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प्रबंधन की वायदाफरोशी से आजिज ‘दबंग दुनिया’ के डीटीपी इंचार्ज ने दिया इस्तीफा

‘दबंग दुनिया’, जबलपुर (मध्यप्रदेश) के डीटीपी इंचार्ज पुनीत अग्रवाल ने स्थानीय संपादक के नाम एक निजी पत्र में तत्काल प्रभाव से स्वयं को कार्यमुक्त करने का निवेदन करते हुए सविस्तार यह भी अवगत कराया है कि उन्हें प्रबंधन की बार-बार की वायदाफरोशी से आजिज आकर संस्थान छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा है। 

<p>'दबंग दुनिया', जबलपुर (मध्यप्रदेश) के डीटीपी इंचार्ज पुनीत अग्रवाल ने स्थानीय संपादक के नाम एक निजी पत्र में तत्काल प्रभाव से स्वयं को कार्यमुक्त करने का निवेदन करते हुए सविस्तार यह भी अवगत कराया है कि उन्हें प्रबंधन की बार-बार की वायदाफरोशी से आजिज आकर संस्थान छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा है। </p>

‘दबंग दुनिया’, जबलपुर (मध्यप्रदेश) के डीटीपी इंचार्ज पुनीत अग्रवाल ने स्थानीय संपादक के नाम एक निजी पत्र में तत्काल प्रभाव से स्वयं को कार्यमुक्त करने का निवेदन करते हुए सविस्तार यह भी अवगत कराया है कि उन्हें प्रबंधन की बार-बार की वायदाफरोशी से आजिज आकर संस्थान छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा है। 

उन्होंने खेद सहित ‘दबंग दुनिया’ प्रबंधन को बताया है कि अगस्त 2014 में उनकी ज्वॉइनिंग डीटीपी इंचार्ज के रूप में हुई थी। उस समय जितना वेतन देने का वायदा किया गया था, वह आज तक नहीं मिला है। उनके मना करने के बावजूद सीमित सैलरी से उनका फंड भी काटा जाने लगा। इससे उनकी आर्थिक स्थिति लगातार खराब बनी रही। गीत दीक्षित, यूनिट हेड जिबिन थॉमस, भोपाल यूनिट के संपादक पुष्पेंद्र सोलंकी, इंदौर एचआर हेड आदि वेतन विसंगतियों को लेकर उन्हें जमा-जुबानी सिर्फ भरोसा देते रहे।

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उन्होंने प्रबंधन को बताया है कि जब ‘दबंग दुनिया’, जबलपुर में लोकार्पित हुआ तो डीटीपी विभाग में उनके सहित छह लोगों धर्मेंद्र राठौर, समीर रंगरेज, जयदीप सिंह सेंगर, शरद मिश्रा, विनोद पाठक आदि कार्यरत थे। बाद में धर्मेंद्र राठौर, समीर रंगरेज को निकाल दिया गया। उस समय कहा गया कि अब नया सहयोगी काम के लिए मिलेगा। आज तक कोई सहयोगी नहीं दिया गया। इस दौरान अखबार के पेजों की संख्या लगातार बढ़ाई जाती रही। विज्ञापन बढ़ते रहे। इससे काम का अतिरिक्त बोझ बढ़ता गया। यहां तक कि अवकाश मिलना भी मुश्किल हो चला। पूरे डीटीपी का बोझ चार लोगों पर लाद दिया गया। वेतन का हाल ये रहा कि पेज डिजायनर की भी सैलरी उनसे एक हजार रुपए ज्यादा है। ऐसे हालात में अब काम करना संभव नहीं हो पा रहा है। इसलिए उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया जाए।    

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0 Comments

  1. dabang chor

    April 15, 2015 at 5:21 pm

    dabang duniya ka yahi hal hai, aur shriman geet dixit to baat kar k fuslaane me xpert hain. join karwate samay meethi meethi batein aur sapne aise dikhayenge ki puchhiye mat. bad me phone uthana hi band

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