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देहरादून सहारा से अमित सिंह के जाने की खबर

सहारा को बेसहारा करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है । आये दिन कोई न कोई कर्तव्य योगी (सहारा में कोई कर्मचारी नहीं है सारे के सारे कर्तव्य योगी हैं तब यह हाल है) संस्थान का दामन छोड़ रहा है। 

<p><span style="line-height: 1.6;">सहारा को बेसहारा करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है । आये दिन कोई न कोई कर्तव्य योगी (सहारा में कोई कर्मचारी नहीं है सारे के सारे कर्तव्य योगी हैं तब यह हाल है) संस्थान का दामन छोड़ रहा है। </span></p>

सहारा को बेसहारा करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है । आये दिन कोई न कोई कर्तव्य योगी (सहारा में कोई कर्मचारी नहीं है सारे के सारे कर्तव्य योगी हैं तब यह हाल है) संस्थान का दामन छोड़ रहा है। 

ताजा मामला राष्ट्रीय सहारा देहरादून के मार्केटिंग विभाग का है । इस विभाग में कार्यरत अमित सिंह ने सहारा को बेसहारा कर दिया । अमित हाल ही में सहारा से जुड़े थे । इनकी पत्नी भी इसी संस्थान में हैं । वो भी लंबी छुट्टी पर हैं । शायद देहरादून एकमात्र ऐसा संस्करण होगा, जहाँ लोग आए कम, गए ज्यादा । अभी कुछ और के जाने की चर्चा है जिसकी जानकारी जल्द ही सामने आएगी । 

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एक कहावत है कि जब जहाज डूबने को होता है तो सबसे पहले चूहे भागते हैं ‘ लेकिन यहाँ जिसको मौका मिल रहा है, वही भाग रहा है। हाल ही में लखनऊ यूनिट से भूतपूर्व यूनिट राजेंद्र द्विवेदी खूंटा तोड़ाकर भाग गए। वो तो वो गए अपने साथ कलाम खान को ले गए । इनके पहले इसी संस्करण से रेखा सिन्हा और रामेन्द्र सिंह सहारा को बाय बाय कर गए । 

आज स्थिति यह है कि चिरौरी करने पर भी लोग सहारा में नहीं आ रहे है। आने की छोड़िये टका सा जवाब दे रहे हैं कि डूबते जहाज पर कौन सवार होगा । इनकी बात में दम है, सहारा अगर डूबता जहाज न होता तो सहारा की उंगली पकड़ कर पत्रकारिता शुरू करने वाले स्वतंत्र मिश्रा और उपेन्द्र राय सहारा को मझधार में छोड़कर क्यों जाते ?

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित

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0 Comments

  1. Soumitro Bose

    June 15, 2015 at 4:07 am

    Dear Sir,

    Soumitro Bose nephew of Netaji subash chandra bose who joined Sahara India group on 2010 at lucknow now based at dehradun unit marketing department looking after the recovery of kumaon region, also resign from his job on 12th june 2015.

    regards
    S Bose

  2. सहारा कर्मी

    June 15, 2015 at 4:40 am

    बात जहाज डूबने ना डूबने की नहीं है. पर मैन बात सैलरी ना मिलने की है अभी तक तो कर्मचारीओ ने किसी तरह से उधार ले ले कर काम चलाया है. पर अब कर्मचारियों को उधार मिलना भी बंद हो गया है. और आगे भी सैलरी का कोई भरोसा नहीं है कब मिलेगी?? मिलेगी भी या नहीं तो ऐसे मै कर्मचारियों के पास संस्थान छोड़ने के अलावा और कोई बिक्लप भी नहीं है.

  3. पितामह भीष्म

    June 15, 2015 at 7:55 am

    सुमित्रो बॉस के जाने से तो संस्थान का कुछबोझ कम हुआ हैं। सिफाररशी कर्मचारी के जाने से तो संस्थान को राहत मिली।

  4. sahara kartviyayogi

    June 27, 2015 at 6:24 am

    somitro bose sansthan par ek dhabba tha…ye agar apna region nahi deta to isse region le liya jata. or amit to marketing person cam political man jada hai … jis party mai fayda dikha wahi ke ho liye…
    sahara kal tha aaj bhi hai . or hamesha rahega.. aache-bure din to chalte rahte hai… patience jaroori hai

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