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दिल्ली प्रेस एक साल से नहीं कर रहा लेखकों का भुगतान, कर्मचारियों को भी कटौती कर मिल रहा वेतन

देश का एक बड़ा प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान दिल्ली प्रेस इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. इस कारण संस्‍थान में काम करने वाले कर्मचारियों को न तो कोरोना काल से कटौती करके दी जा रही सेलरी समय से मिल रही है ना ही संस्‍थान की विभिन्‍न पत्रिकाओं में स्‍वतंत्र रूप से लेखन करने वाले लेखकों को पिछले एक साल से उनका भुगतान किया जा रहा है. इस कारण कर्मचारियों और स्‍वतंत्र लेखकों में भारी असंतोष है. प्रबंधन कोरोना काल के बाद विज्ञापन से होने वाली आय और सर्कुलेशन में भारी गिरावट को आर्थिक तंगी का बहाना करके कई महीनों से लेखकों के भुगतान को टाल रहा है.

सरस सलिल, सरिता, गृहशोभा, मनोहर कहानियां और सत्यकथा जैसी लोकप्रिय पत्रिकाओं के साथ दिल्ली प्रेस और भी कई पत्रिकाओं का प्रकाशन करता है. कोरोना के कारण दूसरे मीडिया समूहों की तरह दिल्ली प्रेस ने भी विज्ञापन से होंने वाली आय में कमी का बहाना करके महामारी शुरू होने के साथ ही संस्थान में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी में 20 से 30 फीसदी की कटौती कर दी थी. हांलाकि अब पूरा देश महामारी से उभर रहा है. मीडिया घरानों की इन्‍कम भी बढने लगी है लेकिन कर्मचारियों और लेखकों को भुगतान करने के नाम पर दिल्‍ली प्रेस का पुराना बहाना आज भी जारी है.

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सबसे ज्‍यादा बिकने वाली पत्रिका सरस सलिल और सबसे ज्‍यादा विज्ञापन से आय करने वाली गृहशोभा के हर अंक में लाखों के विज्ञापन छप रहे है, पत्रिकाओं की सेल भी फिर से पहले जैसी हो गई है लेकिन इनमें लिखने वाले लेखकों को पिछले एक साल से फूटी कौडी का भुगतान नहीं किया जा रहा है. संस्‍थान की हिन्‍दी पत्रिकाओं में लेखन करने वाले स्‍वतंत्र लेखकों को पिछले एक साल में कोई भुगतान नहीं किया गया है. संस्‍थान के प्रंबधकों से भुगतान की बात की जाती है तो उन्‍हें अभी हालत ठीक नहीं है कहकर टरका दिया जाता है. कुछ लेखकों का तो एक लाख से अधिक का भुगतान बकाया है.

खुद को सबसे बेहतरीन प्रकाशक बताने वाले दिल्‍ली प्रेस संस्‍थान अगर लेखकों व कर्मचारियों का ऐसा उत्‍पीडन कर रहा है तो समझा जा सकता है कि छोटे प्रकाशक कोरोना के नाम पर लेखकों व कर्मचारियों का कैसा उत्‍पीडन कर रहे होंगे. संस्‍थान की लंबे समय से चली आ रही बहाने बाजी से परेशान कुछ लेखक अब अपने भुगतान के लिए लीगल नोटिस भेजने की तैयारी में हैं.

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