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भड़ास को दैनिक जागरण के अंदर की खबरें कौन भेजता है?

सेवा में आदरणीय

महेंद्र मोहन जी, संजय जी व संदीप जी

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शीर्षक- आइए जानें कौन दैनिक जागरण की थू-थू कराने वाला विलेन

कानपुर : आदरणीय सर आज भड़ास 4 मीडिया पर हमारे मानसिक उत्पीड़न से संबंधित नोटिस व उसके मजमून से संबंधित नोटिस के आधार पर खबर चली है। यह खबर हमने नहीं चलवाई।

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बीते एक वर्ष से हमको निशाना बनाया जा रहा है। हमने संदीप भैया से गुहार लगाई, लेकिन भड़ास पर आज तक खबर नहीं चलवाई। इस संबंध में जब हमने भड़ास के मालिक से फोन करके जानकारी चाही तो उन्होंने खबर भेजने वाले का नाम बताने से मना कर दिया। यशवंत जी की रिकार्डिंग व खबर का लिंक संलग्न है।

हमने आदरणीय संजय जी, संदीप जी को जब नोटिस की कापी मेल की तो उसमें विष्णु जी, आशुतोष जी, जितेंद्र शुक्ला जी, अवधेश जी, दिवाकर जी, यशांश जी, अनूप जी, अनुराग जी, अभिषेक जी सहित सबको सीसी किया, ताकि सबको जानकारी मिल जाए। सीसी वाले लोगों में से ही किसी ने हमारी छवि संस्थान के प्रति खराब करने के लिए यह खबर चलवाई है। जो व्यक्ति खबर चलवाने के बाद आपके सामने हमको गलत साबित करने व अपने खिलाफ खबर चलने की बात कहकर खुद को बेचारा साबित करने आए होंगे वही इसे भड़ास पर चलवाने वाले हैं।

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ऐसा मनीष श्रीवास्तव के केस में भी हुआ है। उसी की उंगली तोड़ी गई व उसी की खबरें भड़ास पर चलवाकर उसे बदनाम कर दिया कि वह संस्थान का दुश्मन है। सर इन सीसी वाले लोगों में सब लोगों पर संदेह नहीं किया जा सकता। पिछले साल औरैया ट्रांसफर के बाद जब हमको हटाने का प्रयास किया गया था, तब भी हमने आपको मेल भेजी थी। वह भी कई अधिकारियों को सीसी थी। उन अधिकारियों ने आज तक उनको वायरल नहीं किया। वो लोग नहीं हो सकते, लेकिन इस बार जिन नए लोगों को सीसी है। उनमें से ही कुछ ने खुद को हीरो व मुझे विलेन साबित करने को यह खबर चलवाई है।

सर आप कहते तो हम केस वापस ले लेते, लेकिन ऐसी हरकतें देखकर अब मानसिक उत्पीड़न, नियुक्ति- दूसरी कंपनी में करके जागरण में बिना उचित वेतन, भत्ते, पीएफ, सीएल व मेडिकल दिए काम कराने के मामले में सेल कंपनी, 420, मानसिक उत्पीड़न का केस लड़ने का मन बना लिया है। इन्हीं लोगों के कारण हम आपको भी पार्टी बनाने को मजबूर हैं।

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जागरण में काम करने के पर्याप्त सबूत हमारे पास हैं। मैं नहीं कह रहा कि फलाने ने ये खबर चलाकर आपको गुमराह किया। यह जांच का विषय है। हम यह भी जानते हैं कि अब जागरण के दरवाजे कुछ लोगों ने हमारे लिए हमेशा को बंद करा दिए हैं। यह बात जागरण के ही वरिष्ठ लोगों से पता चली है।

सर अभी भी हो सकता है आप हमारी बातों पर यकीन न करें, लेकिन ये समय साबित करेगा कि जिनको आप आज जागरण के तारणहार समझ रहे हैं, वही इसे डुबोने वाले हैं। हिमांशु जी को दो बार मृत्यु शैया पर भेजने वाले कौन हैं। मनीष और हरेन्द्र की खबरें चलवाने वाले और उनको जागरण का विलन साबित करने वाले कौन हैं। यह जांच का विषय है।

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यह लोग जैसे अब तक कई खबरें भड़ास पर लगवाकर जागरण को बदनाम कर चुके हैं, यकीन मानिए भविष्य में भी वो यही करेंगे। हम जागरण में करीब सात साल सेवा दे चुके हैं। कभी ऐसा नहीं हुआ। अब अचानक क्यों हो रहा है। यह भी जांच का विषय है।

अचानक कोर्ट केस क्यों बढ़ रहे कानपुर जागरण पर, यह भी जांच का विषय है। सात साल तक हम जागरण के हीरो रहे। अधिकारियों ने सदैव काम को सराहा। अचानक अब हमको विलेन क्यों साबित किया जा रहा है। यह जांच का विषय है। हमारे लिए जागरण के दरवाजे सदैव के लिए अचानक क्यों बंद करवा दिए गए। यह जांच का विषय है।

