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सुख-दुख

मुख्यमंत्री के पीए का स्टिंग करने वाले अशोक पांडेय को भी तो जानिए

मैं यह नहीं कहता कि अशोक पांडेय ने जो स्टिंग किया वह फर्जी है, लेकिन लोगों को यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर अशोक पांडेय हैं कौन। मूलतः उत्तर प्रदेश उन्नाव के रहने वाले अशोक पांडेय ने कुछ साल पहले ही उन्नाव में नया प्राइवेट डिग्री कालेज खोला था। तब पांडेय जी समाचार पत्र दैनिक हिन्दुस्तान की कानपुर यूनिट में स्थानीय सम्पादक थे। मुझे नहीं मालूम कि एक डिग्री कालेज खोलने में कितनी लागत लगती है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या एक पत्रकार अपनी पत्रकारिता की कमाई से डिग्री कालेज खोल सकता है…। खैर आगे बढ़ते हैं। 

उत्तरांचल पुलिस वाले के सामने हाथ जोड़े हुए पत्रकार अशोक पांडेय

मैं यह नहीं कहता कि अशोक पांडेय ने जो स्टिंग किया वह फर्जी है, लेकिन लोगों को यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर अशोक पांडेय हैं कौन। मूलतः उत्तर प्रदेश उन्नाव के रहने वाले अशोक पांडेय ने कुछ साल पहले ही उन्नाव में नया प्राइवेट डिग्री कालेज खोला था। तब पांडेय जी समाचार पत्र दैनिक हिन्दुस्तान की कानपुर यूनिट में स्थानीय सम्पादक थे। मुझे नहीं मालूम कि एक डिग्री कालेज खोलने में कितनी लागत लगती है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या एक पत्रकार अपनी पत्रकारिता की कमाई से डिग्री कालेज खोल सकता है…। खैर आगे बढ़ते हैं। 

उत्तरांचल पुलिस वाले के सामने हाथ जोड़े हुए पत्रकार अशोक पांडेय

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उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में अशोक पांडेय का रामादेवी चौराहे के पास पुश्तैनी मकान है। एक अन्य मकान भी छावनी इलाके में है। इसके साथ ही उनका खुद का बनवाया मकान देहरादून में है। यहां की जमीन इत्यादि तब उन्होंने हासिल की, जब वे दैनिक जागरण अखबार में सम्पादक थे। आपको एक बात और बता दूं  कि सन 2009 में जब अशोक पांडेय दैनिक हिंदुस्तान कानपुर के सम्पादक थे, तब उन्हीं के कारखास ने मुझे बताया था कि पांडेय जी बहुत चलते-पुर्जे हैं। वो आम  सम्पादक नहीं है। और उनका देहरादून वाला मकान ही करीब एक करोड़ रुपये की लागत से बना है। 

हालांकि आपको यह भी बता दूं  कि दैनिक हिन्दुस्तान कानपुर आने से पहले अशोक पांडेय अमर उजाला की लखनऊ यूनिट में स्थानीय सम्पादक थे। उस वक्त अमर उजाला में ग्रुप एडिटर शशिशेखर का बोलबाला था और अशोक पांडेय शशिशेखर के बहुत खास लोगों में से थे। क्योंकि शशि जी को ऐसे ही आदमी बहुत पसंद आते हैं।  इस पसंद एक बड़ी वजह यह भी थी कि 2007 में अमर उजाला की लखनऊ इकाई की लांचिंग हुई थी और पहले स्थानीय सम्पादक अशोक पांडेय ही बनाये गये थे। इस लांचिंग की सारी बाधाओं को  अशोक पांडेय ने मुख्यमंत्री कार्यालय तक अपनी पहुंच के बूते दूर करा दी थीं। ऐसे में अमर उजाला के मालिक की निगाहों में ग्रुप एडिटर शशिशेखर के नंबर बढ़ गये थे। तो लाजिमी है कि शशिशेखर की निगाहों में अशोक पांडेय के नंबर भी बढ़ने थे। 

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यहां एक चीज का जिक्र करना और जरूरी है। अशोक पांडेय ने सन 2011 में कानपुर के शास्त्री नगर इलाके में लाखों रुपये का एक फ्लैट भी खरीदा था। यह फ्लैट उन्होंने अपनी करीबी अमर उजाला की एक महिला पत्रकार के लिये खरीदा था। फ्लैट जिसने बेचा वो भी इस समय दैनिक जागरण की कानपुर यूनिट में पत्रकार है। बाद में उस महिला पत्रकार ने देहरादून में ही अपना तबादला करवा लिया और फ्लैट पुनः उन्ही दैनिक जागरण वाले पत्रकार को पांडेय जी बेच गये। 

