लीवर संबंधी बीमारियों और फैटी लिवर के हानिकारक प्रभाव के बढ़ते मामलों के बारे में जागरुकता आवश्यक
पिछले 2 दशकों में जीवन की गुणवत्ता में बदलाव और सुधार हुआ है. लेकिन आर्थिक विकास ने जीवनशैली की कुछ बीमारियों को बढ़ावा दिया है. इससे स्वास्थ्य देखभाल पर भारी बोझ पड़ा है. जीलवशैली में बदलाव, मोटापा और डायबिटीज ने जीवनशैली स्वास्थ्य संकट में योगदान दिया है. गतिहीन जीवनशैली के साथ शराब का अत्यधिक सेवन सीधा लीवर पर अटैक करता है.
लीवर संबंधी बीमारियों और फैटी लिवर के हानिकारक प्रभाव के बढ़ते मामलों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने हरियाणा स्कूल लेक्चर एसोसिएशन के सहयोग से गवरमेंट स्कूल लेक्चरर्स ऑफ हरियाणा के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया।
वेबिनार की अध्यक्षता हिसार के मेयर गौतम सरदाना द्वारा की गई। उन्होंने आधुनिक जीवनशैली से उपजे लीवर संबंधी विकारों पर चिंता व्यक्त की। इस वेबिनार में हरियाणा से लगभग 220 स्कूल शिक्षकों ने भाग लिया।
फोर्टिस हेल्थकेयर के हेपेटो-पैनक्रीटो-बाईलियरी सर्जरी, लिवर ट्रांसप्लान्ट के चेयरमैन और निदेशक डॉ. विवेक विज ने बताया कि, “फैटी लीवर की समस्या तब होती है जब लीवर की कोशिकाओं में वसा बहुत ज्यादा मात्रा में जमा हो जाता है। कोशिकाओं में वसा की कुछ मात्रा होना सामान्य है, लेकिन 5 प्रतिशत से अधिक वसा से फैटी लीवर की समस्या हो जाती है। हालांकि, शराब का अत्यधिक सेवन फैटी लीवर का कारण बन सकता है, लेकिन ऐसा हर मामले में जरूरी नहीं है। फैटी लीवर के लक्षण न दिखाई देने पर यह दशकों तक अंदेखा हो सकता है। धीरे-धीरे लीवर में सूजन बढ़ने लगती है और फाइब्रोसिस जमा होने लगती है। एक बार जब यह एडवांस चरण पर पहुंच जाता है, जिसे सिरोसिस या लीवर कैंसर कहते हैं, तब इसके लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं। सिरोसिस के चरण में लीवर फेल हो सकता है, जिसके इलाज के लिए केवल लीवर ट्रांसप्लान्ट का विकल्प ही रह जाता है। यदि बीमारी का पता शुरुआत में ही लग जाए तो इसे बढ़ने से रोका जो सकता है और इसका सफल इलाज भी संभव है। चुनौती यह है कि फैटी लीवर के रोगियों को उस वक्त कैसे मदद दी जाए जब लक्षणों का कोई नामोनिशान नहीं मिलता है।”
फैटी लिवर के कई संकेत होते हैं लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि वे सभी एक-साथ नजर आएं। ये लक्षण बाद के चरणों में नजर आ सकते हैं जैसे कि थकान, कमजोरी, हल्का दर्द या पेट के निचने हिस्से के दाहिने या बीच में भारीपन, लिवर एंजाइम्स का उच्च स्तर, इंसुलिन का स्तर बढ़ना, ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ना, भूख में कमी, मतली और उल्टी आदि।
हिसार के मेयर गौतम सरदाना ने बताया कि छात्रों को सही उम्र में सही जानकारी देकर आने वाले कल की बीमारियों से बचाया जा सकता है।
प्रेस विज्ञप्ति