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विशेष नोट-
जब से जागरण शुरू हुआ और नवीन पटेल सर के कार्यकाल तक कभी ऐसे हालात नहीं रहे यह जांच का विषय है। सर एक बात और कहूंगा आदरणीय नवीन पटेल सर के साथ भी बहुत गलत हुआ। वह देवता इंसान हैं। सर आप जानते हैं उनको हमारे और हमको उनके खिलाफ खड़ा करने वाले संस्थान के ही कुछ लोग थे। इसीलिए आशुतोष जी द्वारा एक वर्ष पूर्व हमको औरैया का जिला प्रभारी बनाने पर उन्होंने आपत्ति की थी। जब हमने उनको वाट्सएप से सारी स्थिति स्पष्ट की तो संपादक होने के बावजूद उन्होंने हमसे एक छोटे से कर्मचारी से सॉरी बोला था। आज के हालात देखकर दुख होता है कि हम उस देवता इंसान के तनाव का कारण बने। बाकी आप को जो उचित लगे कीजिए। आप इस कंपनी के डायरेक्टर हैं और हम आपकी सेल कंपनी के एक अदने से कर्मचारी।।

सादर प्रणाम,
आपका सस्पेंडिड कर्मचारी
हरेन्द्र प्रताप सिंह
दैनिक जागरण
कानपुर

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एक मेल ये भी-

आदरणीय संजय सर/संदीप सर
सादर प्रणाम

आदरणीय सर
सबसे पहले आपको लीगल नोटिस भेजने के लिए क्षमा चाहता हूं, लेकिन मजबूर हूं। वकील का कहना है कि एक डायरेक्टर को भी नोटिस देना जरूरी है। सर आपके संस्थान में हमको वेतन जरूर कम मिलता है, लेकिन तीसरी बार जॉब मिली है। पिछले साल तक हम जागरण के लिए हीरो थे। विनोद शील सर, चड्ढा सर, आनंद सर, नवीन सर सबके साथ प्रेम से काम किया।

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इस दौरान रेड स्टार या माफीनामे न के बराबर, मैडल व तारीफ अधिक मिली। एक वर्ष पूर्व औरैया तबादले के बाद हम जीरो हो गए। हाल ही में हमको बिना गलती के मौखिक आदेश देकर कानपुर के संपादक जी जितेंद शुक्ला, दिवाकर मिश्रा व यशांश सर ने नौकरी से निकाल दिया। लिखित आदेश मांगने पर भी नहीं दिया। न काम ले रहे हैं न लिखित में निकालने का आदेश दे रहे हैं। बैठे बैठाए इस महीने 1100 कुछ रुपये भी दिए।

सर मजबूरी में हम न्याय के लिए कोर्ट जा रहे हैं। जितेंद्र शुक्ला, दिवाकर मिश्रा व यशांश सर का नोटिस तो रिसीव हो गया, लेकिन आपका नोएडा भेजा गया नोटिस आप तक पहुँचा। ऑनलाइन ट्रैकिंग से यह जानकारी मिली। सर दूसरा नोटिस आपको कानपुर कार्यालय के पते पर भेजा है। सर आप हमारे गार्जियन हैं। आपको जानकारी देना जरूरी है। सो वकील की सलाह पर आपको नोटिस कीकॉपी मेल भी कर रहा हूं। हम कभी आपके तनाव का कारण नहीं बने सर। जब -जब कुछ अधिकारियों ने मजबूर किया तब हम तनाव में आपके तनाव का कारण बने।

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सर हम 13500 रुपये पाने वाले एक ऐसे इंसान हैं जो तीन साल से पैसे की कमी के कारण न तो चश्मा बनवा पा रहे हैं न सर्दी से बचने को जैकेट ले पा रहे हैं। माना हमने कई बार अधिक छुट्टियां लीं। दिवाकर जी व यशांश जी व संपादक जी ने सदैव इसे बहाना बताया। सर क्या अल्प वेतनभोगी वेतन कटवाने को जान बूझकर घर में पड़ा रहेगा। कुछ विवरण नोटिस में है। सर आपको सूचना देने व प्रताड़ना से तंग आकर मैं कोर्ट जाने को विवश हूं। माफ कीजिये सर। जागरण में नियुक्ति न होने के बावजूद जागरण में कार्य कराने के सुबूत उसी दिन से जुटाने शुरू कर दिए थे जब जितेंद्र सर ने एक वर्ष पूर्व ये कहा था कि डायरेक्टर्स से हम लोगों की शिकायत करोगे तो कहीं जॉब नहीं कर पाओगे।

इन्होंने दिवाकर जी को एक दिन केबिन में बुलाकर हमारे सामने यह भी कहा था कि इनकी रोज समीक्षा करो एक एक गलती पर खेद प्रकाश लो। रेड स्टार दो फिर डायरेक्टर्स के सामने रखकर इनको बाहर कराओ।

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सादर प्रणाम
आपका अनुज
हरेन्द्र प्रताप सिंह
संवाद सहयोगी
जागरण कानपुर


मूल खबर-

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मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने पर दैनिक जागरण के पत्रकार ने संपादकों-मालिकों को भेजा लीगल नोटिस

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