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दैनिक जागरण, रांची के आफिस में दो कर्मी आपस में भिड़े, हुई मारपीट

दैनिक जागरण रांची कार्यालय में इस समय अव्यवस्था चरम पर है। यहां मौखिक नियम बनाए जाते हैं और चेहरा देखकर काम कराया जा रहा है। कुछ खास लोगों के लिए खास नियम हैं। इस कारण आए दिन गाली गलौज की घटनाएँ होती रहती हैं। गुरुवार की रात करीब दस बजे इनपुट विभाग के आशीष झा और पेज आपरेटर मनोज ठाकुर के बीच पेज बनाने को लेकर पहले विवाद और फिर जमकर मारपीट हुई।

<p>दैनिक जागरण रांची कार्यालय में इस समय अव्यवस्था चरम पर है। यहां मौखिक नियम बनाए जाते हैं और चेहरा देखकर काम कराया जा रहा है। कुछ खास लोगों के लिए खास नियम हैं। इस कारण आए दिन गाली गलौज की घटनाएँ होती रहती हैं। गुरुवार की रात करीब दस बजे इनपुट विभाग के आशीष झा और पेज आपरेटर मनोज ठाकुर के बीच पेज बनाने को लेकर पहले विवाद और फिर जमकर मारपीट हुई।</p>

दैनिक जागरण रांची कार्यालय में इस समय अव्यवस्था चरम पर है। यहां मौखिक नियम बनाए जाते हैं और चेहरा देखकर काम कराया जा रहा है। कुछ खास लोगों के लिए खास नियम हैं। इस कारण आए दिन गाली गलौज की घटनाएँ होती रहती हैं। गुरुवार की रात करीब दस बजे इनपुट विभाग के आशीष झा और पेज आपरेटर मनोज ठाकुर के बीच पेज बनाने को लेकर पहले विवाद और फिर जमकर मारपीट हुई।

दस मिनट तक पूरा संपादकीय विभाग युद्ध के मैदान में तब्दील रहा। एक दूसरे से गुत्थम गुत्था मनोज और आशीष को अन्य सहयोगियों ने बड़ी मुश्किल से अलग किया। यह घटना पूरे रांची में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस घटना को लेकर पूरा कार्यालय दो गुटों में बंट गया है। यहाँ आने वाले दिनों में किसी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. ravi, ranchi

    January 16, 2016 at 9:51 am

    सही घटना है, लेकिन इसके पीछे जिम्मेदार वैसे लोग हैं जिन्हें काम नहीं चाटुकारिता पसंद है। जब से श्री अश्विनी जी यहां समाचार संपादक बने हैं अख़बार गर्त में जा रहा है। न जाने कौन सी मेधा देखकर जागरण प्रबंधन ने इन्हें यह जिम्मेदारी दे दी। इनका एकमात्र काम वरिष्ठों को जलील करना है। इनके कार्यकाल में दैनिक जागरण रांची संस्करण का प्रसार हर महीने कम हो रहा है। हटाए नहीं गए तो यह क्रम जारी रहेगा। जितने कामचोर हैं सबको संरक्षण देते हैं और जो काम करने वाले लोग हैं उन्हें प्रताड़ित करते हैं। कभी समाचारों में कोई रूचि या जिम्मेदारी नहीं लेते। पीक आवर में अपने केबिन में बैठकर टीवी सीरियल देखते हैं या फिर कंप्यूटर पर कोई गेम खेलते हैं। आशीष झा इनका लेफि्टनेंट है। वसूली कर माल पहुंचाता है। दिन रात सेवा देता है। अभी कुछ दिन पहले भरी मीटिंग में एक काफी वरिष्ठ व्यक्ति के साथ इन्होंने बदतमीजी की थी। पैरवी लगाकर यहाँ सिलिगुड़ी से आए तो अख़बार को भले ही नहीं बढाया लेकिन खुद कई पायदान बढ़ गए। अपना फ्लैट, गाड़ी, महंगा शौक सामान। जल्दी नहीं हटे तो जागरण की लूटिया डूबना भी तय मानिए।

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