दबंग दुनिया मुंबई एडिशन में संपादक नीलकंठ पारटकर की ब्राह्मण विरोधी नीतियों एवं प्रताड़ना से तंग आकर सिटी चीफ ओपी तिवारी, डिप्टी न्यूज़ एडिटर समीर तिवारी, सीनियर कॉपी एडिटर एचपी तिवारी, सीनियर कॉपी एडिटर चन्द्र भूषण शुक्ल, सीनियर रिपोर्टर ब्रजेश चंद्रा, क्राइम रिपोर्टर प्रदीप पाठक, फिल्म रिपोर्टर वरुण तिवारी, बिजनेस रिपोर्टर आनंद तिवारी ने एक साथ नौकरी छोड़ दी. इससे दबंग दुनिया में खलबली मच गई है. सभी दबंग दुनिया के संपादक नीलकंठ पारटकर और न्यूज़ एडिटर एसपी यादव से तंग आ गए थे.
दबंग दुनिया के संपादक नीलकंठ पारटकर को पहले गुटखा किंग किशोर वाधवानी ने निकल बहार फेक दिया था. वे रायपुर नवभारत में बतौर संपादक जॉइन किये थे लेकिन उन्हें वहां से भी निकाल दिया गया. एक बार फिर हाथ पैर जोड़कर दबंग मुंबई संस्करण में आ गये. जबसे आये हैं वे दबंग में कार्यरत ब्राह्मण रिपोर्टरों को प्रताड़ित कर रहे थे. विगत एक महीने से दबंग दुनिया में अंगेजी और मराठी अखबारों में छपी ख़बरों को ट्रांसलेट कर छापा जा रहा है. गुटखा किंग किशोर वाधवानी को झूठ बोलकर गुमराह किया जाता रहा है.
नीलकंठ पारटकर अपनी पहली पारी में जब दबंग दुनिया मुंबई एडिशन में संपादक थे तब उनके सहयोगी योगेश नारायण के साथ मिलकर साढ़े चार करोड़ रूपये गमन करने का मामला संस्थान की तरफ से कफ परेड पुलिस में दर्ज किया गया था. योगेश नारायण को गिरफ्तार किया गया था. दबंग दुनिया की नीति रही है कि अच्छे प्रतिष्ठानों में काम कर रहे लोगों को तोड़कर लाओ और बाद में निकाल बाहर फेको. कई महीनों से दबंग मुंबई में चल रहा घमासान अब जाकर सामने आया. इससे पहले श्री नारायण तिवारी को लोकमत समूह से बतौर संपादक मुंबई में लाया गया था. जब वे आये थे तो दबंग का सर्कुलेशन सिर्फ ढाई हजार था. उन्होंने सर्कुलेशन को बढाकर 17 हजार पहुंचा दिया था. लेकिन उनका भी तबादला जबलपुर कर दिया गया. अब एक बार सर्कुलेशन घट कर ५ हार से भी नीचे आ गया है.
मुंबई से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
SHIV
January 31, 2016 at 6:06 pm
भाई यशवंत जी!
