Chitra Tripathi : प्रिय Navin Kumar, आप की चुनौती मुझे स्वीकार है, लेकिन आप रविवार का दिन निर्धारित करें। शनिवार को ऑफिस के काम में मेरी व्यस्तता बहुत है। आप के ज्ञान पर मुझे संदेह नहीं और इस बात को भी मैं स्वीकारती हूं कि आप मुझसे ज्यादा अनुभवी, ज्यादा पढ़ने वाले और बड़े चैनल के बड़े ओहदों पर काम कर चुके बड़े पत्रकार हैं। मैं आपसे भी बहुत कुछ सीखती हूं और इस बात को आपके सामने भी मैं कई बार स्वीकार कर चुकी हूं।
इन सब के इतर आपसे व्यक्तिगत अच्छे दोस्त का रिश्ता भी है। लेकिन नवीन, मिठाई में भी चीनी नाप कर डालनी पड़ती है। पिछले लगभग एक साल से देश का सर्वश्रेष्ठ पत्रकार घोषित करवाने के नाम पर आपने अपनी लेखनी को एकतरफा कर दिया है। आप अब सिर्फ वही लिखते हैं जो आपको ठीक लगता है। आपके क्रान्तिकारी शब्द सुनकर पहले मेरे अंदर जो सम्मान की भावना आपके लिये पैदा होती थी अब वही आपके तथाकथित क्रान्तिकारी शब्द बदहजमी पैदा करते हैं।
नवीन कुमार, ब्राहम्णों को गाली देने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि ब्राहम्ण तो कोई समस्या ही नहीं है। लेकिन आपकी सोच पूरी तरह नकारात्मक हो चुकी है। आप पढ़ते ज्यादा हैं, अच्छी बात है लेकिन किताबी ज्ञान ने आपको एक दायरे तक सीमित कर दिया है। दरअसल आपको मुझसे बहस नहीं करनी बल्कि आप मुझे ब्राहम्ण के रुप में खड़ा कर मुझे गाली देकर अपनी आत्मा की संतुष्टि करना चाहते हैं।
नवीन कुमार, मैं हर धर्म, जाति, वर्ग का सम्मान करती हूं, लेकिन मुझे अपने ब्राह्मण होने पर भी उतना ही गर्व है । बहस से भागूंगी नहीं, जगह और समय तय कीजिये। लेकिन नवीन कुमार, एकतरफा “जहर” उगलना बंद कीजिये, क्योंकि इसके जरिये आप समाज को बांटने वाली पत्रकारिता कर रहे हैं।
इंडिया न्यूज की एंकर चित्रा त्रिपाठी ने यह कमेंट न्यूज24 में कार्यरत नवीन कुमार के जिस पोस्ट पर किया है, उसे आप नीचे दिए गए शीर्षक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं….
anand
June 4, 2016 at 2:45 pm
अरे नवीन जी क्यों शर्मिंदा करते हैं…..कभी ब्राह्मण के कंघे पर ही बंदूक रख कर गोली चलाते थे…और जब सुलग गई तो ब्राह्मण बुरा लगने लगा….आप से बड़ा ओछा पत्रकार हमने आज तक नहीं देखा….कभी अपने गिरेबां में झांक कर देख लो…औकात का पता चल जाएगा…..हम जात से ठाकुर है….लेकिन कभी जातिवाद का काम नहीं किया…..आप तो बड़े ओ निकले…..अरे सीनियरिटि का तो ख्याल किजीए….सुदर्शन में आपको आपका औकात दिखा दिया गया था….लेकिन आप हैं कि सुधरे नहीं…..वास्तव में आप दिमाग से पैदल हो गए हैं…….थोड़ा सूझ और बूझ से काम लिजीए…..सुदर्शन में आपको बेईज्जत किया गया था…..उसी समय आपको सुधर जाना चाहिए था…..लेकिन आप हैं कि सुधरने के बजाए और िबगड़ते जा रहे हैं…….बड़ी बेशर्म आदमी है……शर्म किजीए…….