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दिल्ली

चाहे जो कहो… सड़ी हुई कांग्रेसी सरकारों से ज्यादा सक्रिय है भाजपा की मोदी सरकार…

Yashwant Singh : चाहे जो कहो… सड़ी हुई कांग्रेसी सरकारों से ज्यादा सक्रिय है भाजपा की मोदी सरकार… कांग्रेसी सरकारों में वामपंथियों और सोशलिस्टों को अच्छी खासी नौकरी, लाटरी, मदद, अनुदान, पद, प्रतिष्ठा टाइप की चीजें मिल जाया करती थी… अब नहीं मिल रही है तो साले ये हल्ला कर रहे हैं … पर तुलनात्मक रूप से निष्पक्ष होकर देखो तो भाजपा की मोदी सरकार जनादेश के दबाव में है और बेहतर करने की कोशिश करती हुई दिख रही है… हां, अगर जनता ने भाजपा को जिताया है तो भाजपा अपने एजेंडे को लागू करेगी ही.. वो एजेंडा हमको आपको पसंद आता हो या न आता हो, ये अलग बात है… पर सक्रियता और जनपक्षधरता को लेकर कांग्रेस व भाजपा में से किसी एक की बात करनी हो तो कहना पड़ेगा कि भाजपा सरकार ज्यादा सक्रिय और ज्यादा सकारात्मक है.

Yashwant Singh : चाहे जो कहो… सड़ी हुई कांग्रेसी सरकारों से ज्यादा सक्रिय है भाजपा की मोदी सरकार… कांग्रेसी सरकारों में वामपंथियों और सोशलिस्टों को अच्छी खासी नौकरी, लाटरी, मदद, अनुदान, पद, प्रतिष्ठा टाइप की चीजें मिल जाया करती थी… अब नहीं मिल रही है तो साले ये हल्ला कर रहे हैं … पर तुलनात्मक रूप से निष्पक्ष होकर देखो तो भाजपा की मोदी सरकार जनादेश के दबाव में है और बेहतर करने की कोशिश करती हुई दिख रही है… हां, अगर जनता ने भाजपा को जिताया है तो भाजपा अपने एजेंडे को लागू करेगी ही.. वो एजेंडा हमको आपको पसंद आता हो या न आता हो, ये अलग बात है… पर सक्रियता और जनपक्षधरता को लेकर कांग्रेस व भाजपा में से किसी एक की बात करनी हो तो कहना पड़ेगा कि भाजपा सरकार ज्यादा सक्रिय और ज्यादा सकारात्मक है.

एक बात तय है कि दोनों पूंजीवादी पार्टी हैं और कार्पोरेट से पोषित हैं. इसलिए अगर कांग्रेस की तरह भाजपा भी कार्पोरेट को लाभ पहुंचाकर अपना कामकाज कर रही है तो ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है. सोचिए आप भी. अगर कांग्रेस फिर से जीत आती तो क्या केंद्र में सरकार बनाकर वो सब कर पाती जो मोदी सरकार ने किया है.. दुनिया को लगा कि हां, भारत में एक ठीकठाक नेता आया है. देश को लगा कि हां, देश को समझने वाला एक नेता आया है. वो साला रिमोट संचालित मुर्दा मनमोहन से तो ये लाख गुना अच्छा है नरेंद्र मोदी…. जिनको बुरा मानना हो बुरा मानो… पर सच्ची बात कहेंगे हम… अपनी बात कहेंगे हम… हम कोई पेशेवर किस्म के एक्टिविस्ट नहीं है कि एक ही तान, एक ही सुर, एक ही लाइन पर आंय बांय सांय करके जिन्दगी खपा दे. जो बेहतर करे उसकी तारीफ करो, जो खराब करे उसको खुलकर गरियाओ..

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.


उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ विरोधी कमेंट और उनके जवाब इस प्रकार हैं…

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Pawel Parashar : पत्रकारिता जगत में जो “लहर” चल रही है उससे आप भी अछूते नहीं ये दिख रहा है । अब आपका भविष्य पत्रकार के रूप में बहुत उज्जवल है , ये भी दिख रहा है । इंडिया न्यूज़ , इंडिया टीवी के भी कई बड़े पत्रकारों का “भविष्य उज्जवल” हुआ है मोदी “लहर” में । आपको भी शुभकामनाएं

Yashwant Singh : भाई Pawel Parashar भाई… भड़ास पर जितनी खबरें मोदी विरोध में लगी हैं, और, जितना मैंने मोदी के खिलाफ लिखा है, उसको एक बार देख लेंगे तो समझ में आ जाएगा. पर अगर आप चाहते हैं कि विरोध के लिए विरोध करूं तो ऐसा न होगा. गलत कामों का सदा विरोध है. अच्छे का स्वागत.

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Saleem Akhter Siddiqui अपनी-अपनी समझ है। आपको यदि मोदी सरकार कुछ करती लग रही है, तो आपको यह कहने का हक है। बस एक बात पूछना चाह रहा हूं कि पेशेवर एक्टिविस्ट कैसा होता है? साथ में यह भी बता दीजिए कि कौन-सा ऐसा काम हुआ है, अब तक जिससे आम आदमी के अच्छे दिन आ जाएंगे? नारों, वादों और योजनाएं घोषित करना समाधान नहीं है। वैसे इस चुनाव के दौरान मैंने अपने ऐसे दोस्त खोए हैं, जिन्हें मैं सेकुलर सोच का समझता था, लेकिन वह भी मोदी लहर में ऐसे बहके कि उन्हें मेरे शब्द देशविरोधी लगने लगे हैं। आपके ह्दय परिवर्तन की वजह क्या है, मुझे नहीं मालूम, लेकिन यह दौर ऐसा है, जिसमें वफादारियां ही नहीं, विचारधारा बदलते हुए देख रहा हूं।

Pawel Parashar : एक ऐसा जनहितकारी कदम , या यूँ कहें “सराहनीय” कदम जो मोदी सरकार ने उठाया हो , हमें तो नहीं दिखा।

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Yashwant Singh : भाइयों Saleem Akhter Siddiqui और Pawel Parashar, कांग्रेस शासनकाल में ऐसा क्या हुआ एक काम कि उसके लिए हम लोग उसे मिस करें, जरा बता दीजिए… रही बात भाजपा राज की तो, कह चुका हूं कि इसमें भी लाभ अंततः कार्पोरेट को मिलेगा और जनता मारी जाएगी. पर कांग्रेस सरकार और भाजपा सरकार के बीच आज के समय में अगर तुलनात्मक अध्ययन करें तो लगेगा कि मोदी के नेतृत्व में देश में एक डायनमिज्म का माहौल बना है. कम से कम अभी तक कोई करप्शन का मामला तो नहीं सामने आया. याद करिए कांग्रेस. सालों ने एक के बाद एक लाइन लगा दी. और, बेरोजगारी, महंगाई उन्हीं के राज की उपज है. और, मोदी भी कांग्रेस राज की ही उपज हैं. अगर टाइट जांच कराई होती तो मोदी जेल में होते लेकिन कांग्रेस ने इन्हें पनपने दिया ताकि इसे आगे रखकर डराकर मुस्लिम वोट बैंक का वोट लिया जा सके और दुबारा सत्ता में आया जा सके. लेकिन ढेर सारी गल्तियां कर चुका मोदी अब हर कदम फूंक फूंक कर रख रहा है और सबको लेकर चलने की नीति बना अपना रहा है… ऐसा मुझे प्रतीत है आज के वक्त तक. कल चीजें खराब दिखेंगी तो खराब लिखा जाएगा.

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0 Comments

  1. सिकंदर हयात

    October 17, 2014 at 10:53 am

    इसमें क्या शक हे पिछले भाजपा सरकार भी ठीक ठाक ही थी अटल जी पाक के साथ समझोते के बहुत करीब पहुंच गए थे मोदी भी एक अच्छी प्रशासक हो भी सकते हे मगर मेन मसला एक तो मोदी शाह की तानशाही होगी फिर दूसरा ये की हिन्दू कठमुल्लावाद मज़बूत होगा और मोदी अपनी इमेज भले ही इन बातो से अलग की बनाय मगर हिन्दू कठमुल्लवादियो को वो हाथ नहीं लगाएंगे क्योकि वही मोदी जी का सरमाया हे जो आने वाले दिनों में विकास यानि अम्बानी अडानी और महगाई के समय मोदी जी के साथ हर हाल में खड़ा दिखेगा यही सबसे बड़ा मसला हे इसलिए हमें हर कदम इस सरकार का विरोध करना ही पड़ेगा

