उपर जो तस्वीर है, उसे अयोध्या में रहने वाले Yugal Kishore Saran Shastri ने अपने फेसबुक वॉल पर ‘दैनिक जागरण मुर्दाबाद’ लिखते हुए प्रकाशित किया है. सिर्फ तस्वीर और ‘दैनिक जागरण मुर्दाबाद’ लिखे होने से पूरा माजरा समझ में नहीं आ रहा कि आखिर ये लोग दैनिक जागरण से इतना गुस्सा क्यों हैं. प्रकरण को समझने के लिए मैंने इस तस्वीर को अपने वॉल पर शेयर किया और लिखा कि ….
Yashwant Singh : किस बात पर ये लोग दैनिक जागरण से इतना गुस्सा हैं, पता नहीं लेकिन मुझे अच्छा लग रहा है क्योंकि दैनिक जागरण वालों ने हम भड़ासियों पर फर्जी मुकदमा कर रखा है, इसलिए जागरण विरोध का कोई मौका दिखता है तो उसे छोड़ नहीं पाते हम. ये मत कहना कि आप तो उदात्त हैं, महान हैं, इसलिए बदले की भावना से आप काम नहीं करते.. तो फिर दैनिक जागरण को लेकर ऐसा क्यों… इस पर मेरा जवाब है कि लगातार महान और उदात्त नहीं रहा जा सकता… दम घुटने लगता है…. ऐसे में खुद डिग्रेड कर आम, छोटा, नीच आदमी बन जाता हूं.. तब, महानता और उदात्तता को तेल लेने भेज देता हूं और ईंट का बदला ईंट टाइप का तालिबानी व्यवहार सोचने करने लगता हूं … मैं ऐसा क्यों हूं… मैं ऐसा क्यों हूं 🙂 🙂
मेरे इस स्टेटस पर कई लोगों के कमेंट आए और कुछ एक साथियों ने इनबाक्स मैसेज कर नाम न छापने बताने की शर्त पर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. एक साथी ने जो मैसेज भेजा, वो इस प्रकार है-
”बात 2004-05 की है. दैनिक जागरण की प्रतियां जलाने की इस पांच सदस्यीय टीम का नेतृत्व कर रहे युगुल किशोर जी ने कोई आयोजन कराया था लखनऊ में या सम्भवतः आयोजन में अतिथि के तौर पर गए थे. ‘तुलसी पथ प्रदर्शक या पथ भ्रष्टक’ उक्त आयोजन का विषय था. आयोजन में कथित तौर पर राम की तस्वीर पर जूते की माला पहनाई जाने लगी और तस्वीर को जूते के नीचे कुचला जाने लगा. किसी ने पुलिस को इत्तला कर दी. मुलायम सिंह का शासन था. युगुल किशोर वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह के खासमखास माने जाते थे और शीतला सिंह मुलायम के. लिहाजा पुलिस द्वारा हजरतगंज कोतवाली पर लाए जाने के बाद युगुल किशोर की ठसक में कोई कमी नहीं आई. लेकिन रात होने के बावजूद युगुल छूटे नहीं बल्कि लोग कहते हैं कि पुलिस ने इनकी लॉक-अप में अच्छी-खासी सेवा कर दी. जब कचहरी में पेश किया गया तो वकीलों ने सरेआम हमला बोल दिया. बहरहाल युगुल बाबा चले गए जेल और इधर इस दरम्यान दैनिक जागरण (जो वैसे भी हिन्दूवादी अखबार माना जाता है) ने रोज आधे-आधे पन्ने की खबरें लिखकर युगुल के खिलाफ और भी जबर्दस्त माहौल तैयार कर दिया. अयोध्या-फैजाबाद कस्बे में हर प्रभुत्वशाली व्यक्ति जिस से युगुल को मदद की आस थी, ने उनका साथ छोड़ दिया. युगुल के बढते विरोध की एक वजह यह भी थी कि वह राम की तस्वीर के साथ हुए भौड़ेपन का कोई ठीक-ठीक कारण और लाभ लोगों को नहीं समझा सके. और फिर वह कार्यक्रम तो तुलसी के विरोध में था, तो राम को इतनी गालियां क्यों, बस इसी बात का औचित्य युगुल से हमदर्दी रखने वाले भी नहीं समझा सके. उधर अयोध्या के संतों ने महापंचायत करके युगुल के खिलाफ कई फतवे दे दिए. सुनने में आया कि अयोध्या के महंत नारायण दास शास्त्री ने तो बकाएदा सिर पर ईनाम भी घोषित कर दिया. कुछ महीनों बाद युगुल को यश भारती पुरुस्कार के लिए चुना गया. एक बार फिर उनके खिलाफ लामबन्दी तेज हुई. एक बार फिर दैनिक जागरण इस लामबन्दी का प्रमुख साधन बना. कई टीवी चैनलों पर भी युगुल के पुराने कर्मों को बताते हुए, यश भारती पुरस्कार दिए जाने पर सवाल उठाए गए. इससे पहले कि राज्य सरकार कोई फैसला लेती, अयोध्या के दो लोग हाई कोर्ट से यश भारती दिए जाने पर रोक लगवा आए. इस प्रकार युगुल के दुश्मनों की कतार में दैनिक जागरण भी बना हुआ है. उपरोक्त दोनों घटनाओं के दौरान जागरण के फैजाबाद इंचार्ज रमा शरण अवस्थी रहे. संयोग से आज जब युगुल इस अखबार के खिलाफ दो बच्चियों और दो बाबाओं के साथ आवाज बुलंद कर रहे हैं तो एक बार फिर रमा शरण अवस्थी अपने पुराने पद पर लौट चुके हैं. बीच में वह अमर उजाला चले गए थे. तो कुल मिलाकर दो बच्चियों समेत यह ‘पांच सदस्यीय’ प्रदर्शन दैनिक जागरण के खिलाफ निजी रंज के कारण है, पत्रकारिता की किसी शुचिता की चिंता के कारण नहीं. यही युगुल किशोर थे जिन्होने अपने अखबार रामजन्मभूमि में अपने शत्रु अयोध्या प्रेस क्लब के अध्यक्ष महेन्द्र त्रिपाठी को मां-बहन की गालियों से लगायत हर वो गाली सरेआम प्रकाशित की थी जिन्हें हम-आप दुश्मन को भी देने में संकोच खाते हैं. यशवंत भाई आपने तो उस अखबार का वो संस्करण पढा ही था. आपको तो विशेषतः भेजा गया था. अब आप खुद तय कर लीजिए कि ऐसी भाषा अखबार में लिखने वाले को पत्रकारिता की शुचिता की कितनी चिंता होगी?”
जो कुछ कमेंट आए, वो इस प्रकार हैं :
Rehan Ashraf Warsi I know, whatever they did with you. It not only panic even unjustified and unforgettable… That incident force me to stop reading anything from Jagran group, even Inqulab also. I’m not a media person nor a political, a laymen. Yoi won’t believe, I read and follow you because of inspiration. It’s always given spirit to fight.
Chandan Srivastava लाइक कर के अन लाइक कर दिया, क्योंकि तस्वीर पर ध्यान पड़ते ही माजरा समझ में आ गया. दैनिक जागरण की सच्चाई किसी से छिपी नहीं जैसे इन विरोध करने वालों को अयोध्या का बच्चा-बच्चा जानता है
Yashwant Singh चंदन जी पूरा मामला क्या है, लिखिएगा. ये तो समझ में आ रहा है कि संघी मानसिकता वाले जागरण ने जरूर डेमोक्रेटिक और जनपक्षधर किस्म के लोगों के खिलाफ अभियान चलाया होगा, लेकिन उसका कंटेंट क्या था, उसे उपलब्ध कराइए.
आशीष सागर ये पूरा व्यापारी और भ्रष्ट अख़बार है मैंने बाँदा इसके कार्यालय में एक साल से जाना ही छोड़ रखा है
Shailendra Singh Yashwant Singh ji मै भी पहले दैनिक जागरण ही पढता था , परन्तु अब सात आठ साल से नहीं , इन लोगो ने बाज़ार को ध्यान में रख कर अपनी गुणवत्ता से समझौता कर लिया , ये खबरों के नहीं व्यापार के खिलाड़ी हो गए , इनकी निष्ठां पाठक या जनता से नहीं वरन धन व् पूंजीपतियों से हो गयी , इतना ही नहीं मैंने महसूस किया नियमित या साप्ताहिक कॉलम लिखने वाले अच्छे लेखक भी इनसे दूर हो गए या इन्होने दूर कर दिया , अब अखबार हमको तो छोड़ सकता नहीं था लिहाजा हमने ही ये अखबार पढ़ना छोड़ दिया …
Asghar Naqui Warg Vishesh Ka Akhbar Hai
Alok Tripathi kabhi to maan ka ghusa bahar aa hi jata hai……
Avanish Tripathi दैनिक जागरण सबसे अच्छा अखबार है और रहेगा जलने वाले वामपंथियो को जलने दो इससे कुछ बिगडने वाला नही है, गंदी विचार वाले हमेशा अच्छी चीजों पर कीचड़ उछालते है,,,,,जैसे की कुछ लोग इसका समर्थन कर रहे है.