किसी मीडियाकर्मी के भेजे पत्र को आप तथ्य कैसे मान लेते हैं? आप तो स्वयं अनुभवी हैं। मीडिया में ब्राह्मणवाद कितना हावी है क्या आप नहीं जानते? फिर कैसे आपने प्रकाशित कर दिया कि दबंग दुनिया में ब्राह्मण विरोधी नीतियों के चलते आठ लोगों ने नौकरी छोड़ी। दबंग दुनिया में आज भी सबसे ज्यादा कर्मचारी ब्राह्मण हैं। स्वयं संपादक नीलकंठ पारटकर ब्राह्मण हैं। दरअसल कुछ ऐसे निकम्मे लोग होते हैं, जो अपनी पोल छिपाने के लिए हर जगह जातिवाद की नागफनी बोने से बाज नहीं आते। मैं जो तथ्य जानता हूं; वह आपको; भड़ास के सभी पाठकों, कलमकार बिरादरी के लोगों के सम्मुख रखना चाहता हूं। ऊपर जिन आठ लोगों के दबंग दुनिया से नौकरी छोड़ने की बात कही गई है, मेरी जानकारी के अनुसार कमजोर प्रदर्शन के चलते उन्हें बाहर किया गया है। सिटी चीफ ओपी तिवारी!!! सिटी चीफ और चीफ रिपोर्टर में कोई अंतर होता है या नहीं? ओपी तिवारी दबंग दुनिया के चीफ रिपोर्टर थे; सिटी चीफ नहीं। मेट्रो-7 अखबार में पहली बार उन्हें चीफ रिपोर्टर नीलकंठ पारटकर ने ही बनाया। दबंग दुनिया में भी उनकी नियुक्ति बतौर चीफ रिपोर्टर नीलकंठ पारटकर ने ही की। जब योगेश नारायण के साथ मिलकर ओपी तिवारी ने ‘नगद-नारायण’ की पत्रकारिता शुरू की, तो पारटकर ही ने उनका विरोध किया। पारटकर ने ही योगेश नारायण की करतूतों की पोल खोली। तब ओपी तिवारी ने इंदौर से आयातित प्रवीण वर्मा के साथ मिलकर पारटकर के खिलाफ षडयंत्र रचा और मुंबई प्रेस क्लब, सायन कोलीवाड़ा में प्रवीण वर्मा को सोमरस का भोग लगाकर किसी तरह अभिलाष अवस्थी को संपादक बनवा लाए। अवस्थी ने जब कुछ ही दिनों में भांप लिया कि ओपी तिवारी पत्रकारिता की खोल में दुबका एक दलाल है, तो उन्होंने उससे दूरी बनानी शुरू कर दी। यह दूरी तब और बढ़ी जब एक बीमा कंपनी की ओपी तिवारी की फर्जी खबर पर समूचे दबंग प्रबंधन को कोर्ट के आदेश पर लिखित माफी मांगनी पड़ी। अवस्थी आज्ञाकारी नहीं रहे तो ओपी तिवारी ने प्रवीण वर्मा और दीपक बुड़ाना के मार्फत श्रीनारायण तिवारी को संपादक की कुर्सी दिलवा दी। लोकमत में श्रीनारायण की नैया डूबनेवाली थी, सो उन्होंने दबंग दुनिया में डेरा जमा लिया और अखबार के दफ्तर को ऐसे मंदिर की शक्ल देनी शुरू की जहां ब्राह्मणों के सिवा अन्य किसी का प्रवेश निषिद्ध था। दबंग दुनिया में पूरी ईमानदारी से काम कर रहे न्यूज एडिटर एसपी यादव को निकालने के लिए एब्सॉल्यूट इंडिया से बेरोजगार हुए समीर तिवारी को लाया गया, जो किसी कारणवश डेप्यूटी न्यूज एडिटर बनकर रह गए। सीनियर कॉपी एडिटर राजकुमार आनंद को निकालने के लिए ‘नवभारत’ के प्रूफ रीडर एच.पी. तिवारी को सीनियर कॉपी एडिटर का मेकअप कराकर पेश किया गया। सीनियर कॉपी एडिटर गुलजार हुसैन को निकालने के लिए ‘दक्षिण मुंबई’ से दरबदर हुए चीफ सब एडिटर चंद्रभूषण शुक्ल को सीनियर कॉपी एडिटर बनाकर लाया गया। सीनियर कॉपी एडिटर राधेश्याम यादव को निकालने के लिए ‘हमारा महानगर’ के रामकुमार मिश्र को लाया गया। फिसड्डी डीटीपी आॅपरेटर वरुण तिवारी को फिल्म पेच इंचार्ज-कम-रिपोर्टर बनाकर फिल्म क्षेत्र की अनुभवी सुनीता पांडे को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। प्राची दीक्षित, अमित यादव, सचिन उन्हालेकर, गीतांजलि, धनंजय कोकाटे, दिनेश भडसाले, अनिल सहित लगभग दो दर्जन लोगों को ओपी तिवारी के इशारे पर काम से निकाला गया।
