कोरोना टेस्ट किट सप्लाई में भारतीय कंपनियों की अनदेखी क्यों? कोरोना वायरस की जाँच के लिए स्तेमाल में आने वाली किट की सप्लाई पर विवाद उठ खड़ा हुआ है. सरकार ने पहले अमरीका से ज्वाइंट वेंचर लाई अहमदाबाद की एक कंपनी को लायसेंस दिया और जब तक भारतीय कंपनियों की किट आती हर टेस्ट के दाम साढ़े चार हज़ार रुपये तय कर दिये. देसी कंपनियों के दाम चार पॉच सौ रुपये ही संभावित हैं.
इस पर उठे बवाल की पड़ताल कर रहे हैं शीतल पी सिंह.
ज्ञात हो कि शीतल पी सिंह पत्रकार होने के साथ साथ दवा क्षेत्र में गहरी पैठ रखते हैं. कोरोना किट और इसकी सप्लाई से जुड़ी कंपनी को लेकर एक विवाद पर उनके विचार जानना देश के लिए अहम है। सत्य हिन्दी डॉट कॉम के फाउंडर शीतल पी सिंह को सुनिए-समझिए.
नीचे दिए वीडियो पर क्लिक करिए-
Sheetal Video on Corona Test Kit
कोरोना और टेस्ट किट को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह ने एक पोस्ट भी लिखी है, जो यूं है-
Sheetal P Singh : दक्षिण कोरिया में प्रति व्यक्ति आय भारत से क़रीब सोलह गुने से भी ज़्यादा है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स में दुनियाँ में अव्वल है। वहाँ कोरोना का टेस्ट न सिर्फ़ फ़्री है बल्कि कुल बीस पच्चीस मिनट की ज़हमत है।
भारत में कोरोना टेस्ट करवा पाना तब ही संभव है जबकि आप किसी मंत्री या बड़े अफ़सर को जानते हों (क्योंकि आज तक यह सिर्फ़ चुने हुए सरकारी केंद्रों पर ही उपलब्ध है )या आपकी हालत इतनी बिगड़ गई हो कि आप को मौत के मुँह में देख डाक्टरों ने आपकी खून/ स्वैब लेकर टेस्टिंग एजेंसी को भेज दिया हो!
पटना में मौत के मुँह में गये पहले व्यक्ति की टेस्ट रिपोर्ट उसके मरने के बाद अस्पताल पहुँची थी। लेह के एक ऐसे ही मरीज़ की रिपोर्ट दिल्ली से टेस्ट होकर क़रीब पंद्रह दिन बाद तीसरी बार में लेह तक पहुँची,दो बार निगेटिव आ गई थी क्योंकि सैंपल सही टेस्ट हुए थे या नहीं यह रहस्य है (द प्रिंट की रिपोर्ट)!
तो भारत में अब प्रायवेट लैबों में भी कोरोना का टेस्ट हो सकेगा पर साढ़े चार हज़ार रुपये लगेंगे। ठोको ताली! अनुमानित है कि देश में क़रीब दस लाख लोगों को तुरंत टेस्ट कराने की ज़रूरत है यानि क़रीब साढ़े चार सौ करोड़ रुपये प्रायवेट लैबों को अगले दो तीन दिन में ही ताली / थाली बजाने वाले सौंपने वाले हैं!
आपको तो पता नहीं है कि सरकार के पास कोरोना का मामला जनवरी में ही आ गया था पर केंद्र सरकार की उन हेल्थ कर्मचारियों के लिये दस्ताने ,पूरा शरीर ढकने वाली सुरक्षा ड्रेस और N95 मास्क का इंतज़ाम करने के लिये पहली मीटिंग कुल तीन दिन पहले अठारह मार्च को हुई है। स्क्रोल की रिपोर्ट है कि ऐसे सामान बनाने वाली कंपनियों की ऐसोशियेसन ने उन्हें बताया है कि सरकार की पालिसी साफ़ नहीं है कि आर्डर देने में पारदर्शिता रहेगी या किसी चाहने वाले को कृतार्थ किया जायेगा? तमाम डाक्टरों और हेल्थ कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर मास्क और सुरक्षा ड्रेस की अनुपस्थिति में जान जोखिम में डालकर काम करने के डिटेल्स डाल रक्खे हैं।
टेस्ट किट्स सप्लाई करने का लायसेंस अभी तक अहमदाबाद की ही एक कंपनी के पास क्यों है इसका उत्तर भी लंबित है? आप ताली/थाली बजाइये पर जिनके लिये बजा रहे हैं उनसे उनका हाल तो पूछ लीजिये !
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Hem
March 25, 2020 at 5:26 pm
देश को महामारी के दलदल में झोंक दिया है! जब टेस्ट ही नहीं होंगे तो मौत का आंकड़ा कैसे बढ़ेगा!
सरकार तख्ता पलटने के में मशगूल थी! अब गली गली में वाशों के ढेर लगने की नौबत आई तब… थाली लोटा घंटा !!!!