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कुछ ईसाइयों ने कुछ कुत्सित हिंदुओं के साथ मिल कर दुर्गा को ‘वेश्या’ साबित करने की कोशिश की है

( File Photo Samarendra Singh )

Samarendra Singh : इन दिनों मेरे पास कुछ ई-मेल आ रहे हैं महिसासुर के बलिदान को लेकर। यह किसी दंगाई की सोच रही होगी जिसे लगता होगा कि वह इतिहास दुरुस्त कर देगा। ठीक वैसे ही जैसे कुछ लोग अयोध्या में इतिहास दुरुस्त करना चाहते हैं। अरे भई अब तक कोई ऐसा क्रांतिकारी पैदा ही नहीं हुआ जो अतीत को करेक्ट कर सके। फिर यह तो अतीत भी नहीं … अतीत का एक धार्मिक मिथक है। मैं इस दंगाई सोच का विरोध करता हूं और उन तमाम क्रांतिकारियों से अपील करता हूं कि मुझे ई-मेल नहीं भेजा करें। मुझे शांति से जीने दें। इस ई-मेल में संविधान का हवाला दिया गया है। तो क्या संविधान यह इजाजत देता है कि कोई मूर्ख किसी के भगवान या खुदा का अपमान करे? क्या यह अधिकार मुझे है कि किसी दिन मैं किसी भी धर्म के नायक को अपराधी करार देते हुए उसके विरोधियों को खुदा घोषित कर दूं?

( File Photo Samarendra Singh )

Samarendra Singh : इन दिनों मेरे पास कुछ ई-मेल आ रहे हैं महिसासुर के बलिदान को लेकर। यह किसी दंगाई की सोच रही होगी जिसे लगता होगा कि वह इतिहास दुरुस्त कर देगा। ठीक वैसे ही जैसे कुछ लोग अयोध्या में इतिहास दुरुस्त करना चाहते हैं। अरे भई अब तक कोई ऐसा क्रांतिकारी पैदा ही नहीं हुआ जो अतीत को करेक्ट कर सके। फिर यह तो अतीत भी नहीं … अतीत का एक धार्मिक मिथक है। मैं इस दंगाई सोच का विरोध करता हूं और उन तमाम क्रांतिकारियों से अपील करता हूं कि मुझे ई-मेल नहीं भेजा करें। मुझे शांति से जीने दें। इस ई-मेल में संविधान का हवाला दिया गया है। तो क्या संविधान यह इजाजत देता है कि कोई मूर्ख किसी के भगवान या खुदा का अपमान करे? क्या यह अधिकार मुझे है कि किसी दिन मैं किसी भी धर्म के नायक को अपराधी करार देते हुए उसके विरोधियों को खुदा घोषित कर दूं?

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Samarendra Singh : इस देश में छिछोरों की कोई कमी नहीं है. दंगाई की भी कोई कमी नहीं है. लेकिन यहां एक तबका ऐसा है जो दंगाइयों से भी ज्यादा घिनौना है. यह तबका बौद्धिक खोल में छिपा रहता है. इसका काम है वह आधार तैयार करना जिससे दंगा हो. यह तबका बडे़ ही महीन तरीके से धर्मनिरपेक्षता का खून करता है और अपनी अय्याशियों का सामान इकट्ठा करता है. ऐसा ही एक तबका इन दिनों फॉरवर्ड प्रेस नाम की किसी कुत्सित संस्था से जुड़ा हुआ है. यह फॉरवर्ड प्रेस किसका है? यह फॉरवर्ड प्रेस एक ईसाई का है. एक ईसाई व्यक्ति और संस्था का हिंदू देवी देवताओं से क्या लगाव हो सकता है? यह सवाल करने पर सारी तस्वीर साफ हो जाती है.

