Yashwant Singh : गुड न्यूज है. अंत भला तो सब भला. पत्रकार नितिन ठाकुर और आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार ने मिलकर बातचीत की और विवाद को सुलझा लिया है. महिला पत्रकार ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.
झगड़ा खत्म होने के बाद भड़ास से और फेसबुक से मैंने इस प्रकरण से संबंधित सारी खबरें हटा दी हैं क्योंकि महिला पत्रकार ने अब मीडिया ट्रायल न करने की अपील की है. आप सबसे भी अपील है कि जिन जिन ने इस प्रकरण को लेकर एफबी पर, ट्वीट पर कुछ लिखा, शेयर किया है, उसे हटा लें. हमें निजता का सम्मान करना चाहिए.
बाकी डिटेल जानने के लिए ये खबर पढ़ें-
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की उपरोक्त एफबी पोस्ट पर आए ढेरों कमेंट्स में नितिन ठाकुर का जो कमेंट है, और उस पर यशवंत का जो जवाब है, उसे नीचे प्रकाशित किया जा रहा है-
Nitin Thakur : यशवंत सिंह जी, आपसे एक बार बात हुई थी। मैंने साफ बताया था कि मसला परिवार का था और वहीं बिगड़ा लेकिन आपने उसके बाद फेसबुक पोस्ट लिखकर मेरे विरुद्ध माहौल बना दिया, चाहे वो अनचाहे हो। अब यहां कबड्डी खेल रहे कई पुराने खिलाड़ियों को बता दूं कि जिसने शिकायत लिखी उसने वो बिना शर्त वापस ली है जिसमें ना शादी का वादा है और ना कुछ और.. क्योंकि दोनों परिवारों के बीच बात बिगड़ी थी। यहां कई लोग एक बार फिर अपनी नीच हरकतों के चलते लिख रहे हैं कि देखते हैं ये रिश्ता कब तक चलेगा तो बता दूं कि रिश्ते वगैरह के बारे में शिकायतकर्ता ने खुद स्पष्ट कर दिया है। इस विषय में ये आखिरी बात है क्योंकि पोस्ट में बात पूरी नहीं लिखी गई है और पोस्ट के नीचे सोशल मीडिया ट्रायल तो जारी है ही। धन्यवाद
Yashwant Singh : नितिन जी, आपने मेरे बारे में जो टिप्पणी की है उसका जवाब देना चाहूंगा. एक पीड़िता द्वारा न्याय दिलाने में मदद की अपील करने की स्थिति में मैंने सारे मामले को समझने के बाद ठंढे दिमाग से जो कुछ कर सकता था, किया. उसी में फेसबुक और भड़ास पर लिखना भी था, बिलकुल जानबूझ कर. इसमें कोई अनचाहा मामला है ही नहीं. मेरी जगह आप होते तो भी यही करते. ये अलग बात है कि आप खुद तब आरोपी थे और जवाबदेह थे. पीड़िता के हालात, उसकी मन:स्थिति और उसके दुख को देखकर मेरे से जो संभव बन पाया, वह किया. ये मेरा स्वभाव है, ये मेरा पत्रकारीय धर्म है. इसे आगे भी जारी रखूंगा, जिसे अच्छा लगे या बुरा. हां, मेरी सदिच्छाएं आप लोगों के साथ रहीं, हैं, रहेंगी, इसलिए अलग से कोई ट्रायल नहीं किया, बस दो खबरें छापी, वह भी प्लेन ढंग से. इसी सदिच्छा के तहत ही दोनों खबरें भड़ास और फेसबुक से हटाई हैं, जिसे हटाने की कतई जरूरत नहीं थी. पीड़िता अब क्यों समझौता कर बैठी, अब क्यों शादी की मांग नहीं कर रही, यह मैं नहीं जानता और न जानना चाहता. आप दोनों में जो भी सहमति बनी हो, उसके बाद पीड़िता ने जो बयान जारी किया, उसके बाद मामले को मैंने खत्म समझ तदनरुप खबर का प्रकाशन किया. इतिश्री.
