श्रीपाल शक्तावत-
इसे एक डॉक्टर की मौत कहें या एक डॉक्टर की हत्या! आत्महत्या के लिये किसी को मजबूर करना भी हत्या से कम नहीं।
लालसोट -दौसा की डॉक्टर अर्चना की आत्महत्या हमारे समाज में चिकित्सा व्यवस्था के प्रति पनपते अविश्वास और असंवेदनशील सोच को साबित करने के लिये काफी है।
अत्यधिक रक्तस्त्राव से प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत पूरी दुनिया में होती है । भारत में ये आंकड़ा दुनिया से ज्यादा है । बावजूद इसके ऐसी ही एक प्रसूता की मौत के मुद्दे पर डॉक्टर अर्चना ऐसी घिरी कि बेगुनाही साबित करने के लिए खुदकुशी जैसा कदम उठा लिया ।
प्रसवजनित रक्तस्राव के चलते भारत में करीब 38% और विश्व में 25% गर्भवती महिलाएं गम्भीर दौर से गुजरती हैं और हर साल लाखों महिलायें मौत के मुंह में समा जाती हैं।
लालसोट में एक महिला की दुःखद मृत्यु की वजह भी ऐसे ही कॉम्प्लिकेशन के चलते हुई जिसे मुद्दा बनाने के लिए भीड़ जुटी । डॉक्टर सवालों के घेरे में आयी। और, सवालों से जूझती हुई दुनिया से निकल गयी। दुःखद उस महिला की मौत भी है तो उससे भी ज्यादा दुःखद एक डॉक्टर की मौत है।
देखें सुसाइड नोट-
अजयपाल सिंह यादव-
यह बहुत निंदनीय और अंदर से झकझोर कर रख देने वाली घटना है। डाक्टर अर्चना अपनी जान देकर बेगुनाही साबित करती है तो उसकी मौत के लिए गुनहगारों का क्या होगा?
इतनी भावुक डाक्टर किसी का गलत कैसे कर सकती है?पिछले कुछ सालों से “कुछेक लालची चिकित्सकों” की गलतियों का खामियाजा सारे चिकित्सक वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।
हार्दिक श्रद्धांजलि डाक्टर अर्चना। ईश्वर आपकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को यह सदमा सहन करने की हिम्मत दे।
बुद्धि प्रकाश शर्मा-
ये सभ्य समाज नहीं है। असभ्यता और पाशविक प्रवृति के लोग जब जब बढ़ेंगे तब तब अच्छे लोगों की कमी होगी। असुरों के राज में भी तो यही होता था।
मैंने आज तक, लिख लो आज तक ऐसा चिकित्सक ना देखा है और ना सुना है जो जान बूझकर अपने मरीज़ को मारेगा या उसकी ग़लत सर्जरी करेगा।
हे पाशविक पिशाचों, हे लाशों पर राजनीति करने वालों गिद्धों तुम्हें क्या लगता है कि तुम एक लाचार शिक्षित एक माँ , एक सेवाभावी डॉक्टर की हत्या करके बच जाओगे। कभी नहीं! याद रखो तुम्हारे भी बीवी बच्चे है! घर जाकर उनकी आँखो में देखकर , आइना देखना। शायद जानवर और पिशाच की जगह इंसान दिख सको। लानत है तुम्हारे इस धरती पर इंसान के जन्म में आने पर ,
गिद्ध हो गिद्ध तुम।
manish
April 2, 2022 at 5:41 am
कुछ लालची छुटभैये नेताओं और दलाली खाने वाले पत्रकारों ने इतना परेशान किया कि डॉ अर्चना ने आत्महत्या कर ली