इस संस्था के पास कुछ खास किस्म के बुद्धिजीवियों ने (जो दरअसल बेहद क्रूर और शातिर किस्म के व्यक्ति हैं) अपना जमीर गिरवी रख दिया है. लेकिन जमीर गिरवी रखना और निजी लाभ के लिए दंगा भड़काने की साजिश रचना दोनों दो बाते हैं. इन बुद्धिजीवियों ने जमीर गिरवी रखने के साथ दंगा भड़काना भी शुरू कर दिया है. मतलब यह सारे बुद्धिजीवी जिन्होंने उस ई-मेल पर अपने हस्ताक्षर किया है या फिर अपना समर्थन दिया है वह सब मेरी नजर में गुजरात के दंगाइयों की तरह ही घृणित, क्रूर और वहशी हैं. और जिस तरह का वह लेख है, जिसमें हिंदू धर्म की “शक्ति” को अपमानित किया है और महिषासुर के जांघों पर बैठा दिखाया गया है और “वेश्या” बताया गया है … उससे यह जाहिर होता कि यह सब बीमार मानसिकता वाले व्यक्ति हैं… जिन्हें संविधान का जरा भी इल्म नहीं है. इन्हें तो यह भी इल्म नहीं कि यह इतिहास और धार्मिक मिथकों को बदलने की जिस परंपरा की नींव डाल रहे हैं उसके कितने खतरनाक नतीजे निकलेंगे.

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जिस तरह कुछ ईसाइयों ने कुछ कुत्सित हिंदुओं के साथ मिल कर दुर्गा को “वेश्या” साबित करने की कोशिश की है और उस प्रकरण के समर्थन वाले पत्र पर कुछ मुसलमानों ने भी दस्तखत किए हैं… उसी तरह भविष्य में कोई हिंदू या मुसलमान ईसा मसीह या फिर कोई हिंदू और ईसाई पैगंबर मोहम्मद के बारे में इसी तरह ओछी और घृणित बातें लिख सकता है!! तब भी क्या वह संविधान के दायरे में लिखी गई बात होगी?? इसलिए आज जो कोई भी इस प्रकरण में फॉरवर्ड प्रेस का समर्थन कर रहा है, वह मेरी नजर में दंगाइयों से ज्यादा घृणित है. मैं उन सब पर लानत भेजता हूं. और उनमें से कुछ जो मेरी फ्रेंड लिस्ट में थे आज उन्हें इस हक से बेदखल करता हूं.

एनडीटीवी में काम कर चुके पत्रकार समरेंद्र सिंह के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. rajkumar

    October 16, 2014 at 1:01 pm

    SAMRENDRA SINGH NE SAHI KAHA H KI KUCHH LOG APNE AAP KO KAMRED KAH KAR VAMPANTH KI DUKAN KHOL KAR BATHE HUYE H CONGRESS NE IN KI KHUB KHATRDARI KI LEKIN AB SAMAY BADAL GAYA H IS LIYE IN TATHAKATHIT BUDHI JIVIYON NE HINDU SAMAJ KA APMAN KARNA AB BHARI PADEGA

  2. dalpat

    October 16, 2014 at 11:34 am

    ख़ास कर ndtv चेनल इस तरह के झुमले को हवा देने में माहिर है.पता नहीं ndtv जब तक हिन्दुओ के बारे में कुछ ओछी बाते ना करले तब तक और भारत के बहार के मुसलमानों का दर्द हिन्दुओ को गरियाने से ना मिटाले कुत्तो को खाना नहीं हजम होता. कुछ पत्रकार और कुछ नेताओं का यह चक्रव्यूह शायद अब लम्बा चलने वाला नहीं है.वे अपना रास्ता खोजले नहीं तो मुंह की भी खानी पद सकती है.भविष्य उल्तिसिधि बाते ना करने का ना लिखने का और ना दिखाने का समय है.भाईचारा रखना हो तो जिसकी गलती हो उसको दंड और जो निर्द्होश हो उसको कोई नुकशान न हो इसका ख्याल रखना ही होगा.अबतक केवल हिन्दुओ को ही हरकोई गरियाता रहा है अब यह तमाशा ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है.निर्द्प्श को सजा दिलाने वाले प्रयास भी बंद कराले.उनकी भी सहमत आने वाली है.बहुत नाटक कर लिए.बस अब शाह शक्ति से बाहर की बात है.

  3. Amit kumar

    October 16, 2014 at 5:08 pm

    thts great boss!!! इस साले नकली सेकुलरों को सब माफ है इस देश में।

  4. Amit kumar

    October 16, 2014 at 5:10 pm

    एनडीटीवी बहुत ही घटिया, हिंदू विरोधी और मुस्लिम परस्त चैनल है। रवीश कुमार कहता है देश में मुसलमान बढ़ भी गए तो इससे भला क्या हो जाएगा, अबे तू तो मुस्लिम धर्म ले लेगा, हमारा क्या होगा। हमें तो धर्मयुद्ध ही करना पड़ेगा ना।

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