Satyendra PS : माखनलाल विश्वविद्यालय में एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने प्रोफेसर दिलीप मण्डल के खिलाफ अभियान चला दिया। भारत जैसे देश में इससे बड़ा नर्क क्या हो सकता है? यहां आजीवक से लेकर जैन बौद्ध एवं चार्वाक जैसे दर्शन को पर्याप्त सम्मान मिला जो वैदिक परंपरा के विरोधी और धुर भौतिकवादी रहे हैं।
प्रोफेसर मण्डल भारत की जातीय घृणा, जातीय शोषण के खिलाफ लगातार लिखते रहे हैं और वह भारत में अम्बेडकर, पेरियार परंपरा के आगे की कड़ी हैं।
बीएचयू में मुस्लिम प्रोफेसर को इस्तीफे के लिए मज़बूर करने, एक शिक्षिका को धमकियां दिलाकर माफी मंगवाने, दलित प्रोफेसर के खिलाफ अभियान चलाने के बाद अब दिलीप मंडल पर हमला बोला गया है।
यह सच है कि भोपाल में बहुत मामूली पारिश्रमिक पर पढ़ाना दिलीप जी के लिए घाटे का और सिरखपाऊ काम है। लेकिन अब उन्हें कतई छोड़ने की जरूरत नहीं है। मुस्लिम के बाद दलित और दलित के बाद पिछड़ों को यह निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। और, जो कथित अपर कॉस्ट हैं और संघी नहीं हैं उसे राष्ट्रद्रोही और जाने क्या क्या कहकर ये चरित्रहनन कर रहे हैं। यह शर्मनाक और अस्वीकार्य है।
राज्य की सरकार को गुंडागर्दी की स्थिति में सख्ती से निपटने और प्रोफेसर मण्डल को सुरक्षा भी मुहैया करानी चाहिए। यह राज्य सरकार से अपेक्षा है।
बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार में वरिष्ठ पद पर कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र पी सिंह की एफबी वॉल से.
सत्येंद्र के उपरोक्त स्टेटस पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं-
Sunita Tyagi हिटलरगिरी कहिये, तालिबानी कहिये, फासीवाद कहिये, तानाशाही कहिये .. अफसोस यह सब देश में मजबूत जडें जमा चुका है बीएसपी विरोध की बात करती है पर वोट के समय वाॅक आउट करते हैं सांसद तो सारा विरोध भोंथरा लगता है। इस तरह के आचरण तानाशाही को मजबूत कर रहे हैं। यह आचरण आत्म रक्षा है देश, जाति, वर्ग संविधान, अंबेडकर विचार की उपेक्षा है। यह खेद का विषय है।दिलीप जी का सामाजिक समता के विचार के लिए सतत संघर्ष सराहनीय है
Ravi Ranjan राज्य में कांग्रेस की सरकार है. देखना है इस मामले पर उसका रवैया कैसा होगा.
Sujit Ghosh इस मामले में कांग्रेस का रिकार्ड बहुत खराब रहा है । अब देखना है क्या करता है
Samir Singh सारे पंडीजी इस पोस्ट से गायब हो गए हैं… इसलिये पंडितों को चूतिया माना जाए तो कोई गलत नहीं होगा… ये सही मायने में बलात्कार और बलात्कारियो के समर्थक हैं.. अपवाद हर जगह होते हैं..
Abhishek Chauhan दिलीप मंडल जी हमेशा ब्राह्मणों को गालियां देते रहते हैं. उनकी समझ से सारी समस्याओं की जड़ ब्राह्मण है.. सारे दलित और पिछड़े साक्षात देवता का रूप है… इस देश का सत्यानाश करने में सभी जातियों का अपना अपना अमूल्य योगदान है उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में 25 वर्षों के लिए दलित और पिछड़ों की सरकारें रही है उत्तर प्रदेश की क्या स्थिति है यह सब के सामने हैं.
Samir Singh तो उन्हें आपको डिबेट में परास्त करना होगा.. जाइये वहां.. वैसे गाली तो नहीं देते हैं वे….
Abhishek Chauhan समीर सिंह जी दुनिया में मात्र दो ही जातियां हैं. गरीब और अमीर. किसी भी जाति का आदमी यह शासक बन जाता है उसके बाद में शोषण करना शुरू कर देता है. वह पैसे का दुरुपयोग करता है. योगी आदित्यनाथ और मायावती इसका उदाहरण हैं. दोनों ने मूर्तियों पर खूब पैसा खर्च किया है. इनमें कोई भी असमानता नहीं है, सिवाय जाति के.
Abhinav Chaudhary दिलीप की एक पोस्ट जिसमे उन्होंने ब्राह्मण को गाली दी? ब्राह्मणवाद की बात मत करिएगा.
Abhishek Chauhan आप उनकी वॉल चेक कर लीजिए, जो शब्दों का प्रयोग करते है किसी प्रकार से गाली से कम नहीं है. 25 वर्षों से अधिक शासन करने के बाद यह दलित पिछड़ों की स्थिति में सुधार नहीं आया तो इसके पीछे इस समाज के प्रतिनिधि भी उतना ही जिम्मेदार है जितना सवर्ण समाज के प्रतिनिधि.