  2. विपिन पाराशर

    October 17, 2014 at 12:59 pm

    ऐसा नहीं कि कांग्रेस ने कुछ किया ही नहीं, घोषणा तो कांग्रेस ने भी बहुत कीं, लेकिन उनका फायदा किसको मिला देखने वाली बात यह थी, आज भी मोदी चुनाव से पहले से लेकर चुनाव के बाद प्रधानमंत्री बनने के बाद तक घोषणा ही कर रहे हैं, समय बीतने दीजिए, वादों पर अमल कितना हो रहा है, यह भी दिखायी देने लगा है, मोदी सरकार गठित होने के बाद मोदी कैबिनेट का सबसे पहले लिया गया निर्णय था कि सौ दिन के अंदर कला धन वापस लाना है, लेकिन अब तक कुछ हुआ क्‍या, इसका जवाब भी तो देश की जनता को चाहिए।

  3. saleem akhter siddiq

    October 19, 2014 at 11:28 am

    मैंने ऐसी भाषा का इस्तेमाल तो नहीं किया था, जो मुझ पर इस तरह हमला किया गया है? यशवंत सिंह जी की भाषा देखकर सदमे में हूं। आज उनकी एक पोस्ट अपने बारे में दिखाई दी, जो अब दिखाई नहीं दे रही है। उस पोस्ट में ऐसी भाषा का प्रयोग किया है, जिसे कोई भी संजीदा शख्स नहीं लिख सकता। यशवंत सिंह जी के इस तरह यू-टर्न पर हैरत में हूं। मेरे ख्याल से आलोचना बहुत तल्ख भाषा में भी हो सकती है, लेकिन गलत, असामाजिक और अमर्यादित शब्दों के प्रयोग से बचा जाना चाहिए। यशवंत सिंह ने मुझे भड़ास के रूप में एक ऐसा प्लेटफॉर्म दिया है, जिस पर मैंने अपनी बात रखी। लेकिन कल से पहले उन्होंने मुझे कभी नहीं कहा कि मैंने बेनामी लुगदी साहित्य लिखा है। बेनामी नाम से कभी लिखा ही नहीं, जो भी लिखा अपने असली नाम और तस्वीर के साथ लिखा। अगर मैंने यह लिख दिया कि यशवंत सिंह जी भी मोदी के मुरीद हो गए हैं, तो मैंने कोई गाली नहीं दी थी। उन्होंने जो लिखा, उसे पढ़ें और बताएं कि क्या वे वाकई मोदी के मुरीद नहीं हो गए हैं? और हां, मैं बहुत जल्दी किसी को अनफ्रेंड नहीं करता।

  4. dalpat

    November 4, 2014 at 11:33 pm

    फ़ालतू की लफ्फाजी को छोड़ सकारात्मक देखे तो यशवंतजी आपने दूरदृष्टि से सोचा है.बाकी लफ्फाजो को यह समज में नहीं आएगा,इसका कारन साफ़ है स्वार्थ और इसके अतिरिक कुछ नहीं
    ये क्या सोचते है की पत्रकार बन गए तो सार्रा ज्ञान उसमे समाहित हो गया,मै स्पष्ट रूप से कहना चाहुगा पत्रकार मुफ्त के खाने की एक मुफ्तखोर की जगह है(अपवादों को छोड़ कर) जहा पर केवल अपनी और कमीटेड बाते ही की जाती है,सारे सुख भोगे जाते है.कमिनागिरी का अड्डा है ..

  5. santosh singh

    December 20, 2014 at 2:35 pm

    EK AADMI KISI KE LIA AACHA TO KISI KE LIA KHARAB BHI HOTA HAI SOCHANE KA ALAG-ALAG DRISHIKOR HOTA HAI.SAHI KAM KA WAKALAT HONI HI CHAHIA GALAT KO GALAT KAHNA HI PAREGA.

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