कोरोना की जंग में योद्धाओं की भूमिका में डॉक्टर, पुलिस,स्वास्थ्य कर्मचारी और सफाई कर्मचारी तो गिने जा रहें हैं लेकिन इन्ही के बीच पत्रकारों की बड़ी फौज भी अपनी जान जोखिम में डाल रिपोर्टिंग करते हुए कोरोना की जंग में शामिल है जो आम लोगों के बीच खबरें पहुंचा दोहरे संकट से जूझ रहें हैं शायद ऐसा मान लिया गया है कि यदि इन्हें योद्धाओं में नहीं गिना जाएगा तब भी चलेगा.हाला कि इस स्थित के लिए काफी हद पत्रकार खुद भी जिम्मेदार हैं.
कोरोना की जंग में डटे पत्रकारों को एक तरफ जहाँ कोरोना संक्रमण का खतरा है वहीं दूसरी तरफ इन्हें नौकरी बचाए रहने की जद्दोजहद से भी जूझना पड़ रहा है कोरोना ने अब इन्हें अपनी जद में लेना शुरू कर दिया है मुंबई में 53 पत्रकार कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं इनमें कई फील्ड रिपोर्टर हैं ऐसे में पत्रकारों को अपने बचाव में खुद ही सावधान व सजग रहने की जरूरत है ! वैसे तो बीते 20 मार्च को जब मध्य प्रदेश कांग्रेस सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित फ्लोर टेस्ट लेना था और तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने सरकारी आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी उसी समय यहाँ एक वरिष्ठ पत्रकार को कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी जिसके बाद काफी हड़कंप मच गया था पॉजिटिव रिपोर्ट सामने आते ही कई सरकारी विभाग के अधिकारी और पत्रकार क्वारेंटीन पर चले गए थे कहना ना होगा कोरोनावायरस (कोविड-19) के खिलाफ जंग में अग्रिम मोर्चे पर तैनात डॉक्टर्स, पुलिसकर्मी, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य के साथ पत्रकार भी तमाम जोखिमों के बीच अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं वो चाहे मातृभूमि अखबार की रिपोर्टर और डेढ़ साल की बच्ची की मां अंजलि एन.कुमार हों या अन्य !
अंजलि तो जनवरी से ही कोरोना महामारी को कवर कर रही हैं जब उन्हें अपने घर पहुंचना होता है तो अपने माता-पिता को पहले ही फोन कर छोटी बच्ची को दूसरे कमरे में ले जाने के लिए कह देती हैं, ताकि जब वह घर पहुंचें तो उन्हें अपने आपको सैनिटाइज करने और नहाने का टाइम मिल जाए, जिसके बाद वे निश्चिंत होकर अपनी बेटी को गले लगा सकें, जो कि पूरे दिन माँ अंजली का इंतजार करती रहती है कमोवेश यही हाल देश के उन सभी राज्यों का है जहाँ पत्रकार महिला और पुरुष बहादुरी के साथ अपने मोर्चे पर तैनात रह अपने दायित्वों का निर्वाह कर ना केवल जनता के बीच खबर पहुंचा रहे हैं बल्कि कोरोना की इस जंग में योद्धा के रूप में डटें हैं अब जब कई पत्रकार कोरोना संक्रमित हो गए है तो पत्रकारों को फील्ड में उतरने से पहले पूरा ऐहतियात बरतना बेहद जरूरी हो गया है क्यों कि ऐहतियात बरतने से ही बचाव संभव है.
आप अपने संस्थान/कंपनी से एन-95 मास्क की मांग करें और उसका प्रयोग करे, अपने साथ हर समय हैंड सैनिटाइज़र रखें.जितनी बार हो सके अपने हाथों को साबुन से धोएं और फिर सैनिटाइज़र लगाएं. सैनिटाइज़र का उपयोग करें. अपने हाथों को बार-बार नियमित अंतराल पर धोये जो भी सैनिटाइज़र आप इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें कम से कम 70 प्रतिशत अल्कोहल की मात्रा हो और हाँ अपने मोबाइल फ़ोन को सैनिटाइज़ करना ना भूलें.जब भी कोई राजनेता कोई बयान दे रहा हो, तो आप सब आपस में यह तय कर लें कि आप लोग आपस में कम से कम छः फ़ीट की दूरी बना कर रखेंगे. यह कितना संभव है मुझे नहीं पता लेकिन सामने जो मुसीबत आन पड़ी है इससे आपको खुद ही बचाना है आप नेताओं को डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए राजी करे आप भी अपने प्रश्न लाइव ही पूँछें !
किसी को एहसास भले ना हो लेकिन मुझे पूरा एहसास है कि कई पत्रकारों की नौकरी का भी संकट उन्हें दोहरी मार दे रहा है दुखद यह है की मीडिया संस्थानों द्वारा कई पत्रकारों को लीव विदाउट पे (बिना वेतन अवकाश) पर भी भेजा जा चुका है जिसके चलते कोरोना महामारी की जंग में जूझते इन पत्रकारों में नौकरी जाने का भी खौफ बना हुआ है.
