है। उन्होंने मीनाक्षी लेखी पर अवमानना याचिका के जरिए राजनीति करने का आरोप लगाया है। मामले में मंगलवार को सुनवाई होनी है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के सामने पेश हुए राहुल गांधी के वकील सुनील फर्नांडीज ने कहा कि उन्हें अवमानना नोटिस का जवाब देने की इजाजत दी जाए। पीठ ने राहुल गांधी के वकील को काउंटर ऐफिडेविट दाखिल करने की इजाजत दे दी। उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल को राहुल गांधी को आपराधिक अवमानना नोटिस जारी किया।

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राहुल गांधी ने अवमानना को लेकर पहले दी गई दलील को ही आधार बनाया है. वहीं इससे पहले राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ वाले बयान पर स्पष्टीकरण दाखिल कर ऐसा बयान जोश में देने की बात कहकर खेद जताया था. उन्होंने माना था कि उच्चतम न्यायालय ने नहीं कहा था कि चौकीदार चोर है. इसके बाद कोर्ट ने इस तरह कोई बयान न देने की हिदायत दी थी.

कांग्रेस की शिकायत पर सुप्रीमकोर्ट में मंगल को सुनवाई

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कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के मामले पर उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है। याचिका में कोर्ट से अपील की है कि वो चुनाव आयोग को इन शिकायतों पर जल्द फैसला करने का निर्देश दे। इस याचिका पर उच्चतम न्यायालय मंगलवार को सुनवाई करेगा.सुष्मिता देव ने कहा है कि चुनाव आयोग नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज होने के बाद भी कार्रवाई करने में नाकाम रहा है।याचिका में कहा गया है कि यह सबको पता है कि मोदी और शाह ने नफरत फैलाने वाले भाषण दिए हैं, अपने राजनीतिक प्रोपेगैंडा के लिए सैन्य बलों का लगातार इस्तेमाल किया है, जबकि इस पर चुनाव आयोग ने रोक लगाई थी।

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1 Comment

1 Comment

  1. Dharmraj Yadav

    April 30, 2019 at 10:36 pm

    Desh ki Janata aur desh ki adalat bahut buri isthiti se gujar rha hai agar fir se BJP ki Sarkar Bani to mujhe lagata hai ki desh me fir hukumat hi chalegi kiuki Modi to sambidhan ko hi khatam karne ke chakar me pade hai Modi hatao sambidhan bachao ……

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