पांडेय जी का दैनिक हिन्दुस्तान कानपुर आना भी शशिशेखर की बदौलत हुआ। शशिशेखर तब तक दैनिक हिन्दुस्तान के प्रधान सम्पादक हो चुके थे और अपने चंपुओं को अमर उजाला अखबार से हिन्दुस्तान में लाने के लिये शिद्दत से जुटे थे। शशिशेखर अशोक पांडेय को हिन्दुस्तान लखनऊ का सम्पादक बनाना चाहते थे, लेकिन राह में बाधा यह थी कि लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी इस पद की कई वर्षों से शोभा बढ़ा रहे थे, और हिन्दुस्तान की मालकिन तक पहुंच रखने वाले सम्पादक थे। हिन्दुस्तान अखबार में नई-नई कुर्सी संभालने वाले शशिशेखर नवीन जोशी को छेड़कर ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे। ऐसे में अशोक पांडेय को शशिशेखर ने झारखंड का स्टेट एडिटर बनवाया। 

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अपनी इस पदोन्नति से इतराये अशोक पांडेय कुछ गलतियां कर बैठे उन्होंने किसी से चर्चा के दौरान बातों ही बातों में शशिशेखर का नाम आने पर  गालियां दे दीं। और अशोक पांडेय के विरोधियां ने गाली देते हुए वह वीडियो क्लिप बना ली और उस वीडियो क्लिप को शशिशेखर को भेज दी।  इस धृष्टता पर वही हुआ जो होना था, अशोक पांडेय को हिन्दुस्तान से शशिशेखर ने किक आउट कर दिया। लेकिन बाहरी तौर पर थोड़ा सम्मान बरकरार रखते हुए इसे अशोक पांडेय का किन्ही कारणों से इस्तीफा बताया गया। 

अशोक पांडेय उसके बाद अपना डिग्री कालेज चलाने लगे, और साथ में बसपा से उन्नाव क्षेत्र से विधायकी का टिकट हथियाने के लिये जुगत भिड़ाने लगे। बसपा के प्रति अपनी निष्ठा जताने के लखनऊ से उन्होंने एक बसपाई मैगजीन निकालने की भी कोशिश की। मायावती के बाद नंबर दो माने जाने वाले बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की चौखट के भी खूब चक्कर लगाये, लेकिन नाकाम रहे। 

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इसी बीच देहरादून में कुछ चिटफंडियों की ओर से एक रीजनल न्यूज चैनल चलाने की कोशिश की, लेकिन कुछ महीनों में उसका बंटाधार हो गया। हाल यह हुआ कि उस चैनल के कर्मचारियों को कई महीनों की सैलरी नहीं मिली। आक्रोशित इन कर्मियों ने एक दिन अशोक पांडेय को इस कदर घेरा कि पांडेय जी चैनल के दफ्तर में ही बेहोश हो गये थे, यह खबर भड़ास में भी प्रकाशित की गई थी।  

पिछले साल उन्होंने दैनिक हिन्दुस्तान में वापसी के लिये फिर एक बार जोर लगाया। शशिशेखर के करीबियों के जरिये उनसे मीटिंग फिक्स की, लेकिन नौकरी के बजाय बड़े मायूस होकर उन्हें हिन्दुस्तान के नोएडा आफिस से बाहर निकलना पड़ा। दरअसल जब अशोक पांडेय शशिशेखर से मिलने नोएडा दफ्तर पहुंचे तो शशिशेखर ने उन्हें वही क्लिप दिखा दी जिसमें अशोक पांडेय शशिशेखर को गरियाते नजर आ रहे थे। 

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अब बात सीडी प्रकरण की तो एक जानकारी और कि अपना डिग्री कालेज चलाने वाले अशोक पांडेय कुछ महीने पहले निजी डिग्री कालेज के मालिकों के साथ धरना देने कानपुर यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। यहां भी उन्होंने एक सीडी प्रकरण खोलने का प्रयास किया था। अशोक पांडेय ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगाया था कि यूनिवर्सिटी के अधिकारी खुले आम निजी डिग्री कालेजों के संचालकों से घूस मांग रहे हैं। अधिकारी के घूस मांगते हुए की एक सीडी उनके पास है। इसे वह राज्यपाल को भेजेंगे। 

कानपुर के पत्रकार महबूब अली से संपर्क – [email protected]

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0 Comments

  1. Meghnath

    August 9, 2015 at 7:50 am

    Bhibhishan har kaal me hue hai mahboob je . Pande galat hai ya Sahi yah alag baat hai , lekin kya sting karkr unohone achha karya nahi kiya. Unhone sting kiya to aapko itna bura lag gaya jaise aapke Jeeja ka sting ho gaya. Waise ek Patrakar ke roop me pande be us bhrast PA ka sting aapretion karke puraskar wala karya kiya. Waise pande je se kahna chahunga ki wah yah jroor bataye ki Mahboob je ko unka sting kyo bura lava aur unhe Bibhison banana pada.