सर्वविदित है कि वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुके कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन किया हुआ है जिसके चलते तमाम उद्योग धंधे बंद पड़े हैं,मीडिया इंडस्ट्री पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है। इन्ही दिनों में कम से कम 100 पत्रकारों को अपनी नौकरी से हाथ भी धोना पड़ा है, वहीं कुछ पत्रकारों को कुछ दिनों के लिए लीव विदाउट पे (बिना वेतन अवकाश) पर भेज दिया गया है वैसे भी वर्ष 2019 में विभिन्न मीडिया संस्थानों से करीब एक हजार से ज्यादा पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है और अब लाकडाउन के चलते फिर से इस इंडस्ट्री पर छंटनी के बादल छा गए हैं जिससे पत्रकार बिरादरी दोहरे संकट की मार झेलने को विवश है ! उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार सुरेश यादव के मुताबिक कई मीडिया संस्थानों ने तो अपने एंप्लाईज की सैलरी में कटौती तक कर दी हैं, कई पत्रकारों को लीव विदाउट पे पर भेज दिया गया है उन्हें संस्थान वापस बुलाएगा भी या नहीं यह भी सुनिश्चित नहीं है. उनकी इस बात को बल इसलिए भी मिलता है क्यों कि विभिन्न मीडिया संस्थानों से इस तरह की खबरें सामने भी आ रही हैं, जहां पर कुछ ने स्टाफ की छंटनी की है तो कुछ ने एंप्लाईज की सैलरी में पांच से 25 प्रतिशत तक की कटौती भी की है।
इधर कोरोना संक्रमण का खतरा उधर नौकरी पर लटकी तलवार कोरोना जंग में डटे पत्रकारों के लिए दोहरे संकट के रूप में चुनौती बनी हुई हैं राज्य सरकारे भी पत्रकारों के प्रति ज्यादा गंभीर नज़र नहीं आ रही है. हाला कि कोरोनावायरस (कोविड-19) के कारण किसी भी मान्यता प्राप्त पत्रकार की मौत होने पर कुछ राज्यों की सरकारों ने पीड़ित परिवार को मुआवजा दिये जाने की घोषणा की है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो राज्य के पत्रकारों हेतु बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना भी शुरू की है जिसके तहत बिहार के पत्रकारों को हर महीने 6000 रुपए की पेंशन दी जाने की जानकारी दी गयी है.उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर मांग की है कि संकट के इस दौर में अपनी जान को जोखिम में डालते हुए जो पत्रकार अपनी ड्यूटी पर जा रहे हैं और कोरोना की रिपोर्टिंग कर रहे हैं ऐसे में यदि कोई पत्रकार कोरोना वायरस की चपेट में आकर कालकलवित होता है तो राज्य सरकार उसके इलाज पर होने वाले खर्च के अलावा उसके परिवार को मुआवजा देने की घोषणा करे ।
बताते चलें कि मुम्बई में पत्रकार संगठन द्वारा जब पत्रकारों में कोरोना जांच कराई तो जांचोपरांत 53 पत्रकारों के संक्रमित होने की खबर आई लिहाज़ा अब जरूरी हो गया है की पत्रकार बेहद सावधानी बरतें वैसे भोपाल में भी पिछले दिनों एक टी वी चैनल के पत्रकार के कोरोना पाजटिव पाए जाने की खबर आयी थी वैसे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर से पत्रकारों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की खबरें बराबर आ रही हैं संयुक्त राज्य में एबीसी न्यूज़ के दो पत्रकार कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं.रोम में रहने वाले सीबीएस न्यूज़ के पत्रकार सेथडोयने के साथ साथ इसी मीडिया कंपनी के पांच अन्य पत्रकार कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार रिचर्ड विल्किन्स जिन्होंने कोरोना वायरस से पीड़ित टॉम हैंक्स की पत्नी रीटा विल्सन का साक्षात्कार किया था भी इससे संक्रमित पाए गए हैं.
द टाइम्स (यूके) का भी एक पत्रकार इससे संक्रमित पाया गया है. न्यूयॉर्क के एनबीसी न्यूज़ के लिए प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में काम करने वाले लैरी एजवर्थ की तो 19 मार्च, 2020 को मृत्यु हो चुकी है.कहने का तात्पर्य यह की किसी भी देश के पास अभी तक कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है. अभी कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने और इसका इलाज ढूंढ़ने के लिए पूरी दुनिया में शोध चल रहा है.
बावजूद इसके दुनिया भर के पत्रकारों की तरह भारतीय पत्रकारों ने भी इस वैश्विक महामारी में काफी साहस दिखाया है. ऐसे में जब किसी मीडिया संस्थान के मालिक अपने यहां काम करने वाले पत्रकार के सन्दर्भ में संस्था के ही किसी अन्य कर्मी से यह कहते दिखते हैं कि अगर काम के दौरान कोई ट्रेजिडी भी हो गई तो दूसरे पत्रकार हैं जो उस स्टोरी को पूरा कबर कर देंगे, तो ऐसा सुनकर बेहद अफ़सोस होता है.इस लेख को लिखने का अभिप्राय किसी को आरोपित करना नहीं बल्कि पत्रकार साथियों को सावधान करना मात्र है क्यों कि आपका जीवन न सिर्फ आपके लिए बल्कि आपके परिवार के लिए भी बहुमूल्य है. अपना काम अच्छे से करें यह आपका दियित्व है लेकिन सावधानी जरूर बरतें और सुरक्षित रहे.
रिजवान चंचल
राष्ट्रीय महासचिव
जन जागरण मीडिया मंच
[email protected]
मोबाइल -7080919199
dayal chand yadav
April 22, 2020 at 4:37 pm
पत्रकारों की चिंता के लिए आपको धन्यवाद. संकट के समय हर पत्रकार को काम से काम 6 हजार रूपये महीना दिया जाना चाहिए. हर पत्रकार के पास अधिमान्यता नहीं होती है. इसके लिए हर सरकारी जनसम्पर्क में एक रजिस्टर होना चाहिए. जिसमें सभी पत्रकारों के नाम होना चाहिए भले वे अधिमान्य हों या न हों. क्योंकि ऐसे समय में गैर अधिमान्य पत्रकार सबसे ज्यादा मुश्किल में होते हैं. रजिस्टर को हर 6 महीने में अपडेट करना चाहिए.
dayal chand yadav
April 22, 2020 at 4:45 pm
पत्रकारों की चिंता के लिए आपको धन्यवाद.