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सुख-दुख

कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं है, इसे विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है!

गिरीश मालवीय-

कोविड -19 का वायरस प्राकृतिक वायरस नही है यह बात वापस चर्चा में आ गयी है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति की 90 दिन के भीतर फिर से एक बड़ी पड़ताल की जाएगी…

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वाकई यह बहुत बड़ा प्रश्न है कि क्या यह वायरस प्राकृतिक है ? यदि लैब लीक की ग्लोबल पॉलिटिक्स में न उलझा जाए ओर निष्पक्ष रूप से यह विचार किया जाए कि इस बात की कितनी संभावना है तो हमे काफी आश्चर्यजनक जानकारियां मिलती है….

भारत मे’ द प्रिंट’ ने पिछले साल जब अपोलो के अध्यक्ष डॉ प्रताप सी रेड्डी से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि यह”एक सामान्य वायरस नहीं” था और यह “वायरस की सामान्य विशेषताओं को धता बता रहा था”।

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उन्होंने कहा कि “मुझे याद है जब अफ्रीका में इबोला वायरस का प्रकोप हुआ था, जिसने 30 प्रतिशत से अधिक रोगियों की जान ले ली थी। हालांकि, जैसे ही तापमान बढ़ा, यह सामान्य हो गया, उन्होंने सऊदी अरब में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) कोरोनावायरस को भी याद किया, जहां उन्होंने प्रकोप की तीव्रता का आकलन करने के लिए 2012 में लोगों की एक टीम भेजी थी।

डॉ रेड्डी ने कहा कि मैंने जिस टीम को भेजा, उन्होंने इलाज का एक प्रोटोकॉल स्थापित किया और पांच दिनों में मौतों की संख्या कम हो गई। ऐसा सिर्फ हमारी वजह से नहीं बल्कि इसलिए भी हुआ क्योंकि तापमान 30 डिग्री तक बढ़ गया था’…

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लेकिन कोरोनोवायरस “बहुत आक्रामक तरीके से काम कर रहा है और एक वायरस की सामान्य विशेषताओं को धता बता रहा है”, ……अन्य सभी वायरस या तो जीवित रहे या मर गए, लेकिन यह जल्दी से अपनी आकृति विज्ञान को बदल रहा है।

दरअसल SARS-CoV-2 सातवां कोरोनावायरस है जो मनुष्यों को संक्रमित करने के लिए जाना जाता है, अन्य SARS-CoV, MERS-CoV, HKU1, OC43, NL63 और 229E हैं। लेकिन कोई भी वायरस इस तरह से रूप बदलने ओर संक्रमित करने में सक्षम नही था जिस प्रकार से यह नया SARS-CoV-2 करता है।

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कोरोनावायरस आकार में डेंगू, वेस्ट नाइल और जीका फैलाने वाले वायरसों से तीन गुना बड़ा और खतरनाक है। टेक्सस मेडिकल ब्रांच के वायरोलॉजिस्ट विनीत मैनचेरी ने एक उदाहरण से इसे समझाया। उनके मुताबिक, अगर डेंगू के पास शरीर पर हमला करने के लिए एक हथौड़ा है तो कोरोना के पास अलग-अलग आकार के तीन हथौड़े हैं। यह हालात बदलने पर अपनी प्रकृति बदलकर हमला करता है। शरीर के बाहर वायरस निष्क्रिय रहता है। इसमें प्रजनन और मेटाबॉलिज्म जैसे लक्षण नहीं होते। लेकिन, जैसे ही यह हमारे शरीर में आता है, अपने जैसे लाखों वायरस बनाने के लिए हमारी कोशिकाएं हाईजैक कर लेता है।

इसकी विशेषता यह है कि इसके लक्षण सार्स और मर्स की तुलना में बहुत देर से दिखते हैं। लोगों को जब तक संक्रमित होने का पता चलता है, तब तक वे दूसरों तक संक्रमण फैला चुके होते हैं।

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एक ओर महत्वपूर्ण बात जान लीजिए कि यह वायरस दुसरे नॉर्मल रेस्पिरेटरी (श्वसन) वायरस से बिल्कुल अलग व्यहवार करता है। आमतौर पर ये वायरस शरीर में एक समय पर एक जगह हमला करते हैं। अगर ये गले और नाक पर हमला करते हैं तो वहीं तक रहते हैं और खांसी और छींक के माध्यम से दूसरों तक संक्रमण फैलाते हैं। कुछ वायरस फेफड़ों पर हमला करते हैं। जहां वे संक्रमण तो नहीं फैलाते, लेकिन जानलेवा बन जाते हैं।

कोरोनावायरस दोनों जगह एक साथ हमला करता है। यह गले और नाक के माध्यम से संक्रमण भी फैलाता है और फेफड़े में कोशिकाओं को मारकर जान भी ले लेता है।

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इन सब बातों से यह शक बढ़ता जा रहा है कि यह वायरस प्राकृतिक नही है इसे विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।

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