विजय शंकर सिंह-
अभी तक तो, यह कहा जाता रहा है कि आरटी पीसीआर परीक्षण विश्वसनीय नहीं है। सीटी स्कैन कराइये। उससे फेफड़े की स्थिति का पता चलेगा।
अब एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया कह रहे हैं कि माइल्ड सिम्पटम में सीटी स्कैन ज़रूरी नहीं है, वह 300 एक्स रे के समान है। उसके अलग दुष्प्रभाव है।
यह सब देख सुन कर तो बुद्ध का चत्वारि आर्य सत्यानी ही याद आता है। आखिर इस बला की शिनाख्त कैसे हो कि माइल्ड सिम्पटम और बायोमार्कर क्या है ?
गिरीश मालवीय-
एक के बाप एक बैठे हुए हैं ! कुछ दिन पहले रेमेडिसवीर के लिए भी यही कह रहे थे, कि काम की नही है….. क्योंकि मार्केट में मिलना बंद हो गयी थी मरीज के रिश्तेदारो ने बवाल काट दिया था नेताओं की नाक में दम कर दिया था…..आज भी ब्लैक में लोग 10 गुना कीमत देकर के ले रहे हैं लगवा रहे हैं।
जब तक देश में किया गया प्रोडक्शन आसानी से कंज्यूम हो रहा था तो कोई कुछ नही बोला….अक्टूबर 20 से फरवरी 21 तक कोई भी बयान नही दिया गया रेमेडिसवीर पर,
जबकि WHO ने अक्टूबर में साफ कह दिया था कि रेमेडिसवीर काम की नही है लेकिन जब मन किया अमेरिका की CDC की बात मान ली जब मन किया WHO का हवाला दे दिया …. आप डॉक्टरों को ही क्यो नही बोलते हैं कि रेमेडिसवीर न लिखें !….
अब बोल रहे हैं कि एक CT स्कैन 300 चेस्ट एक्सरे के बराबर है यानी इतना ज्यादा हार्मफुल है ! तो आप गाइडलाइंस क्यो नही बनाते हैं भाई….अपने डॉक्टर को देने के लिए ! क्या CT स्कैन बिना डॉक्टर की सलाह पर अपनी मर्जी से कोई करवाता है ?
डॉक्टर भी मजबूर है सात सात दिन तक RT-PCR की रिपोर्ट नही आती है CT स्कैन लिख देता है और मिसयूज हो रहा है तो उसकी रोकने की जिम्मेदारी किस पर है ? ये भी तो बताइये !