Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

दिल्ली के टीवी रिपोर्टर अपनी हरकतों से ज़लील होते हैं लेकिन बाज़ नहीं आते

Shahnawaz Malik : दिल्ली के रिपोर्टर खासकर टीवी वाले कुत्ते की उस दुम की तरह हैं जिनके सीधे होने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं है। ज़्यादातर प्रेस कांफ्रेंस में अपनी हरकतों से ज़लील होते हैं लेकिन बाज़ नहीं आते।  सुनंदा पुष्कर स्यूसाइड केस के बाद एम्स मॉर्चरी के बाहर इन्हें बैरिकेड लगाकर रोका गया, वरना ज़्यादातर कैमरामैन और रिपोर्टर मॉर्चरी में घुस जाते। जब एम्स पीआरओ ब्रीफिंग के लिए आए तो यहां कैमरामैनों में गालीगलौज शुरू हो गई और पीआरओ उनके शांत होने के इंतज़ार में खड़े रहे। ख़बर ब्रेक करने के चक्कर में एक-दो चैनलों पर ग़लत ख़बर भी चली, फिर भी हाल जस का तस है।

Shahnawaz Malik : दिल्ली के रिपोर्टर खासकर टीवी वाले कुत्ते की उस दुम की तरह हैं जिनके सीधे होने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं है। ज़्यादातर प्रेस कांफ्रेंस में अपनी हरकतों से ज़लील होते हैं लेकिन बाज़ नहीं आते।  सुनंदा पुष्कर स्यूसाइड केस के बाद एम्स मॉर्चरी के बाहर इन्हें बैरिकेड लगाकर रोका गया, वरना ज़्यादातर कैमरामैन और रिपोर्टर मॉर्चरी में घुस जाते। जब एम्स पीआरओ ब्रीफिंग के लिए आए तो यहां कैमरामैनों में गालीगलौज शुरू हो गई और पीआरओ उनके शांत होने के इंतज़ार में खड़े रहे। ख़बर ब्रेक करने के चक्कर में एक-दो चैनलों पर ग़लत ख़बर भी चली, फिर भी हाल जस का तस है।

कल टीवी यूनिट्स का उससे भी भयावह रूप दिल्ली पुलिस हेडक्वॉर्टर में देखा। पुलिस को इनकी हरकतों का पहले से अंदाज़ा था, इसीलिए सभी को एक मोटे रस्से में घेर दिया गया था। राजनाथ सिंह जैसे ही दिल्ली पुलिस हेडक्वॉर्टर से निकले, कैमरामैनों और रिपोर्टरों ने एक-दूसरे पर चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया। दबी आवाज़ में एक-दूसरे की मां-बहन भी जी भरके किया। राजनाथ सिंह से दो चार ज़रूरी सवाल किए जा सकते थे लेकिन लगातार जारी भीषण चिल्ल-पौं के बीच वह निकल गए।  उनके जाते ही रिपोर्टर दिल्ली पुलिस के पीआरओ पर बरस पड़े और घटिया इंतज़ाम की वजह से लानत भेजने लगे। फिर पुलिस कमिश्नर ने आकर अड्रेस करने की कोशिश की लेकिन तमाशा जारी रहा और वह भी लौट गए। किसी तरह शांति कायम करने के बाद वह दोबारा आए और हल्की-फुल्की जानकारी देकर निकल गए। इसके बाद टीवी रिपोर्टरों का काफिला अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस की ओर बढ़ गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पत्रकार शाहनवाज मलिक के फेसबुक वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. pradeep Sharma

    June 18, 2014 at 8:01 am

    पत्रकार ऐसा क्यूं करते हैं……………या हम उनके नकारात्मक पक्ष को ही क्यों देखते हैं…………….क्या हम मानवीय मानसिकता को कितना बेहतर समझते हैं……………………क्या सिर्फ हमारा ही देश खराब है………………………

    इन सब सवालों का उत्तर सिर्फ एक है…………………………….

    परेशानी और जल्दी-बाजी में सबके मन में शैतान घर कर जाता है……

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement