Yashwant Singh : जंतर मंतर से लौट कर आ रहा हूं. दैनिक जागरण के साथी वहां धरने पर हैं. मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने की मांग को लेकर ये साथी लंबे समय से आंदोलनरत हैं. आज बड़ी संख्या में दैनिक जागरण कर्मियों को जंतर मंतर पर धरने पर बैठे देखकर दिल को बहुत ठंढक पहुंची. काश ऐसे ही हर मीडिया हाउस के लोग एकजुट होते. वहां पहुंचते ही तत्काल फोटो खींचना वीडियो बनाना शुरू किया. वीडियो बनाने के दौरान ही मंच संचालक साथी ने मुझे भाषण देने के लिए बुला लिया. खैर, वहां गया और तीन मिनट तक बोला. उनका उत्साहवर्द्धन किया. यह सब वीडियो अपन के पास है. बाद में जब लौटने लगा तो देखा कि बीएड टीईटी वाले इतनी बड़ी संख्या में जंतर मंतर पर बैठे हैं लेकिन कहीं कोई मीडिया कवरेज नहीं. मुझसे रहा नहीं गया. मोबाइल को वीडियो मोड में किया और इन्हें रिकार्ड करने लगा.
रिकार्ड करते चलते चलाते जब मंच के पीछे पहुंचा तो देखा कि ढेर सारी महिलाएं मोदी जी को चूड़ियां पहनाने के लिए आह्वान कर रही हैं और नारे लगा रही हैं. वीडियो शूट करना जारी रखा. जब घर पर पहुंचा तो देखा सीढ़ियों के पास कुछ कुत्ते और कुछ आदमी एक साथ शांत भाव से सो रहे हैं. इसका भी वीडियो बनाया. ये सारे वीडियोज यूट्यूब पर अपलोड है. दरअसल जंतर मंतर पर जाना, वीडियो बनाना, अपलोड करना, आपको बताना..
ये सब मेरा कोई निजी काम नहीं है लेकिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान समाज देश आम जन के लिए सोचने सक्रिय रहने लड़ने की जो लत लगी तो उससे उबर नहीं पाए, हां, तरीके फार्मेट अंदाज बदलते गए. और, लत लग जाने का मुझे अफसोस नहीं बल्कि गर्व है. मैं किसी पार्टी, किसी विचारधारा, किन्हीं लोगों से वाहवाह पाने के लिए नहीं लिखता पढ़ता, दरअसल मैं अपनी तसल्ली के लिए एक्टिव रहता हूं. आप लोग सारे वीडियोज भढ़ास के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं जिसका लिंक https://www.youtube.com/user/bhadas4media है. और हां, इस लिंक पर क्लिक करने के बाद पहले तो इसे सब्सक्राइब करिए और फिर शुरुआती सात आठ वीडियोज देख डालिए जो आज के ही हैं.
और, ताजी सूचना ये भी है कि दैनिक जागरण की नोएडा, हरियाणा और पंजाब की यूनिटों में हड़ताल हो चुकी है. इस आंदोलन को हम सबको सपोर्ट करने की जरूरत है.
जैजै.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
आंदोलन की ढेर सारी तस्वीरें देखने के लिए नीचे दिए गए शीर्षक पर क्लिक करें:
anjan
October 5, 2015 at 8:05 pm
मजीठिया की लड़ाई में पत्रकार संगठनों की चुप्पी आश्चर्यजनक है। सभी पत्रकार संगठनों में लगता है या तो मालिकों की घुसपैठ है या फिर पदाधिकारी अखबार मालिकों के चमचे। वरना तो नेशनल जर्नलिस्ट यूनियन, प्रेस क्लब और तमाम श्रम जीवी पत्रकारों के संगठन चुप क्यों हैं। राजस्थान में तो प्रदेश अध्यक्ष, और अन्य पदाधिकारी खुद दो-दो तीन -तीन अखबारों के मालिक हैं। राष्ट्रीय स्तर का अधिवेशन पिछले दिनों कोटा में हुआ। परन्तु इस टॉपिक पर आंदोलन की रणनीति तो दूर चर्चा तक नहीं हुई।