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सुख-दुख

अमर उजाला के संपादक तो धीरज को देखने तक नहीं गए, जगदंबिका पाल बने मुसीबत में मददगार

अमर उजाला के पत्रकार धीरज पांडेय तो इस दुनिया से चले गए लेकिन उनके जाने का दर्द बहुतो से बर्दाश्त नहीं हो रहा। सबसे दुखद रहा अमर उजाला के गोरखपुर संपादक प्रभात सिंह और न्यूज एडिटर मृगांक सिंह का अमानवीय रवैया। धीरज इतने दिन से अस्पताल में मृत्यु से जूझ रहे थे, ये दोनो शख्स उन्हें देखने तक नहीं पहुंचे। उनके इलाज पर घर वालों के लगभग तीन लाख रुपए खर्च हो गए। 

अमर उजाला के पत्रकार धीरज पांडेय तो इस दुनिया से चले गए लेकिन उनके जाने का दर्द बहुतो से बर्दाश्त नहीं हो रहा। सबसे दुखद रहा अमर उजाला के गोरखपुर संपादक प्रभात सिंह और न्यूज एडिटर मृगांक सिंह का अमानवीय रवैया। धीरज इतने दिन से अस्पताल में मृत्यु से जूझ रहे थे, ये दोनो शख्स उन्हें देखने तक नहीं पहुंचे। उनके इलाज पर घर वालों के लगभग तीन लाख रुपए खर्च हो गए। 

मीडिया के उनके मित्र-सुपरिचितों के अलावा सबसे बड़ा घाव उनके परिवार को लगा है। आज लगभग अपराह्न तीन बजे देहांत के बाद उनका शव परिजन उनके गांव महराजगंज घुगलीरोड पर प्यास गांव ले गए। धीरज के दो बच्चे एक दस साल की बेटी और पांच साल का बेटा व पत्नी हैं। पिता केदारनाथ पांडेय कैंसर पीड़ित हैं। पिछले दिनो छत से गिर गए थे। फ्रैक्चर हो जाने से उन्हें गोरखपुर मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। जब धीरज की मौत हुई तो उन्हें वहां से पहले डिस्चार्ज कर उनके घर भेजा गया। फिर घर पर उन्हें धीरज की मौत की जानकारी दी गई।

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 पत्रकार धीरज पांडेय ने वर्ष 2000 में सहारा टीवी गोरखपुर से पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा था। वहां से वह महाराजगंज के अखबार में पहुंचे। फिर वही अमर उजाला ज्वॉइन कर लिया था। वहां से बाद में अमर उजाला गोरखपुर उनका ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में मुख्यालय से उन्हें फिर बस्ती स्थानांतरित कर वहां का ब्यूरो प्रभारी बना दिया गया। वहीं पिछले महीने सपा के पूर्व विधायक की गाड़ी से उन्हें मारा गया। फरारी गाड़ी तो पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले ली मगर नेता के खिलाफ एक लाइन की रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई। दुखद पहलू ये रहा है कि इस संबंध में उस गोरखपुर प्रेस क्लब ने भी कुछ नहीं किया।  

धीरज के घायल होने पर अमर उजाला के संपादक प्रभात और समाचार संपादक मृगांक तो उन्हें नहीं देखने पहुंचे लेकिन सबसे बड़े मददगार बने डुमरियागंज से भाजपा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल। उनके दबाव में ही शासन ने लखनऊ में उनका इलाज कराना शुरू किया। उनके इलाज पर घर वालों के लगभग तीन लाख रुपए खर्च हो गए। बाद में देवेंद्र प्रताप एमएलसी भी धीरज को देखने पहुंचे थे। लेकिन इस मामले में अमर उजाला प्रबंधन और पत्रकार संगठनों का रवैया निहायत अमानवीय रहा।

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0 Comments

  1. purushottam asnora

    June 26, 2015 at 12:56 am

    khapa lo, dhapa lo, nichod lo, amar ujala ka yahi mantra hai, dharaj panday nahe dukhad, iashwar uanki aatma ko shanti de, parijanou ko dukh sahne ki samarthy, om shanti, shanti, shanti,
    sampadak&malikou ke vyavhar se anya patrakarou ko sawadhan hona chahiye.

  2. santosh kumar pandey

    June 29, 2015 at 8:28 am

    sayad he koi hum se jayada janta ho unko per bad-naseeb they hum jo gumnam ho gay
    we allways miss you my loveable farind …….

    dosto- hm aur dheeraj ne ek sath 2001 me etv news se apne-apne distt- me kam karna suru kiya tha ………….

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