श्रीनारायण तिवारी के कार्यकाल में जातिवाद के साथ प्रांतवाद को बढ़ावा दिया गया। मराठी भाषियों को ‘माणुस’ और हिंदी भाषियों को ‘आदमी’ की श्रेणी में बांट दिया गया। ‘माणुस’ होने का खामियाजा दफ्तर के चपरासी तक को काम से हटाए जाने के रूप में भुगतना पड़ा। रही बात अखबार के सर्कुलेशन की तो जिन लोगों ने सारी जिंदगी जोड़-तोड़ की पत्रकारिता की हो, उनके कार्यकाल में अखबार का सुर्कलेशन कैसे बढ़ता? अखबार जब मरणासन्न स्थिति में पहुंचा तो पुन: पारटकर को लाया गया। स्वयं दिन-रात काम करनेवाले पारटकर के कार्यकाल में कुर्सी तोड़नेवालों की पोल खुली तो रंडरोवन शुरू हो गया है।
रही बात ओपी तिवारी को तो मुंबई का हर पत्रकार इसकी चिरकुटगिरी के बारे में जानता है। इसकी वडाला गैंग के बदनाम किस्से एक अखबार में धारावाहिक छप चुके हैं। हर सभ्य व्यक्ति इस कीचड़ में पत्थर मारने से बचता है।
भार्ई यशवंत, आप खांटी पत्रकार हैं। आप निश्चित ही सच के साथ रहेंगे।
Raja
January 31, 2016 at 9:03 am
मुझे बड़ी ख़ुशी हैं कि मीडिया मैं अब तक ब्राह्मणवादी मानसिकता थी अब ब्राह्मण विरोधी पहली बार सुनी हैं । जय हो महाराज पाटकर जी यह परशुराम वाले क्षत्रिय विहीन कर देंगे दबंग दुनिया को । पर महाराज मेरा आपको नमस्कार क्योंकि यह कूटनीति चलकर दूसरों की नौकरी खाते हैं आज इनकी कोई खा गया तो विधवा विलाप कर रहे हैं ।
Smart
February 1, 2016 at 3:13 am
जय हो हनुमानजीकी…..
कुछ महीने पहले याने दबंग दुनिया के दूसरे संपादक अवस्थीजी के बाद का लगभग ७ – ८ महीनो का सफर दबंग दुनिया के मुंबई स्थित कार्यालय मै बस यही जय जय कर गूंज रही थी, श्री नारायण तिवारी जो खुद को बड़े हनुमानजी के भक्त बुलाना पसंत करते है और बस उन्हें ऐसे ही लोग भाते है जो उनका पदस्पर्श कर जय हनुमानजी का जप करे… चलो ये अछा ही है… पर काम का क्या? यही चलता आ रहा था श्री नारायण तिवारीजी के काल मै… अगर कोई इनके पैर न छुए तो हनुमानजी का श्राप लग जाता था… ये एक्स संपादक श्री नारायण तिवारीजी ने हनुमानजी का जैसे कॉपीराइट ही लेके रखा था… और जनाब आपको ये बता दे की जिन ८ लोगो की दबंग छोड़ जाने की पुस्ति की जा रही है और ब्राम्हण विरोधी होनेका जो आरोप लगाया जा रहा है यह एक बचकानी बातें है और कुछ नहीं…
नीलकंठ पराटकरजी जो खुद एक ब्राह्मण है वह ऐसा करेंगे… जो ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगाने वाले जनाब आप जरा गौर फरमाइए की पत्रकारिता निरपेक्ष की जाती है… पत्रकार का ना ही कोई धर्म होता है और ना ही कोई मजहब… ये बात तो आपके पल्ले नहीं पड़ेगी उतनी सोच आप मै कहा….
