Deepak Sharma : कभी केजरीवाल की सुपारी ली तो कभी मोदी की. कभी आसाराम की धोती के हर धागे खोलकर चीथड़े चीथड़े कर दिए. तो कभी बलात्कार का बलात्कार ही कर डाला. मूड हुआ तो कभी खबर ही छोड़ दी . तो कभी खबर समझे ही नही. कभी दो टके के एंकर को हीरो बना दिया और कभी दो टके के हीरो से एंकरिंग करा दी. जो जितना घटिया उतना ही बढ़िया. ये हाल है फिल्मसिटी के गैंग्स आफ वासेपुर के.
फिल्मसिटी यानी नॉएडा को वो अड्डा जहाँ सारे टीवी न्यूज़ चैनल बसे हैं. चिट फंड वाले चैनल.बिल्डर वाले चैनल.ब्लैकमेलर वाले चैनल. दलाली वाले चैनल. मंडी है यहाँ ऐसे न्यूज़ चैनलों की. यकीन मानिये ऐसे चैनल चलाने वाली टीमे बिलकुल गेंग्स आफ वासेपुर के किरदारों की तरह आपरेट करती है.
जो सरगना है वो ही चैनल हेड है.सरगना के साथ ही शूटर और पंटर का गिरोह है . कोई आउटपुट, कोई इनपुट हेड , कोई ब्यूरो चीफ, कोई एंकर के मेकअप में ….गिरोह में बसंती भी है और धन्नो भी ..पर सभी किसी न किसी रोल में गढ़े हुए है.
चैनल का अजेंडा मालिक के इशारे पर सरगना तय करता. ख़बरों का अजेंडा…धंधो का अजेंडा. और जिस दिन मालिक से खटपट होती है सरगना चैनल बदलते देर नही करता. बस यहाँ की खूबी यही कि चैनल बदलता है पर गैंग नही. यही गैंग छाए हैं फिल्मसिटी में….और मैं बीस साल की खोजी पत्रकारिता की निगाह से इन पर बारीक नज़र रखता हूँ.
कई मित्र इन गैंग्स से विचलित है. कई मित्र इन्ही गेंग्स को चैनलों की गिरती साख के लिए दोषी मानते है. कुछ को देश की चिंता है. कुछ को समाज की. कोई पत्रकारिता के मकसद पर सवाल दाग रहा है. कोई चैनल के कंटेंट पर. तो कोई इनकी सोच के दिवालियेपन पर. सवाल ही सवाल.
मित्रों चिंता न करिए. वक़्त आने दीजिये. हम आप मिलकर गेंग्स आफ वासेपुर का एनकाउंटर करेंगे. बस सवाल इतना ही कि मोदी इस गेंगवार में किसका साथ देंगे? क्या मोदी अधर्म पर धर्म की जीत का साथ देंगे? क्या मोदी ब्लैकमेलरों को ठोकेंगे ? क्या मीडिया की इस दलाली ख़तम करेंगे ? क्या वो भी वासेपुर के गिरोहबाजों से निपटना चाहते हैं? सवाल यही बड़ा है.
आजतक न्यूज चैनल में वरिष्ठ पद पर कार्यरत खोजी पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से.
pushpendra
August 21, 2014 at 8:27 pm
कोलकाता के सोना गाछी और दिल्ली की जीबी रोड की वैश्याओं के बारे में तो आपने खूब सुना होगा । जैसा भी है इन सबका एक ईमान और धर्म है । लेकिन कुछेक मीडिया घराने में न तो कोई लाज लज्जा है और न ही कोई शर्म – हया । जिसके चलते बिल्डर, उठईगीर, चोर, लुच्चे टाईप के लोग चैनल – अख़बार खोल देते है । जिसके फ़लस्वरूप मीडियाकर्मी वैश्याओं से भी बद्दतर जिन्दगी जीने को मजबूर हो जाते है । मीडिया की मंडी में चैनल वन न्यूज़ , ज़िया न्यूज़, महुआ न्यूज़, 4 रीयल न्यूज़, टोटल टीवी, जनता टीवी, रफ़्तार न्यूज़, टीवी 100, वायस ऑफ नेशन, साधना न्यूज़, गुलिस्ताँ न्यूज़, खबर फ़ास्ट, सुदर्शन न्यूज़, खबरे अभी तक, के – न्यूज़ आदि ऐसे चैनल है जिनमे काम करना किसी कोठे पर दारू – कंडोम और सहवास सामग्री उपलब्ध कराने के बराबर है । इन सबसे तो सनी लिओनी की वैश्यावृत्ति अच्छी है जो कि खुलेआम धंधा करती है । वो भी अपने ईमान और सोच के बलबूते वैश्या होने के बावजूद साफ़ सुथरी छवि बनाए रखती है । लेकिन इन जैसे धोखेबाज़ और वैश्याओं से भी ख़राब पेशे में मीडियाकर्मी अपने आपको किसी वैश्या के साथ फोटो खिचवाने के बराबर ही आंकते है ।
पुष्पेन्द्र कुमार