  2. Ramesh Singh

    August 9, 2015 at 8:13 am

    Mahboob avn kavita je kya patrakar ke roop me sting karna galat hai. Jab koi RTI Kare to Sahi aur Patrakar sting kare to galat. Waah ek to in bhrast afsaro ke khilaf koi a age aata nahi aur yadi koi Patrakar aaya to pahle using ka postmartam suru kar diya. Isi tarah ke kuchh bhadue log Luknow me Nawneet Sahgal, Gayatri Prajapati, Yadav Singh aadi ke khilaf line wall ke pichhe pace hai. Sharm karo Bibhishno. Bhaduo ki aulado bhagwan tumhe kabhi maaf nahi karega.

  3. Karmveer Singh

    August 9, 2015 at 8:23 am

    Yah bhadue jab kisi Patrakar ki hatya ya koi ghatna hoti hai to pahle patrakaro ko hi bhrast sidhh karne me tul jaate hai. Mahbkob miya yah nahi bata rahe hai ki wah PA kitna emandar hai air Obama se kitani bar enam pa chuka hai. Lekin yah batane se nahi chuke ki dunia ke sabse jyada beimaan Ashok Pandey hai.

  4. Javed

    August 9, 2015 at 11:48 am

    meh boob bhai , apne shri pandey ka knp me pustaini makaan bataya vo to sabhi k pas kuch na kuch hota hai mere delhi , lko, agra va dehradun me sampatti hai, to isme meri ya mere valid kya galti ya aage mere bachcho ki kya galti .

    baat rahi school ki to vo to trust ka hota hai , aur shri pandey isme adhayaks honge to bhi , malik nahi ban sakte,. Aur unnao jaise gav me jameen ki to koi kha as kimat hai nahi , building suna hai single floor hai to kya kimet hui. ., aur fir sikcha k kaam bhi galat nahi usme Mai koi tippardi nahi karta.

    ab kisi mahila ne zameen kharidi aur bechi is me shri pandey ka kya matleb.

    baat rahi dehradun ki to usme to Maine unki dono property dekhi hai, jisme ek makaan barsat se krack ho gayi aur marammet na hi ho sakti isliye tord ni pardi. …. aur dusri jo loan lene baad bhi 6 saal se ban rahi hai , aur abhi pura ban bhi nahi paya tha ki mddi ne tord diya aur aise torda ki puri building kamjor ho fir shuru se banvani hogi .

    apne kaha unho ne gali di isliye istifa diya. To number ek koi adhikari gali sunne k baad stifa mangne ki kripa nahi karega , ulta koi barda daag laga ker nikal dega. Number do koi apni post ka labh utha ne vala, bharastachar kerne vala sampadak chamcha giri kare ga burai ya gali nahi dega.

    Haa ye jarur kahunga karib mere phone me 214 naam aise hai jinhe shri pandey ne naukri dete hue ek achcha pattrkaar banne ki PRERNA di.

    Aur sting ya cd farzi hai to ye jarur galat hai iski jach pichle 16 Dino se ho rahi hai, aur court ne bhi 40 din me report dene k aadesh diye hai. …. …… ye bhi clear ho jaye tab hi kuch

  5. manish kharewal

    August 9, 2015 at 7:06 pm

    कोई विभीषण है तो ये अछा है. विभीषण ने भगवन राम का साथ दिया तो इसमे बुरा क्या है. fir किसी अशोक पाण्डेय के रूप मे रावण की लंका जाली है. jaha तक कानपूर से तबादला लेने वाली महिला पत्रकार का सवाल है तो वह अब दैनिक जागरण मे अपनी सेवा नहीं दे रही है. वह अमर उजाला मे कार्यरत है. दैनिक जागरण का नाम डुबाने के बाद अमर उजाला का नाम कलंकित कर रही हैं. अशोक पाण्डेय के खुलासे से ये बात भी सामने आ गई है. हलाकि अमर उजाला के मालिको तक ये bhanak हो गई है. वह शिकंजा भी कस रहे है उन मोहतरमा पर. कोई भी sansthan अपनी छीछा लेदर नहीं करना चाहता ऐसे भडुओ के कारन. पूरी जिंदगी मौज़ उड़ाई दोनों ने, आज बुढ़ौती मे इज्जत गवा रहे है.

  6. Sudhanshu puri

    August 10, 2015 at 7:55 am

    Bharastachar ko ujagar karns kya paap hai ….kyu sabhi log paap ko badhava de rahe……imandari ko aage badhaye …apni jaan par hamesa khelkar samaj hit ki patrkarita karne wale ashok pandey ji ka koi jod nahi ……unki himmat ko sabka salam …..

  7. kya baat hai-2

    August 11, 2015 at 6:26 am

    ये आदमी विश्वास करने लायक नहीं है, अभी कुछ दिन पहले एक ताजा-ताजा एनई बने हैं, इन्हीं की कृपा से, बाकी लोग जो इन्हें मानते हैं उन्हें ये घास भी नहीं डालते हैं, वो एनई क्यों और कैसे बना है ये सब जानते हैं, इनका बहुत खास माना जाता है, इनके साथ लखनऊ से होते हुए कानपुर आया फिर कहीं एनई बन गया. लेकिन असली बात कुछ और ही है।

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