हिमाचल प्रदेश का अपना अखबार दिव्य हिमाचल दैनिक हिंदोस्तान के हाथों बिकने जा रहा है। दिव्य हिमाचल के मालिक भानू धमीजा पहले दैनिक भास्कर को अपना अखबार बेचने की कोशिश कर चुके हैं, मगर बीच में कंपनी के बाकी निदेशकों के आड़े आने के कारण वे ऐसा नहीं कर पाए थे। अब दिव्य हिमाचल पर उनकी पकड़ मजबूत है और उन्हें अखबार बेचने से रोकने वाले अधिकतर लोग बाहर किए जा चुके हैं।
हालांकि दिव्य हिमाचल की पोजिशन हिमाचल में तीसरे नंबर की है और फायदे का अखबार है, मगर इसके मालिक एनआरआई होने के कारण अब अखबार के पचड़े से बचकर मुनाफा बटोर विदेश वापस लौटने के चक्कर में हैं। साथ ही मजीठिया के चलते वैसे भी दिव्य हिमाचल जैसे अखबार का मार्किट में टिकना काफी मुश्किल माना जा रहा था, ऐसे में इस अखबार के मालिक ने अपनी मौजूदा मार्किट पोजिशन का फायदा उठाकर हिमाचल में कदम रखने की कोशिश में जुटे दैनिक हिंदोस्तान के साथ अच्छी डील की है।
चरचा है कि इस अखबार की कीमत पचास करोड़ के करीब लगाई गई है। पिछले दिनों हिंदोस्तान के प्रधान संपादक शशिशेखर के हिमाचल दौरे के दौरान ही दिव्य हिमाचल के मालिक के साथ डील की बात शुरू हो गई थी। उनके साथ देहरादून के संपादक गिरीश गुरुरानी भी आए थे, जो हिमाचल में अमर उजाला के संपादक रह चुके हैं। गुरुरानी हिमाचल में अमर उजाला की लाचिंग के समय से ही जुड़े हुए थे और अखबार को यहां स्थापित करने में उनका भी काफी योगदान रहा था। उनके इसी अनुभव का फायदा उठाने के लिए दैनिक हिंदोस्तान ने हिमाचल में अपनी पैंठ बनाने की योजना बनाई थी।
प्रदेश में पचास हजार से ज्यादा प्रतियां बेच रहे दिव्य हिमाचल को खरीदने के बाद दैनिक हिंदुस्तान प्रदेश में सीधे ही तीसरे नंबर के अखबार के साथ शुरुआत करेगा। इसका नुकसान अब अमर उजाला और पंचाब केसरी को झेलना पड़ सकता है। इसके साथ ही प्रदेश में अखबारों की जंग भी शुरू होने की संभावना है। फिलहाल बताया जा रहा है कि हिंदोस्तान की एक्सपर्ट टीम ने दिव्य हिमाचल की संपत्तियों व आर्थिक हालात की समीक्षा करने के बाद इसकी कीमत तय कर दी है। जल्द ही सौदा फाइनल होने के साथ ही दिव्य हिमाचल को टेकओवर किया जा सकता है।
अखबार के मालिक ने इस सौदे के संबंध में अपने कर्मचारियों को भी सूचित कर दिया है। बताया गया है कि हिंदोस्तान प्रबंधन अखबार के सभी कर्मियों की सेवाएं लेगा और अखबार का टाइटल भी नहीं बदला जाएगा। फिलहाल यह तो बाद की बातें हैं, मगर इनता तो तय है कि अमर उजाला के समूह संपादक रह चुके शशिशेखर व संपादक रह चुके गिरीश गुरुरानी की जोड़ी हिमाचल की अखबारी दुनिया में जल्द ही हलचल पैदा करने जा रही है। ऐसे में पत्रकारों व अन्य साथियों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है।
Anant Parmar
December 22, 2014 at 12:04 pm
दिव्य हिमाचल अख़बार ने आज पुरे देश के मीडिया ग्रुप्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है. दिव्य हिमाचल अख़बार व् इसके बिज़नेस मॉडल को समझने में हिंदुस्तान मिडिया ग्रुप के अलावा भी देश के कई अन्य मीडिया ग्रुप ने भी दिलचस्पी दिखाई है. pratiyogita के इस ज़माने में और टीवी सिनेमा के दौर में एक अख़बार से शुरू कर दिव्या हिमाचल ने मीडिया ग्रुप के रूप में तेजी से अपनी पहचान बनाई है.
