मुख्यमंत्री कमलनाथ की शपथ में गद्गद दिग्विजय सिंह ने कंप्यूटर बाबा की तरफ माला फेंककर ख़ुशी का इजहार किया था. तब से ही कयास लगाए जा रहे थे कि इस निजाम में भी बाबा का रूतबा बरकार रहने वाला है. वही हुआ भी! चुनाव का ऐलान होने के दिन बाबा को नदियों से जुड़ा उनका मनपसंद काम दे दिया गया.
मनपसंद इसलिए की बाबाजी ने पंडित योगेन्द्र महंत के साथ नदियों किनारे पौधरोपण में करोड़ों के घोटाले का आरोप मढ़ते हुए नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने का ऐलान किया था. इससे घबरा मुख्यमंत्री शिवराज ने गजब की फुर्ती दिखा इन दोनो सहित पांच आध्यात्मिक गुरुओं को मंत्री दर्जा से नवाजा था. इनमे अभिजात्य वर्ग के आधुनिक संत भैय्यु महाराज भी थे. ख़ुदकुशी करने के बाद उनके अंतरंग किस्से खूब सार्वजानिक हो रहे हैं.
कंप्यूटर बाबा के कांग्रेस में जलवों को उस रणनीति के तहत देखा जा रहा है जो खुद को धार्मिक दिखलाने में लगी है. दरअसल पार्टी के नीति नियंता लगातर पराजयों को कांग्रेस के जरूरत से ज्यादा सेक्युलर होने में देखने लगे हैं. राहुल गाँधी का अपना गोत्र बताना और मंदिरों आदि का भ्रमण इसी की कवायद मानी जाती है.
वैसे कांग्रेस खेमे का माने जाने के बावजूद शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को शिवराज सरकार भी उपकृत करती रही है. उनकी सितारा लक्सरी बस का करीब डेढ़ करोड़ रुपये टैक्स माफ़ करने में कोई कोताही नहीं की गई. वैसे सरकारी खजाने को चूना लगा इमोशनली ब्लैकमेल कर वोटर को भरमाने के ये हथकंडे अब कामयाब हो नहीं रहे हैं.
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्रीप्रकाश दीक्षित की रिपोर्ट.
विश्वास व्यास
March 16, 2019 at 10:13 pm
राजनीति है और मतलब परास्त भी साफ दिखाई दे रहे है अब किस्सको क्या बोलना बचा है बाकी सभी समझ ही जायेंगे …..विश्वास व्यास 989511000