Naveen Kumar ये क्या हो गया दैनिक जागरण के साथ क्या दैनिक जागरण बिकाऊ पेपर है
Wahid Naseem जिनके ७४ % मालिक विदेशी हो वो देश की क्यों सोचे व्यापारी हैं व्यपार कर रहे हैं
Anand Dubey Jo akbar inki badmashiyon par taliyan bajaye vahi achcha akhbar hai
Arun Srivastava यह विश्व का सर्वाधिक शोषक अखबार भी है,,,
Mayank Pandey लेकिन एक दूसरा पहलू भी है इस अखबार का…… मेरे समेत 70 प्रतिशत से ज्यादा पत्रकारों ने पत्रकारिता का ककहरा इसी संस्थान से सीखा है। हो सकता है मैं कुछ ज्यादा पाज़िटिव हो रहा होऊं…… लेकिन दिल के हर कोने में इस अखबार से भावनात्मक लगाव है। जय हो….
Ashwani Sharma sach kadua hota h.us par kaljug bhi to chal raha h.lekin sach ki hamesha jeet hoti h.
Wahid Naseem मयंक भाई मेरा इस अखबार से कोई निजी झगड़ा नहीं है। जब इस संस्था का जागरण ७ चैनल लेन की प्लॅनिंग हुई थी तब में और राकेश डांग उस पहली मीटिंग का हिस्सा थे। मगर जागरण ७ ही अब IBN7 है यह तो आप जानते ही हैं। IBN और CBN दोनों अमेरिका की बड़ी मीडिया कम्पनी है। जिन्हे वहा का एक चर्च ८०० बिलयन डॉलर सालाना दान देता है। नेटवर्क १८ इन्ही दोनों कम्पनियों का मालिकाना अधिकार में है और बाकि कुछ प्रतिसत हिसा मुकेश का है। जागरण भी अब इनकी ही जागीर है , जिन का काम भारत में अब सिर्फ लॉबिंग करना ही एक मात्र उद्स्य प्रतीत होता है। मेरा मान ना यह भी है की कोई विदेशी भारत में भारत के हित में लॉबिंग करेगा या अपने मुल्क के?
ashish k pandey
October 11, 2014 at 1:56 pm
bhai jab koi tarakki karta h to usase jalne wale hajar hote h lekin jalne walon ko ye nahi pata ki jitna adhik wo jalte h dainik jagran utna adhik chalta h……..aap log jalte raho or hum log chalte rahe………………. 😆 😆 😆 😆
ramchandra maurya
October 12, 2014 at 6:23 am
mai bhi 10 sal tk iss paper me ‘coloum’ likha hu career salah ka.shuru se yah paper ;brahmanwadi’ tha,aaj bhi hai,aage bhi rahega.mujhe job k liye awsar mila tha lekin mai sweekar nhi kiya.dalit,obc,muslim virodhi hai ye akhbar ….
jai prakash tripathi
October 13, 2014 at 4:39 am
(‘… मैं ऐसा क्यों हूं… मैं ऐसा क्यों हूं’) ; आप ऐसे नहीं होते तो चाहे जैसे भी होते लेकिन आप ऐसे हैं तो इसमें बुरा क्या है? उनके थूथन पर घूसे बजते रहें, जो हर तरह की गंदगी लिभराये हुए हैं, जिनकी आत्मा मर चुकी है..वे जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान हों या और कोई
amar arya
October 13, 2014 at 7:18 am
वैसे आप लीग जो कहे मुझे नहीं मालुम पर मै अपना अनुभव जरुर बोलूँगा की दैनिक जागरण के पत्रकार बिकावु है मेरा अपना अनुभव है ये