हिमाचल जैसे छोटे राज्य में एक अख़बार शुरू करना और फिर उसे जनमानस के बीच स्थापित कर मुनाफे के आयाम बनाना निश्चय ही एक कठिन कार्य था जिसे दिव्य हिमाचल ने कुशल नेतृत्व और नेतृत्व की दूरदृष्टि और टीम की अनवरत मेहनत से अंजाम दिया. दिव्य हिमाचल ने एक और प्रदेश को उसका अपना अख़बार दिया और उसके रोज़ मर्रा के सरोकारों से खुद को जोड़ते हुए एक सफल व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी खड़ा किया जिसका मॉडल आज हिंदुस्तान जैसे बड़े ग्रुप के लिए भी जिज्ञासा का विषय बना.
अगर ये सही खबर है की अब हिंदुस्तान टाइम्स जैसे ग्रुप ने दिव्य हिमाचल में बड़े निवेश की योजना बनाई है तो निश्चय ही यह कदम दिव्य हिमाचल के इतिहास में स्वर्णिम युग की शुरुआत होगी। एचटी मीडिया ग्रुप के संसाधन अगर दिव्यहिमाचल के साथ जुड़ते हैं तो इस अख़बार को हिमाचल में एकछतर राज करना निश्चित है. यह बात हिमचल के लिए और भी गर्व की होगी की इस अखबार में बड़े निवेश के बाद भी हिंदुस्तान ग्रुप इसके ब्रांड नाम दिव्य हिमाचल को ही आगे बढ़ाएगा। राज्य के एक प्रतिष्ठान ने बेहतर व्यावसायिक नीति और सफल मॉडल के दम पर देश के सबसे बड़े मीडिया ग्रुप को अपनी ओऱ आकर्षित किया है। इस डील से ये भी साबित होगा की अगर किसी संस्थान में सही विज़न, कुशल नेतृत्व और समर्पित टीम है तो बड़े से बड़े प्लेयर को भी इसकी उपेक्षा करना संभव नहीं होगा।
हिंदुस्तान टाइम्स और दिव्य हिमाचल का ये मेल न केवल दोनों ग्रुप्स और उसके कर्मचारियों लिए फायदे का सौदा होगा बल्कि हिमाचल का अपना अख़बार अब और सशकत और प्रभावी होगा।
दिव्य हिमाचल टीम को बधाई
ANIL KUMAR
December 31, 2014 at 3:33 pm
दिव्या हिमाचल के संपादक को मिले एक करोड़
हिमाचल के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। दिव्या हिमाचल के नाम पर भानु धमीजा ने अनिल सोनी से मिल कर पहले अपने पार्टनर को धोखे से बाहर किया फिर एक एक कर्मचारी का खून चूसा, करोडो कमाए और अब सोने का अंडा दे रही मुर्गी को बेच कर भाग रहा है. हिमाचल के साथ यह बहुत बड़ा धोखा है. यही नहीं सैंकड़ो कर्मचारियों का भविष्य फंस गया है, क्यों कि पहले कर्मचारियों को लम्बी रेस के घोड़े बनो कह कर कहीं और नहीं जाने दिया और अब खुद भाग कर उनकी ज़िंदगी से खेल रहा है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि संपादक अनिल सोनी इस साल ५८ के हो गए हैं और उनके लिए अब नौकरी वैसे भी कहीं और मिलने से रही इसलिए वह पूरी तरह भानु धमीजा का साथ दे रहे हैं. बताते हैं कि एडिटोरियल की इन्क्रीमेंट अप्रैल से देय थी पर उसको हर माह लटकाया जा रहा है ताकि भानु धमीजा को खुश रखा जा सके. सूचना है की कुछ लोगों ने जब विरोध किया तो उनको निकालने की धमकी दी गई. लोग परेशान हैं और एच टी मीडिया ग्रुप को गुप्त शिकायत भेज रहे हैं ताकि उनके हित सुरक्षित हो सकें। ऐसा माना जा रहा है की आने वाले दिनों में दिव्य हिमाचल में बहुत कुछ देखने को मिलेगा. भानु धमीजा ने भी कर्मचारियों को डराया धमकाया है और कहा है कि अगर डील रुकी तो वह कई लोगों को निकाल देगा. मीडिया से जुड़े लोग कर्मचारियों के हितों को न देखने और उन्हें धमकाने के लिए सोनी को कोस रहे हैं. ऐसी भी सूचना है कि एच टी से डील से पेहेले ही को खुश कर दिया है. सूत्र बताते हैं कि सोनी पेहेले से ही १० % का शेयर होल्डर है और डील से पेहेले ही भानु से एक करोड़ की डील हो चुकी है.