संजय कुमार सिंह-
द टेलीग्राफ ने आज एक खबर छापी है, क्या इनसे कुछ याद आता है ईडी?
पहले पन्ने पर संजय झा की बाईलाइन और नई दिल्ली डेटलाइन से छपी इस खबर के शीर्षक से पहले बताय गया है कांग्रेस ने ईडी से कुछ सवाल पूछे हैं। अखबार ने इन सवालों को दो हिस्सों में छापा है। पहला है हिस्सा है, आप इन मामलों की जांच कब करेंगे और फिर अंतिम सवाल है, आप कब यह खुलासा करेंगे कि इन मामलों को नजरअंदाज करने के लिए ईडी पर कौन दबाव डाल रहा है। सवाल जाने पहचाने हैं और यह तथ्य है कि भारत के किसी प्रधानमंत्री पर ऐसे आरोप अभी तक नहीं लगे हैं। ऐसे में इनकी जांच होनी है कि नहीं इसे तय करना भी सरकार का ही काम है पर वह अलग मुद्दा है।
मैंने गूगल करके यह जानना चाहा कि ये खबर किन अखबारों में है तो दो टीवी चैनल के अलावा एक ही अखबार, अमर उजाला का लिंक मिला। कहने की जरूरत नहीं है कि अमर उजाला में यह आरोप रूटीन खबरों के रूप में ही है और ई-पेपर में पहले पन्ने पर नहीं है।
वैसे शीर्षक और सार इस प्रकार हैं, ईडी: कांग्रेस ने मोदी सरकार और ईडी को लिया आड़े हाथ, कहा- प्रवर्तन निदेशालय केंद्र से निर्देश लेने में बिजी। सार, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पिछले आठ वर्षों में भाजपा सरकार के दावों का पर्दाफाश हो गया है। सभी केंद्रीय एजेंसियां सरकार के हाथों के मोहरे में सिमट कर रह गई हैं। ये सभी एजेंसियां केवल खुद का मजाक बनाने के लिए अपनी आंखों पर पट्टी बांधने के लिए कतार में लगी हुई हैं। हालांकि खबर की ‘हत्या’ उसके विस्तार में कर दी गई है, कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर आए दिन केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाती रहती हैं।
इसी क्रम में गुरुवार को कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने केंद्र सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा आरोपों से बचने के लिए सस्ती चालों का सहारा लेती है। वे पहले भी आरोप लगाते रहे हैं कि सभी केंद्रीय एजेंसियां सरकार के हाथों में सिमट गई हैं। उन्होंने कहा कि ईडी जैसी एक बार प्रतिष्ठित एजेंसी केंद्र सरकार द्वारा ‘लागू निर्देश’ लेने में व्यस्त है।
कहने की जरूरत नहीं है कि इसके बाद की खबर मरी हुई है। यह अलग बात है कि गूगल करने पर यही खबर मिली और हिन्दी अखबार मैं पढ़ता नहीं इसलिए मुझे बाकियों का पता नहीं चला। हालांकि अंग्रेजी के मेरे चार अखबारों में भी यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। जहां तक गूगल सर्च की बात है, शीर्षक से टेलीग्राफ की खबर भी गूगल पर नहीं मिल रही है। कांग्रेस ने ईडी से निम्नलिखित मामलों की जांच पर सवाल किए हैं –
- यह आरोप कि प्रधानमंत्री ने श्रीलंका की सरकार पर अडानी समूह को पवन ऊर्जा परियोजना का काम देने के लिए दबाव डाला।
- अडानी के लिए फंडिंग मुहैया कराने के एसबीआई के प्रयास
- कर्नाटक के मंत्री केएस इश्वरप्पा पर 40 प्रतिशत कट मांगने के आरोप
- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ व्यापम घोटाला
- गुजरात में नशीले पदार्थ की जब्ती
- पीपीई किट घोटाले में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सर्मा
- गोवा में भ्रष्टाचार के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आरोप
कहने की जरूरत नहीं है कि ये अलग लोगों और राज्यों के मामले हैं और आरोप सरकार या सरकार समर्थक लोगों पर है इसलिए जांच नहीं हो रही है। लेकिन राहुल गांधी से पूछताछ चलती जा रही है ताकि कुछ निकल सके। कुछ मामला बन सके। कायदे से यह बताना अखबारों का काम था कि राहुल गांधी से लगातार पूछताछ चल रही है लेकिन इन मामलों में सरकार को कोई चिन्ता नहीं है। पर आलम यह है कि कांग्रेस इनका जिक्र कर रही है, ईडी से पूछ रही है तब भी अखबार इन्हें नहीं छाप रहे हैं।