अपने उपर आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार से समझौते के बाद नितिन ठाकुर ने अपनी फेसबुक वॉल पर जो पहली प्रतिक्रिया पोस्ट की है, वह इस प्रकार है-
Nitin Thakur : दो महीने से मैं बिस्तर पर था। शहर से बाहर था। लगातार लिखकर सबसे अपनी तबीयत ये सोचकर साझा करता रहा कि पूछनेवालों को फिक्र होगी। हालत इतनी खराब थी कि नौकरी पर लगातार ना जाने के कारण वो त्याग ही दी। इस बीच एक दुर्भाग्यपूर्ण वाकया घटा जो अभूतपूर्व नहीं था पर देखकर अचरज हुए कि सोशल मीडिया कम्युनिटी उससे कुछ नहीं सीखती। वही आरोप- वैसे की कयास और उसी तरह का ट्रायल।
मैं चुप रहा क्योंकि मैंने इस मंच को कभी भी व्यक्तिगत आरोप-आक्षेप का माध्यम नहीं बनाया। वैचारिक मतभेद या समर्थन अलग बात है। कई साल पहले एक दोस्त को कहा था कि कभी ना कभी तुम मेरा भी ट्रायल यहीं देखोगे क्योंकि यहां बहुत लोग हैं जो चाहते हैं कि मैं लड़खड़ाऊं तो वो आगे बढ़कर गिरा दें। कमाल है कि यहां तो मैं लड़खड़ाया भी नहीं था। खैर, सच की मांग के बीच सच के वास्तविक इच्छुक कम दिखे इसलिए मैंने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।
अब इसलिए आया क्योंकि जाने-अनजाने में आप उस लड़की का फेसबुक ट्रायल कर रहे हैं जिसके विपरीत खुद मैंने कुछ नहीं लिखा। मुझे निजी तौर पर जाननेवाले भी जानते हैं कि मैं ये सब नहीं चाहता। उन्होंने अपनी बात सार्वजनिक तौर पर लिख दी है और मुझे उसमें कुछ नहीं जोड़ना-घटाना। यहां भी लगा रहा हूं और आप एक-एक पंक्ति पढ़ लें। जो मेरे पक्ष में लिखने के फेर में उन पर टिप्पणी कर रहे हैं उसे तुरंत रोक दें। मैं किसी के लिए भी ऐसा नहीं चाहूंगा।
बाकी बहुत कुछ देखा। कई की पहचान हुई। ये जीवन बहुत लंबा है। आप सभी खुश रहें।
उपरोक्त स्टेटस पर आए सैकड़ों कमेंट्स में भड़ास एडिटर यशवंत का कमेंट इस प्रकार है-
Yashwant Singh : सही किया नितिन। ऐसी ही उम्मीद थी आपसे। आपसे मेरी बात हुई थी इस मुद्दे पर। ये जो पहल की है, ये जो पक्ष आपका आया है, वह शुभ है। आगे के लिए भी शुभकामनाएं।
Madan Tiwary Advocate
October 17, 2019 at 9:40 pm
वैसे मिस्टर नितिन मेरा अपना अनुभव कहता है कि आप बहुत शातिर इंसान हो, पहले यौन शोषण किया,फिर परिवार की आड़ लेकर लात मारकर निकाल दिया, जब मामला थाना कोर्ट मीडिया तक पहुचने लगा तो झठ से सरेंडर कर के फिर से लड़की को अपने जाल में फंसा लिया । हमलोग अक्सर राय देते हैं कि पहले अपना दबा हुआ हाथ निकाल लो बात में जो मन आये करो,तुमने भी वही किया है,,बाकी डायलाग उन्हें दिखाओ जो औसत बुद्धि के हैं