जोधपुर। दिल्ली की तरह राजस्थान मे भी चंद गोदी मीडिया को पनपाने का काम अंदरखाने शुरू हो गया है। सरकारी नाकामियों को उजागर करने वाले उन पत्रकारों को निशाना बनाया जाने लगा है जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी आवाज उठाते हैं। ऐसे पत्रकारों की खबरों को प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया वाले नहीं दिखाते हैं।
इसी कड़ी मे कोटा कलक्टर ओम कंसेरा ने 7 मई को एक फरमान निकाला हैं जिसमें उन्होने सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित की जाने वाली न्यूजों, पोर्टल एवं यू ट्यूब चैनल पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जायेगी।
कोटा कलक्टर के मानसिक दिवालियेपन को उजागर करने वाले इस आदेश में कलक्टर ने लिखा हैं कि वेब पोर्टलों का पंजीकरण डीआईपीआर जयपुर व सूचना प्रसारण मंत्रालय में नही हैं। जबकि वास्तविकता यह हैं कि यू ट्यूब चैनल एवं न्यूज पोर्टल जो सोशल मीडिया के जरिए चलते हैं उनका कहीं कोई पंजीकरण नहीं होता, न ऐसी कोई सरकारी व्यवस्था है।
बहरहाल, कोटा कलक्टर का यह इमर्जेन्सी आदेश उनकी अंग्रेजीयत को उजागर कर ही गया। लेकिन विडम्बना देखिये कि चाटुकारिता मे लगे दूसरे मीडिया घराने ऐसे आपातकालीन आर्डर के खिलाफ बोलने का साहस तक नहीं जुटा पाये हैं। खुद राज्य सरकार भी अंदर से मौन है। लगता है उपरी इशारे पर ही कलक्टर ने यह खेल खेला हो?
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Deepmala
May 9, 2020 at 6:47 pm
News check krne ke liye fact chek kiye ja sakte hai… Uske liye kisi ki koi permission ki jaroorat nhi honi chahiye.. agar aisa hua toh jo patrkar apne dmkham pr kuch likhne ka prayaas krte h, wo sab chup ho jayenge. Likhne ki swatantrata bilkul zero ho jayegi.