Asit Nath Tiwari : बिहार के डीजीपी का बड़ा खुलासा। विधायक, एसपी, थानेदार और पत्रकार मिलकर करते हैं बालू का अवैध खनन। डीजीपी साहब ने अवैध खनन की सूचना देने वाले हिंदी ख़बर न्यूज़ चैनल के पत्रकार को ही उसकी जन्मकुंडली खंगालने की धमकी दे दी। पत्रकार को गालियां भी दी डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने।
अरे डीजीपी साहब, आप ही के मुताबिक आपका एसपी चोर है तो पकड़िए ना उसको। आपने बताया कि थानेदार भी चोर है, पत्रकार भी चोर है और विधायक भी चोर है तो पकड़िए ना इन लोगों को। सारी सूचनाएं हैं आपके पास और आप सूबे को लूटेरों के हवाले कर चैन से सो रहे हैं। फिर आप ईमानदार कैसे कहे जाएंगे?
आप जिसे भद्दी-भद्दी गालियां सुना रहे हैं उसकी ग़लती बता पाएंगे आप? आप बिहार के पहले डीजीपी हैं जिसे वहां के पत्रकारों ने सिर-आंखों पर बैठाया। आपको सगे बड़े भाई जैसा सम्मान भी दिया। इसकी वजह भी जानते हैं आप। …और आप गालियां दे रहे हैं पत्रकारों को, चोर बता रहे हैं पत्रकारों को।
सुनें डीजीपी की गालियां-
टीवी पत्रकार और एंकर असित नाथ तिवारी की एफबी वॉल से.
इसे भी पढ़ें-
Comments on “बालू चोरी पर सुबह 4 बजे फोन लगाया तो DGP ने इस पत्रकार को जमकर दी गालियां, सुनें आडियो”
जितने चोर पत्रकार है सब आपके जिम्मे हैं, यही धंधा आपका रह गया है,हर ब्लैकमेलर को झट से पत्रकार बनाकर महिमामंडन करना, चोर चोट्टा पत्रकार बने फिर रहे है,आप उनको प्रश्रय देकर ब्लैकमेलिंग को बढ़ावा देते है, आप अपनी यह गन्दी आदत भी सुधारिये, मुझे पता है कौन कितने पानी मे है,
यह वही महानिदेशक महोदय है जो कुछ दिन पहले इसी मीडिया की आँख के तारा बने हुए थे। कृपया वीडियो देखें
https://www.youtube.com/results?search_query=bihar+DGP+on+vikas+dubey
सर मेरा एक सवाल है MBBS करके डॉक्टर बनते है law करके वकील mass communication journalishiom करने बालों में पत्रकार बना जाना चाहिए पर 12 वी पास 10 वी पास 8 वी पास कैसे प्रकार बन जाते है चैनेल माइक आईडी लेकर जिन्हें ठीक से बोलना लिखना तक नहीं आता में दावे के साथ कह सकता हूं जितने भी जिला संवाददाता होते है उनमें से 80% युवकों का पत्रकारिता की पढ़ाई से कोई लेन देन नहीं होता फिर भी जिले में पत्रकार बनते घूमते है कभी इनकी डिग्री की जांच क्यों नहीं होती और अगर पत्रकार बनने के लिए पत्रकारिता की पढ़ाई की कोई जरूरत नहीं है जो फिर journalism mass communication का कोर्स क्यों चल रहा है
सर मेरा एक सवाल है MBBS करके डॉक्टर बनते है law करके वकील mass communication journalishiom करने बाले पत्रकार बनने चाहिए पर 12 वी पास 10 वी पास 8 वी पास कैसे पत्रकार बन जाते है न्यूज़ चैनेल से माइक आईडी लेकर जिन्हें ठीक से बोलना लिखना तक नहीं आता में दावे के साथ कह सकता हूं जितने भी जिला संवाददाता होते है उनमें से 80% युवकों ने पत्रकारिता की पढ़ाई से कोई लेना देना नहीं होता फिर भी जिले में पत्रकार बने घूमते है कभी इनकी डिग्री की जांच क्यों नहीं होती और अगर पत्रकार बनने के लिए पत्रकारिता की पढ़ाई की कोई जरूरत नहीं है तो फिर journalism mass communication का कोर्स क्यों चल रहा है
यहा तक कई ऐसे एडिटर इन चीफ सीइओ तक है जिनके पास कोई पत्रकारिता का प्रमाण नहीं कोई कोई पत्रकारिता की डिग्री नहीं फिर भी बड़े बड़े चैनेल कैसे चला रहे है
तभी तो इनको मान दे य के नाम पर 500 -600 रु मिलता है। मीडिया खुद शोषण करती है
गलत लोगो को प्रश्रय हमेशा गलत होता है, धन्यवाद मेरे कमेंट को प्रकाशित करने के लिए, चलिए इतनी निष्पक्षता तो आपमे बची हुई है
एक स्टेट के पुलिस मुखिया के पास इतना टेंशन होता होगा कि वो दो रोटी सही से खा भी नहीं पाते होंगे। पूरे बिहार के मंत्री, सांसद, विधायक, पक्ष-विपक्ष के बड़े नेता, तमाम बड़े बैनर के पत्रकार और उनसे फुरसत मिल जाए तो, आईजी,डीआईजी और एसपी के फोन का जवाब देते देते थक जाना स्वभाविक है। वर्तमान में जब कोरोना संकट में पुलिस पर स्वास्थ विभाग की तरह बड़ी जिम्मेदारी है, उसकी मॉनिटरिंग भी उन्हें ही करनी पड़ रही है। अगर इन सबके बीच मानवीय चूक हो जाए तो उसको इस तरह से बदनाम करना किसी भी दृष्टि से उचित प्रतीत नहीं होता। मैं डीजीपी को अधिक तो नहीं जानता मगर एक बार बेगूसराय के जीडी कॉलेज और दिनकर भवन में उनकी स्पीच सुनी थी। इतना साफ-गो व्यक्ति निश्चित ही खुले और साफ दिल का आदमी होता है। ऐसे व्यक्ति को इस तरह रुसवा करने के इस प्रयास को मैं व्यक्तिगत रूप से नकारता हूँ और हर उस व्यक्ति से नकारने की अपील करता हूं, जो एक पुलिस मुखिया की जिम्मेदारियों को समझते हैं।
मैं ये भी स्पष्ट कर दूं कि मेरा न तो पुलिस विभाग से संबंध है और न मीडिया से। मैं बस एक अच्छे और भाग्य से राज्य को मिलने वाले ऐसे अच्छे डीजीपी को खोना नहीं चाहता।
बहुत सही लिखा है खालिद साहब आपने
सजी कहे डी जी पी साहब , सारे चोर हो, ये तो झूठा न्यूज़ चलाया है। एक अच्छे पुलिस अधिकारी को बदनाम करने की साजिश है।