Abhishek Chauhan किसी भी जाति धर्म या संप्रदाय को गाली देने का मंडल जी को कोई अधिकार नहीं है… हमेशा हिंदू देवी-देवताओं पर टिप्पणी करते रहते हैं क्या यह उचित है आप दूसरे से अपेक्षा करते हैं कि आपके निजी मामला में दखल ना करें लेकिन दूसरों के जाति और धर्म को गालियां देते रहते हैं
Satyendra PS दिलीप जी नेअपनी जिंदगी में कभी किसी को गाली नहीं दी है। ऐसा लिखने से पहले कुछ तो शर्म किया जाना चाहिए? मैं भले ही गालियां देता हूँ।
Abhishek Chauhan पिछले ही वर्ष उन्होंने भगवान जगन्नाथ के पहनावे पर टिप्पणी की थी … ठीक उसी तरह जिस तरह मुझे किसी दूसरे के धर्म पर कमेंट करने का कोई अधिकार नहीं है
Yogendra Nath मनवादियो को बौद्धिक आलोचना भी गाली लगती है। मनुवादी बहुत कमीने, हिंसक और राष्ट्रद्रोही हैं
Abhishek Chauhan योगेंद्र नाथ जी स्वतंत्र रूप से 25 वर्ष से अधिक उत्तर प्रदेश में आप के तथाकथित पिछड़ों और दलितों का शासन रहा है भारत के पिछड़े प्रदेशों में उत्तर प्रदेश का नाम बहुत गर्व के साथ लिया जाता है यह लोग उतना ही जिम्मेदार है जितना दूसरे समुदाय के लोग हैं … शासक ही शोषक होता है वो किसी भी जाति का हो
Satyendra PS टिप्पणी गाली है? हकीकत कहना गाली है? यह धर्म का अपमान कबसे होने लगा? जबसे संघी सत्ता में आये हैं, बहुत से लोग बीमार हो गए हैं। लोगों ने पढ़ना लिखना सोचना बंद कर दिया है कि क्या क्या लिखा जाता रहा है।
Satyendra PS ये अधिकार कौन तय करता है? आरएसएस? सड़क छाप बेकार घूम रहे लफंगे?
Abhishek Chauhan ना तो मैं संगी हूं ना ही सड़क छाप लफंगा… और ना ही मैंने अपने जीवन में किसी राजनीतिक दल को वोट दिया हमेशा NOTAबटन दबाता हूं… मुझे अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है… दिलीप मंडल जी हो या कोई अन्य हमारे धर्म के बारे में किसी भी प्रकार की विवादित टिप्पणी करने का इनको कोई हक नहीं है … यह भारत की खूबसूरती है अभी तक सिर्फ इनकी टिप्पणियों का शाब्दिक विरोध हुआ है…
Abhishek Chauhan सतेंद्र सर बुराइयां हर मजहब में जिस तरह यह हिंदू धर्म पर टिप्पणियां करते रहते हैं किसी अन्य धर्म पर करके दिखा दे पता चल जाएगा कितने बड़े इंटेलेक्चुअल है…
Satyendra PS किस धर्म पर टिप्पड़ी पढ़ना चाहते हैं?
Abhishek Chauhan मैं नहीं पढ़ना चाहता किसी की बुराई
Satyendra PS वह आपकी समस्या है। दुनिया के हर धर्म की मूर्खताओं पर हमेशा टिप्पणी होती रही हैं। हिन्दू धर्म के विपरीत तर्क देने वालों की तो पूरी शृंखला है जिसका उल्लेख मैंने अपनी पोस्ट में ही किया है।
Samir Singh इनको राजाराम मोहन राय टाइप के लोगों से दिक्कत है..अगर वे न होते तो सवर्ण पता नहीं कब तक अपनी बेटी बहुओ और माताओ को जलाते रहते
Surinder Rattu अभिषेक जी हिंदू सबसे बड़ा सहिष्णु प्राणिहै, इसका परिचय दीजिए ना ।
Prabhakar Singh जैन बौद्ध चार्वाक के समय जो नेहरूवादी गलती हुई है वह अब न हो इसलिए कोशिश हो रही है।
Satyendra PS भक्त लोगों ने चार्वाक, आजीवक तो शायद सुना भी नहीं होगा। बुद्ध जैन को भी नहीं पढ़ा होगा, बस मॉन लिया है कि वो भी हिन्दू हैं…
मूल पोस्ट-
amit
December 13, 2019 at 8:13 pm
Satyendra जी आपने कहा कि दुनियां के हर धर्म कि मूर्खता पर टिप्पणी होती रही है… अगर आपने दलीप जी को पढ़ा हो तो बातइए उन्होंने ईसाई धर्म पर कब टिप्पणी की?? क्या सेंटाक्लॉस आते हैं?? बच्चों को क्यों मुर्ख बनाया जाता है इस पर दलीप जी ने कभी लिखा?? या इस्लाम धर्म कि बेवकूफी का उन्होंने कभी जिक्र किया?? केवल सनातन धर्म पर ही प्रहार क्यों??Yogendra nath जी कमीने शब्द क्या फूल होते हैं अगर हाँ तो कृपया अपने घर जाकर बरसायें l समीर सिंह जी अगर पंडित चूतिये होते हैं तो आप अपने परिवार में किसी के जन्म मरण पर पंडित को ना बुलाना और अपने परिवारवालों को भी मना कर देना l abhishek chauhan ji की बातों का मैं शत प्रतिशत समर्थन करता हूँ l दलीप मण्डल के समर्थकों के विचारों का एक छोटा सा नमूना इसी पोस्ट में देख सकते हैं yogendra nath और समीर जी जैसे समर्थक दलीप जी को पढ़कर कितने फूल बरसा रहे हैं स्पष्ट है l
Devraj
December 17, 2019 at 5:35 am
दिलीप मंडल के समर्थक महा चुतिये है