सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक मंचों पर हम यह दावा भले ही करते हों कि समाज बदल रहा है, सोच बदल रहा है। सामाजिक समरसता आ रही है। लेकिन यथार्थ के धरातल पर ये सारी बातें बकवास ही नज़र आती हैं। गुरुवार को पटना में नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह में यह बात साफ तौर पर दिखी कि सम्मान देने की परंपरा को भी जातियों में बांट दिया गया है। नीतीश कुमार व दूसरे सवर्ण नेताओं के चरण स्पर्श करने वाले कई विधायक महादलित मुख्यतमंत्री व स्पीकर को सम्मान देने के दौरान झेंपते नजर आए। विधायक ऋषि मिश्रा ने इन दोनों के सामने सिर झुकाना भी उचित नहीं समझा।
शपथ ग्रहण के बाद विधायक मंच के पीछे से दूसरी ओर हस्ताक्षर करने के लिए जा रहे थे। इस दौरान विधायक मंचासीन विशिष्ट लोगों को अभिवादन करते हुए आगे बढ़ रहे थे। कुछ लोग पैर छू कर आशीर्वाद ले रहे थे तो कुछ लोग दोनों हाथ जोड़ कर शीश झुका का अभिभावदन कर रहे थे। यह सिलसिला चल ही रहा था कि जाले से निर्वाचित विधायक ऋषि मिश्रा की बारी आयी। उन्हों ने विधानसभा उपाध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह व पूर्व सीएम नीतीश कुमार को झुक कर प्रणाम किया, लेकिन नीतीश के बगल में बैठे स्पीकर यूएन चौधरी और सीएम जीतनराम मांझी के सामने उन्हों ने सिर झुकना भी उचित नहीं समझा और हाथ मिलाकर आगे बढ़ गए। जबकि इनके बाद बैठे परिषद सभापति अवधेश नारायण सिंह व पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के सामने शालीतना से सिर झुका कर आगे बढ़ लिए।
हमारा मकसद विधायक के व्यवहार पर सवाल उठाना नहीं है। हम इतना ही बताना चाहते हैं कि समाज बदलने की राजनीति करने वाले लोग कितने खोलले तर्क देते हैं कि हमने महादलितों के लिए क्या-क्या नहीं किया। लेकिन उनकी ही पार्टी का विधायक उनके ही सामने किस कदर महादलित को लेकर मानसिकता रखता है। यह न केवल पार्टियों को, बल्कि समाज को भी सोचना होगा।
पत्रकार बीरेन्द्र कुमार यादव के फेसबुक वॉल से साभार।
baikunth shukla
June 29, 2015 at 6:31 am
jabtak samvidhan me jati bhed ka ullekh hoga, mujhe lagta hai jativad aur badhega, asamanata aur failegi