#MeToo कैंपेन ने मीडिया इंडस्ट्री के कई वरिष्ठों की बलि ले ली. टाइम्स ऑफ इंडिया, हैदराबाद के सीनियर एडिटर के.आर श्रीनिवास भी मीटू में फंसे. उन्हें टीओआई प्रबंधन ने फोर्स लीव पर भेज दिया है. श्रीनिवास जांच होने तक आफिस नहीं आ सकेंगे. मीटू कैंपेन के चलते डीएनए, मुंबई के एडिटर-इन-चीफ रहे गौतम अधिकारी ने ‘सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस’(CAP) के सीनियर फेलो पद से इस्तीफा दे दिया है.
एमजे अकबर भी मीटू कैंपेन में एक्सपोज हुए हैं पर उनकी मोदी सरकार में मंत्री की नौकरी अब तक सुरक्षित है. सोशल मीडिया पर यौन शोषण के खिलाफ शुरू हुए #MeToo अभियान में पूर्व एडिटर और विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगा है. इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कोई जवाब नहीं दिया.
‘ट्रिब्यून’ की पत्रकार स्मिता शर्मा ने जब सुषमा स्वराज से पूछा कि क्या एमजे अकबर के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. स्मिता शर्मा ने सुषमा स्वराज से पूछा था कि, ‘यह एक गंभीर आरोप है. आप एक महिला हैं, क्या आरोपों की जांच की जाएगी? इस पर जवाब देने के बजाय सुषमा स्वराज बिना कुछ बोले आगे निकल गईं. विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर इन दिनों नाइजीरिया में हैं.
एमजे अकबर का नाम पत्रकार प्रिया रमानी ने लिया है. प्रिया ने लिखा कि उन्होंने पिछले साल ‘वोग’ पत्रिका में अपने साथ हुए यौन शोषण का स्मरण लिखा था और कहानी की शुरुआत एमजे अकबर के साथ हुई घटना से की थी. प्रिया ने तब एमजे अकबर का नाम नहीं लिया था, लेकिन 2017 की स्टोरी का लिंक शेयर करते हुए एमजे अकबर का नाम लिख दिया.
कहा कि यह कहानी जिससे शुरू होती है, वह एमजे अकबर है. प्रिया ने लिखा है कि उस रात वह भागी थीं. फिर कभी उसके साथ अकेले कमरे में नहीं गईं. प्रिया रमानी ने एक के बाद एक कई ट्वीट किया. बता दें कि एमजे अकबर कई अखबारों और पत्रिकाओं में संपादक रह चुके हैं.
उधर, #me too के शिकार हुए हिन्दुस्तान टाइम्स के ब्यूरो चीफ व राजनैतिक संपादक प्रशांत झा भी हो गए हैं. उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. प्रशांत झा के पिता अंतरराष्ट्रीय विश्व हिंदू परिषद के बड़े पदाधिकारी हैं. ये नेपाल के रहने वाले हैं. नीचे पढ़ें प्रशांत को हटाए जाने संबंधी मेल और प्रशांत का इस्तीफानामा….
Hi sir
I would like to begin by thanking you for the incredible support you have offered me during the past year – from giving me opportunities to travel and write, appointing me as Political Editor and Bureau Chief, and being a pillar of support as I managed a team and began anchoring the news coverage. It has been a privilege to serve in this role at one of India’s greatest newspapers.
There have been specific allegations against me – and my personal conduct – recently, which have raised moral questions about my conduct.
In this backdrop, I believe it would be best for me to step down from the position of the National Political Editor/Chief of Bureau of the Hindustan Times. I would not like the organisation to suffer, in the least, because of any allegations I face.
I would like to thank the Chairperson and you once again for the enormous faith you have shown in me.
With deep gratitude
Prashant
मुंबई से खबर है कि प्रेस क्लब मैनेजिंग कमेटी मेंबर और सकाल के पोलिटिकल एडिटर Prakash Akolkar ने #metoo आरोपों के बाद इस्तीफा दे दिया है. प्रकाश ने आरोपों पर कहा है कि उन्हें ऐसा कुछ याद नहीं पर अगर वो आहत हुईं हैं तो माफी मांगता हूं. पढिए नीता का वो ट्वीट जिसके बाद प्रकाश सवालों के घेरे में आ गए हैं…
द क्विंट के एक पत्रकार मेघनाद बोस के खिलाफ एक महिला ने सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया है. पत्रकारिता शिक्षा के दौरान सहपाठी रही महिला का कहना है कि जब वह सोई थी तो बोस ने अपनी उंगली उनके मुंह में डाल दिया और होंठ-गाल को छुवा. मेघनाद बोस ने आरोपों से इनकार करते हुए अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी है.
मीटू के शोर-शराबे में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की शिकायत पर कल तमिल साप्ताहिक “नक्कीरण” के संपादक आर गोपाल को गिरफ्तार कर लिया गया। गोपाल पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्रिका “नक्कीरण” में एक कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर (सुश्री) निर्मला देवी से संबंधित सेक्स स्कैंडल पर अप्रैल से लेकर अभी तक कई आलेख प्रकाशित किए हैं जो राज्यपाल की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। महिला शिक्षक पहले से पुलिस हिरासत में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने कई छात्राओं से कहा था कि वे अच्छे अंकों के लिए अधिकारियों को यौन लाभ दें (एडजस्ट करें)।
उधर, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा है कि मीडिया संस्थान मीटू से जुड़े सभी मामलों की निष्पक्ष जांच कराएं. एडिटर्स गिल्ड ने सार्वजनिक बहस में इस मुद्दे को उठाने का साहस दिखाने के लिए महिला पत्रकारों की प्रशंसा भी की है.