अमरेन्द्र किशोर-
यदि यह प्यार है तो सच में प्यार दिख भी रहा है… हिंदी और अंग्रेजी में समान दखल रखनेवाले पत्रकार विवेक शुक्ला की एक किताब ‘दिल्ली का पहला प्यार कनॉट प्लेस’ (ISBN: 979888935967) इसी हफ्ते छपकर आयी है। प्रतिबिम्ब प्रकाशन से प्रकाशित यह किताब दिल्ली की नब्ज टटोलती है, धड़कनों को सुनती है। लिहाजा, इस महानगर की 20वीं सदी के इतिहास और वर्तमान को साथ-साथ संजोने का सफल प्रयास है यह किताब। लेखक ऐतिहासिक दस्तावेजों को नहीं तलाशते, सन्दर्भ ग्रंथों के साथ मगजमारी नहीं करते बल्कि यहाँ की हवाओं में घुली दिल्ली की आत्मा को दिल से टटोलते हैं। वह उन लोगों से मिलकर उस यथार्थ का तहकीकात करते हैं जिसके बूते वह दिल्ली के आधुनिक इतिहास को प्रामाणिकता के साथ लिखते हैं।
इस किताब के लिखने की वजहों को सामने रखते विवेक शुक्ला दिल्ली को भावनाओं में समेटते हैं और विवेक के साथ प्रस्तुत करते हैं। मसलन, कनॉट प्लेस महज एक सेंट्रल दिल्ली का बाजार नहीं है बल्कि समूचा देश है, जहाँ बदलते और समृद्ध हो चुके भारत का विहंगम दृश्य है, उस दृश्य की जीवंत और प्राणवंत आत्मा है।
विवेक बहुश्रुत पत्रकार हैं। जानेमाने लेखक हैं और दिल्ली को दिल से चाहते हैं। तक़रीबन साढ़े तीन दशकों से हिन्दी-अंग्रेज़ी में लिख-पढ़ रहे हैं। कई मीडिया संस्थानों में ज़िम्मेदार ओहदों पर रहे। अब तक दिल्ली के अलग-अलग रंगों पर कम से कम ढाई हज़ार से ज़्यादा लेख, फ़ीचर और रिपोर्ट लिख चुके हैं। गांधीजी के दिल्ली से संबंधों पर इनकी किताब ‘Gandhi’s Delhi : April 12, 1915-January 30, 1948 And Beyond’ 2019 में प्रकाशित हुई थी।
इस किताब को पढ़ना एक नहीं अनेक दृश्यबंधों के पलकों से गुजरने का अहसास है जो अप्रतिम, अद्भुत और अद्वितीय है। वैसे तो सालों बाद इस तरह की किताब बाजार में आयी है लेकिन यह बाजार का एक उत्पाद मात्र कतई नहीं है बल्कि दिल्ली से बेइंतिहा मोहब्बत करनेवाले एक शख्स का ऐसा इजहार है जिसने दिल्ली के इस ख़ास हिस्से को नव्यतम इतिहास की हर धड़कन के साथ जोड़ा है। मौक़ा मिले तो इस किताब को जरूर पढ़िए।
विवेक शुक्ला- प्यारे भाई, आपने मेरे और मेरी किताब के बारे में बहुत कुछ लिखा. आपका आभार. मुझे एक अर्से से लग रहा था कि CP की कहानी को लिखा जाना चाहिए. मैं इसे आधी सदी से देख रहा हूं. ये लघु भारत है, समावेशी है और आधुनिक भारत का प्रतीक है. ये अद्भुत जगह है.