Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

जो बलात्कारी हैं उनको वामपंथ के नाम पर अबाध रक्षण और प्रतिरक्षण कब तक देंगे/देंगी कॉमरेड?

Swami Vyalok : बोया पेड़ बबूल का, आम कहां से पाए…. वामपंथ के पाठ्यक्रम में है महिला-विरोध और प्रतारणा…. डिस्क्लेमरः मेरी 36 पार की अवस्था और इस महान आर्यावर्त की दशा ने मुझे अब आश्चर्य या दुख के परे कर दिया है, मैं मानता हूं कि इस देश में कुछ भी …मतलब, कुछ भी हो सकता है। इस डिस्क्लेमर के बावजूद यह महीना संगसार होने का रहा है, व्यक्तिगत तौर पर।

जीवन में एकाध प्रतिशत जो आस्था बची होगी, वह भी अब यथार्थ की पथरीली ज़मीन पर बिखरकर किरचें-किरचें हो चुका है। सम्मान की आड़ में मज़ा लेने वाले और मित्रता की आड़ में मानमर्दन करनेवालों के चेहरे से नकाब उतरे हैं। अस्तु…बात यहां #MeToo की….. बात बहुत लंबी कहनी है, लेकिन यहां बिंदुवार कहकर छोटे में बात समेटूंगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

1. जेएनयू में हमारे वामपंथी खेमे की जान-पहचान वाले मज़ाक में कहते थे, “अबे, तुम्हारे खेमे में क्यों आएं? पढ़ाई करने के बाद करियर का ठिकाना नहीं, औऱ जब तक कॉलेज में हैं तो दीदीजी और भैयाजी करो। उनके/वामपंथी खेमे में तो ‘माल’ (अर्थ- गांजा औऱ लडकी दोनों) की व्यवस्था है, कम से कम। (यह जेएनयू के तत्कालीन लफंदरों की भाषा है, मेरी इससे कोई सहमति नहीं, इसलिए प्लीज गाली बरसाने यहां न आएं)”…

2. लगभग दो दशकों से वामपंथ से संघर्ष के दौरान यह बात समझ में आ गयी है कि हरेक वामपंथी बलात्कारी हो या न हो, हरेक बलात्कारी या छेड़खानी करनेवाला पता नहीं क्यों वामपंथी ही निकलता है? अरशद आलम, अनमोल रतन, अकबर चौधरी, तरुण तेजपाल आदि दर्जनों के समर्थन में किन्होंने मार्च किया…वह कौन सी स्त्रियां थीं, जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर साथी होना चाहा, पर उनको बलात्कार या छेड़खानी मिली। उनको बचाया किसने–बारहां, कविता कृष्णन औऱ उन जैसे वामपंथियों ने। हरेक बार। लगातार। खुर्शीद आलम को तो इन्होने शहीद ही बना दिया, क्योंकि इनकी छेड़खानी- छेड़खानी नहीं होती।

Advertisement. Scroll to continue reading.

3. नाम लेने का कोई मतलब नहीं है, यह बस रिमाइंडर के लिए ले लिया। यह एक प्रवृत्ति है, दिक्कत ये है कि इसमें तथाकथित नारीवादी भी फंसती हैं। आप देखिए न, एक तथाकथित पत्रकार को जब इस मसले पर आज घसीटा जा रहा है तो भी नारीवादियों की भाषा और गुहार का टोन देखिए। “ए पिलीज, इस मसले पर कुछ बोल दो न जी….”। यह भी भुला दिया गया कि इसी खान के खिलाफ मई में ही एक लड़की ने शिकायत की थी। यह भी भुला दिया गया कि आज इसी के खिलाफ ऐसे चार या पांच मामले सिर उठा चुके हैं। फिर भी, बउआ…सोनू, मुन्ना के सुर में उसकी दीदियां या दोस्तें अनुहार कर रहे हैं। फर्ज कीजिए कि वह पत्रकार वामपंथी न होता….तो!

यह भी भुला दिया गया कि आज से कुछ महीने पहले कांति वाले एक पत्रकार पर भी यही इल्जाम लगा था और उस पर तो बाकायदा उसके साथ लिव-इन में रही बालिका ने लगाया था…परिणाम। वह छह महीने फेसबुक बंद कर गायब रहा, अब फिर से क्रांति के गीत गा रहा है, बुर्जुआ के खिलाफ आंदोलन कर रहा है, साथी….।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस युवक की बात भी जब पिछली बार मैंने उसके खेमे के कुछ लोगों से कही, तो कुछ इस तरह के जवाब आए—अरे यार, तुम जानते नहीं हो। दोनों की गलती है, अरे, मामला सलट गया है, यार। ओफ्फोह, प्यार वगैरह में ये सब चलता है…. इसके साथ एक विद्रूप हंसी भी आती थी, यही क्षितिज रॉय के समय भी हुआ था, यही उस छात्रसंघ अध्यक्ष के समय भी हुआ था।

4. अंतिम बात, देवियों और जो तथाकथित सज्जन पुरुष (उर्फ नारीवादी ) हैं, आप पर इसका पाप जाएगा। आपने कितनों को Confront किया, कितनों को लिस्ट से निकाला, कितनों से जूझीं। पिछली बार मैंने खान के बारे में सुनकर उसको अपनी लिस्ट से बाहर कर दिया था। मुझे हल्की सी हंसी उसके एक जाननेवाले को सुनकर जरूर आयी थी। उनका तर्क था कि वह Emotional है, इसलिए छेड़खानी कर बैठता है, उसे पता नहीं चलता… ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

…..जैसा कि एक लड़की ने लिखा भी है…ये #Metoo के साथ ही #Hetoo का भी खेल क्यों? हम सभी जानते हैं कि सभी पुरुष पोटेशियल बलात्कारी नहीं हैं, लेकिन जो भी हैं…उनको वामपंथ के नाम पर अबाध रक्षण और प्रतिरक्षण कब तक देंगे/देंगी कॉमरेड?

नोटः आज जिसे आपने पोस्टर ब्वॉय बनाया है, उसके बगल में जो शहला राशिद बैठी हैं, क्या उनको वह वक्त याद है, जब इस लड़के से छेड़खानी पर सवाल पूछे गए और वह हंस कर उसे डिफेंड कर रही थीं…जब खुद शहला को फेसबुक कुछ शोहदों की वजह से छोड़ना पड़ा, उसके बाद उन्होंने क्या किया….? सवाल अगणित हैं, जवाब कोई भी नहीं….

Advertisement. Scroll to continue reading.

राइट विंग के चिंतक स्वामी व्यालोक उर्फ व्यालोक पाठक की एफबी वॉल से.


इसे भी पढ़ें….

Advertisement. Scroll to continue reading.

#metoo में फंसे पत्रकार दिलीप खान ने फेसबुक पर विस्तार से रखा अपना पक्ष

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement