लंबे संघर्ष के बाद नोएडा के डीएम तक अपनी बात मजबूती से पहुंचाने में सफल रहे नवतेज टीवी के पीड़ित कर्मचारी। बेहद पवित्र श्रम की लड़ाई रंग लाने लगी। एक तरफ सच है तो दूसरी तरफ झूठ की बुनियाद पर खड़ी धांधलेबाजों की मक्कारी है, और बात बात पर सब मैनेज करने की बाजीगरी है। इसी वजह से लंबे समय से पीड़ित पत्रकारों को नोएडा की सड़कों पर संघर्ष करना पड़ रहा है।
संघर्ष समय लेता है और आगे अभी लेगा, लेकिन बड़ी राहत मिली जब नोएडा के डीएम सुहास एल वाई ने विशेषतौर पर समय दिया और पत्रकारों की इस पीड़ा को समझा। सख्त कार्रवाई के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र को उन्होंने पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह को भेज दिया। पत्र में सीधे तौर पर फर्जी चेक बांटने के साथ बकाया सैलरी संबंधी फर्जीवाड़े को लेकर एफआईआर करवाने का अनुरोध किया गया है। इसके लिए जिम्मेदार रोहित तिवारी, आर के सैनी, गौरव सिंह, प्रशांत सक्सेना और एचआर हेड रहे नवीन जैन पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
इन सबने मिलकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और देश के मीडिया हब नोएडा में इतने सारे मीडियाकर्मियों को बार बार झूठा आश्वासन देकर न सिर्फ गुमराह किया, मानसिक प्रताड़ना दी, बल्कि इतने सारे फर्जी चेक बांट कर पूरे सिस्टम को नकारने का काम किया है।
एक यहां नोएडा से मालिक बन चैनल चलाना चाहता है तो दूसरा चंडीगढ़ से नए चैनल की तैयारी में जुटा है, बावजूद इसके इतनी थोड़ी देनदारी से बचने के लिए गलत फॉर्मूले आजमा रहे हैं।
सभी को यह स्पष्ट होना चाहिए कि ये लड़ाई सम्मानित श्रम की है। इसमें सभी मीडियाकर्मी एंकर, रिपोर्टर, प्रोड्यूसर, कैमरामैन, वीडियो एडिटर, ग्राफिक्स डिजाइनर, इलैक्ट्रिशियन, एडमिन स्टाफ, इंटर्न, ट्रेनी के साथ साथ वो सारे ड्राइवर भी शामिल हैं जो अपने साथ साथ अपने परिवार की सुरक्षा से समझौता करते हुए अपनी सेवाएं राष्ट्र हित में इस कोरोना काल में चैनल को देते रहे। बहुत ही पवित्र भाव से सबने काम किया। विशेष कर छोटे चैनल सेटअप में जहां सैनिटाइजर तक की भी क्राइसिस रही।
बताना जरूरी है कि ये सैलरी अप्रैल और मई महीने की है, जब देश दुनिया में बेहद आवश्यक सेवाओं, पुलिस सेवा, स्वास्थ्य सेवा के साथ सिर्फ मीडिया के लोग ही काम कर रहे थे। हैरान होती रही कि ऐसे पावन श्रम को भी पिछले एक महीने से नोएडा प्रशासन नकारता रहा।
इसलिए सभी मीडिया बंधुओं से अनुरोध है सबकी आवाज उठाने के साथ साथ नवतेज के कर्मचारियों की आवाज भी बुलंद करें। इस श्रम के सम्मान की लड़ाई को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मजबूत करें। ये लड़ाई सीधे तौर पर मीडिया के वजूद से जुड़ी है।
नवतेज टीवी के पीड़ित कर्मचारी
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