पत्रकार दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी, अजीत अंजुम, मोहम्मद सोहेल उर्फ शाहिद, राशिद, ललित सिंह, सुनील दत्त, अभिनव राज को पॉक्सो न्यायालय में हाजिर होने के लिए सम्मन जारी किया गया है। एक मामले में पुलिस द्वारा पेश आरोप पत्र को संज्ञान लेकर पॉक्सो कोर्ट ने ये सम्मान जारी किया। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुड़गांव के पालम विहार थाना में पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया था। सुनवाई की आगामी तारीख 25 जनवरी 2022 है। इस डेट को सभी आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश होना है।
पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटी सामाजिक संस्था जन- जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार का कहना है कि इस केस में कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही थी, क्योंकि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के उद्देश्य से दो बार केस को बंद कर अनट्रेस रिपोर्ट फाइल कर दी थी। बाद में जब इस मामले को चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में ले जाया गया तो उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कोर्ट की निगरानी के चलते पुलिस को कार्यवाही करने के लिए बाध्य होना पड़ा।
इस मामले में आरोपी अजीत अंजुम, सुहेल, सुनील दत्त, मोहम्मद सोहेल उर्फ शाहिद, चित्रा त्रिपाठी, राशिद, ललित सिंह आदि के खिलाफ 4 जनवरी को अभियोग का प्रथम चार्जशीट स्थानीय कोर्ट में दिया जा चुका है। आरोपी दीपक चौरसिया के खिलाफ अतिरिक्त चालान इसी साल 18 मार्च को कोर्ट में पेश किया गया जो न्यायालय में विचारधीन है। दीपक चौरसिया पर पुलिस जाँच में सहयोग न करने से संबंधित IPC की एक अन्य धारा अलग से लगाई गई है।
इसके अलावा अन्य आरोपियों रविंद्र शर्मा, कार्तिकेय शर्मा, राजीव शुक्ला, गोपाल कांडा, अनुराधा प्रसाद के विरुद्ध जाँच जारी है।
क्या है पूरा मामला-
पालम विहार थाना क्षेत्र में रहने वाले सतीश कुमार (बदला हुआ नाम) के घर पर वर्ष 2013 की 2 जुलाई को आसाराम आए थे. इस दौरान उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों के साथ उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। इस दौरान सतीश के घर हुए इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की गई थी। आसारामबापू पर लगे आरोपों के बाद कई टीवी चैनलों और पत्रकारों ने इसी वीडियो का प्रसारण किया।
आरोपियों द्वारा प्रसारित कार्यक्रम में पीड़िता पक्ष के परिवार को शिवा, शिल्पी (जो आशाराम बापू के केस में आरोपी) बताकर दिखाया गया। साथ ही उस परिवार के घर को अश्लीलता का अड्डा बताकर पेश किया गया। मामले को लेकर परिजनों का आरोप है कि उनकी और पूरे परिवार की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मीडिया ने वीडियो को तोड़ मरोड़ कर अभद्र व अश्लील तरीके से प्रसारित किया। इससे परिवार और मासूम बच्ची को सामाजिक व मानसिक कष्ट झेलना पड़ा।
इसी के बाद परिजनों ने पालम विहार थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने में कतरा रही थी। लेकिन इस मामले में पीड़िता पक्ष को जनजागरण मंच जैसे अन्य संगठनों का साथ मिला जिसके कारण वर्तमान में पीड़िता पक्ष को अंततः न्याय के मंदिर (pocso न्यायालय) द्वारा न्याय मिलने की उम्मीद नजर आने लगी है।
Kailash
January 1, 2022 at 3:27 pm
ये लोग पत्रकारिता के नाम पर कलंक है। पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इनको सजा अवश्य मिलनी चाहिए।
Dipak Patel
March 24, 2022 at 1:29 pm
दीपक चौरसिया जैसे अन्य झूठे पत्रकारों का समाज मे द्वारा संपूर्ण बहिष्कार करना चाहिए , व समय आ गया है कि स्वतंत्र पत्रकारिता के नाम पर जो झूठ फैलाया जा रहा है उन सभी न्यूज़ चैनलों , समाचार पत्रों पर सरकार का अंकुश होना चाहिए । समाज को सरकार पर दबाव डालकर ऐसे बिकाऊ पत्रकारिता पर अंकुश लाना चाहिए ।