खबर है कि लखनऊ के वायस आफ नेशन अखबार के एडिटर इन चीफ पद से वरिष्ठ पत्रकार प्रभात रंजन दीन ने इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों के मुताबिक प्रभात इस बात से नाराज थे कि उनके लिखे आर्टकिल पर अखबार मालिक प्रखर सिंह ने खुद का नाम लगाकर क्यों छपवा लिया. इस सीनाजोरी से खफा प्रभात ने इस्तीफा दे मारा. वैसे ये अपनी तरह का पहला मामला होगा जिसमें प्रधान संपादक के लिखे लेख पर अखबार मालिक ने खुद का नाम देकर छपवा लिया और इसके कारण विरोध में प्रधान संपादक ने इस्तीफा दे दिया.
प्रभात रंजन दीन अपने सिद्धांतों-सरोकारों के साथ काम करने वाले पत्रकार माने जाते हैं. इसी कारण जहां उनकी प्रबंधन से खटपट होती है, वे तुरंत इस्तीफा दे देते हैं. प्रभात के वायस आफ मूवमेंट से जाने के बाद उनकी टीम के लोगों को वायस आफ मूवमेंट में मालिक के करीबी लोग परेशान कर रहे हैं. इस कारण कई अन्य ने इस्तीफा दे दिया है. खबर है कि प्रताड़ना से तंग आकर अखबार की रिपोर्टर अंजलि सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया है. उधर, वायस आफ मूवमेंट के कर्मियों को सेलरी नहीं दी गई है जिसके कारण यहां काम करने वाले काफी परेशान हैं. पैसे न होने के कारण लोगों का घर चलाना और काम करना मुश्किल हो रहा है.
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dhiraj
June 21, 2014 at 8:53 pm
मैं या किसी को भी श्री प्रभात रंजन दीन के मूल्यों और नैतिकता के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए। उस समय श्री प्रभात रंजन दीन के मूल्य और नैतिकता कहां थे जब इन्होंने कैनविज टाइम्स से 30 सम्पादकीय स्टाफ और रिपोर्टरों के साथ अचानक इस्तीफा दे दिया था जहां इन्होंने पिछले दो साल तक काम किया था। और इस इस्तीफे के कारण कैनविज टाइम्स दो दिनों तक प्रकाशित नहीं हुआ। उस समय श्री प्रभात रंजन दीन की संगठन के प्रति वफादारी क्या यही थी। श्री प्रभात रंजन दीन ने वायस आफ मूवमेंट अपने इस्तीफे के लिए 12 बजे रात का वक्त चुना वह भी तब जब संस्था के चेयरमैन श्री प्रखर कुमार सिंह दिल्ली के लिए उडान भरने वाले थे जहां उनके पिता एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं जो एक गम्भीर बिमारी से जुझ रहे हैं और जबकि इन सब के एक दिन पहले ही श्री प्रभात रंजन दीन ने सभी कर्मचारियों के साथ मिटिंग में श्री प्रखर कुमार सिंह के साथ उनकी परेशानी की घडी में समर्थन की बात की थी और संस्थान को एक परिवार बताया था। इसके लिए उन्होंने अपने खोखले आदर्शों की दुहाई भी दी थी। और जहां तक बात लेख को लेकर श्री प्रभात रंजन दीन के इस्तीफे की है तो सच तो ये है कि वह लेख श्री प्रखर कुमार सिंह के दिमाग से उपजा था जिसे शब्दों में उतारने के लिए कहा था। और जहां तक बात कर्मचारियों के प्रताडित होने और संस्थान छोडने की बात है तो यह सभी जान लें की सभी कर्मचारी आज भी मेहनत और लगन से वायस आफ मूवमेंट में काम कर रहे हैं हां जहां तक वेतन की बात है तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि उसमें देरी हुई है लेकिन यह समस्या भी ज्यादे दिनों की नहीं है। मैं वायस आफ मूवमेंट के सभी कर्मचारियों के मेहनत और ईमानदारी और संस्थान के प्रति वफादारी को सलाम करता हूं और श्री प्रभात रंजन दीन से इन कर्मचारियों से कुछ सीख लेने का निवेदन करता हूं। और हां सभी से निवेदन है कि किसी को दोष देने से पहले पूरी जानकारी इकठठा कर लें।
sumit
June 20, 2014 at 5:24 am
Ye to hona hi tha. Vom ke malik prakhar singh ko akhbaar ki abcd nahi aati. Press release tak banana nahi aata. Pita ke paiso par aish kar rahe hain. Rahi baat prabhat ji ki unohone bhi kitne logo ki hai li hai kitno ko berojgaar kiya hai to unka istifa to banta hai boss. Jo wo voice of movement aaye the to aoni team kaye the is karan purane logon ko yaha bina bataye nikal jane ka altimetam de diya gaya tha. हाय तो लगेगी ही।
vivek vikram singh
June 20, 2014 at 9:21 am
prabhat sirf deen hai o ranjan ho he nhe skta..bs khwab wasoolo ka dikhata hai…khud ka koi wasul nhe h
ritik
June 21, 2014 at 4:30 am
i dont think that anybody should have a doubt about the values and ethics of Mr. Prabhat Ranjan Deen. Where were those values and ethics when he resigned from Kanvizz Times, in which he was working for the last 2 years, and Suddenly resigned along with a team of 30 editorial staff and reporters, so that the paper could not be published for the next 2 days.
Is this the loyalty that you show towards the organisation in which you are working?
He chose to resign at 12:00 am from Voice of Movement on the exact day when he knew the Owner Mr. Prakhar Kumar Singh was flying to Delhi to attend to his personal problems.
And all this when just one day before, Mr. Deen in a meeting with the employees talked about being a fatherly figure to the organisation, about his support towards Mr. Prakhar Kumar Singh, and his ideal but hollow talks about all being a part of a big family!!
Regarding leaving Voice of Movement, The article was a brain child of the Owner , Mr. Prakhar Kumar Singh, and Mr. Prabhat Ranjan Deen was just asked to write up an article in hindi on the same, which he later wanted to publish in his name, to which the management refused.
As far as Torture of employees is concerned, if they are being tortured so much, why are they still working there? Regarding Salary, it has just been delayed, not denied!!
So kindly do your homework before blaming someone.
dhiraj
June 23, 2014 at 9:14 am
कल वायस आफ मूवमेंट के सभी कर्मचारियों को वेतन दे दिया गया है वो भी एक नहीं डेढ महिने का जबकि वायस आफ मूवमेंट के चेयरमैन श्री प्रखर कुमार सिंह लखनउ में नहीं थे उन्होंने दिल्ली में अपने पिता के साथ हास्पिटल में होते हुए भी अपने किए गए वादे को पुरा किया जिसके लिए पुरे वायस आफ मूवमेंट के कर्मचारियों ने श्री प्रखर कुमार सिंह को धन्यवाद दिया और उनके पिता के जल्द ठीक होने की प्रार्थना की और जहां तक श्री प्रभात रंजन दीन के मूल्यों और नैतिकता की बात है तो उसे पूरा अखबार जगत जान चुका है। क्योंकि उनके मूल्यों और नैतिकता को कैनविज टाइम्स से लेकर वायस आफ मूवमेंट तक सबने देखा और अब इसलिए अब श्री प्रभात रंजन दीन के खोखले मूल्यों और नैतिकता के बारे में किसी को संदेह नहीं रह गया है।