चलो बात करते है उन ८ अजूबो की…
ये सारे ब्राह्मण है इन में ओ पी तिवारी जो पहले पराटकर जी के साथ ही काम करते थे और उनोने ही इनको काम दिया था ओ अलग बात है मालिक के तलवे चाट कर अपना अलग आस्तित्व बनाये थे… वाटी मास्टर, चिरकुट पत्रकार आदि नामो से ही इनकी पहचान होती है.. इनके साथ ब्रजेश चंद्रा,भी आते है, वरुण तिवारी जो पहले दबंग मै डीटीपी ऑपरेटर थे जो श्री नारायण तिवारी के आगे झुक झुक कर फिल्म रिपोर्टर बने इनकी वाटी लगा लगा कर तो ये गुट बोहत सारे पैसे कमा चूका है… एचपी तिवारी, चन्द्र भूषण शुक्ल यह तो श्री नारायण तिवारी के खास बन्दों मै माने जाते थे उनको लाया भी तो ईनोने ही था.. ये तो श्री नारायण तिवारी के रिस्तेदार भी है इनकी औकाद से दुगना पेमेंट दे कर लाया गया था… आखिर सगे वाले जो ठहरे… समीर तिवारी जिनको ज्यादा पेमेंट दे कर लाया गया उनके काम की तुलना एसपी यादव जी के साथ की जा रही थी पर समीर तिवारी का काम कॉपी पेस्ट के आगे कभी बड़ा ही नहीं खैर अब आते है आनंद तिवारी जिनको श्री नारायण तिवारी पहले ही निकालना चाहते थे लेकिन तिवारी नाम आड़े आया और यह बंदा बच गया था.. अब बताता हु सबसे बड़े चूजे के बारे मै जिसकी रीड की हड्डी ही नहीं है या शायद झुक झुक कर शर्म के मारे गायब हो गई हो.. ये है प्रदीप पाठक जो पहले ओ पी तिवारी से झगड़ा कर दबंग छोड़ चुके थे लेकिन वापस अपनी झुकने की कॉलिटी से वापस आ गए थे सभी दबंग के मुंबई स्टाप को इनकी इस कॉलिटी का पता है… जो टेबल के ऊपर से झुक कर श्री नारायण तिवारी को पायलागु करते थे.. ये सारे ८ नमूने जो हमने जॉब चोदा है ये बता ते है दरसल इनकी झुकने की कॉलिटी ही इनको आब तक दबंग से जोड़े रखी थी लेकिन अब ये सब नहीं हो सकता था १ माह मै इनको इनकी नानी याद आई होगी जिनको काम करना आता है वह लोग किसी भी हालत मै काम करते है.. जिनका काम बोलता है उनको किसी के पैर छूने नहीं पड़ते …
खैर अभी तो यही तक बाकी तो सब जनता जानती ही है… वेट एंड वाच…. बस यही थोड़े दिनों मै पता चल ही जायेगा की क्या सही और क्या गलत…..
S N dubey
February 1, 2016 at 4:38 am
कचरा साफ़ …..? अच्छा हुआ किसी ने केजरीवाल की तरह दबंग का कचरा तो साफ़ किया ।।
S N dubey
February 1, 2016 at 5:11 am
अच्छा हुआ किसी ने तो कचरा साफ़ की ? एक साल में
कचरा ही कचरा भर गया था ?
shiv prasad
February 1, 2016 at 11:22 pm
दबंग दुनिया में तो आज भी सबसे ज्यादा ब्राह्मण काम कर रहे हैं.ये आठ लोग तो पंडित श्रीनारायण तिवारी के एक्स्ट्रा थे
pravin
February 2, 2016 at 1:21 am
इसका मतलब पहिले वाले ब्राह्मण संपादक एस एन तिवारी ने ब्राह्मण लोगोको पालके रखा था.